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________________ भिक्षु कौन? है, अगर जागता है, तो बड़ी उदासी, ऊब पैदा होती है। आप जैसे हैं, अगर आपको पूरा-पूरा अपना दर्शन होने लगे, तो आप बहुत बैचेन हो जायेंगे, और घबड़ा जायेंगे। शायद आप आत्महत्या करना चाहेंगे। आप कहेंगे, इसमें क्या रखा है? मैं क्या कर रहा हूं? मेरे होने का क्या अर्थ है; क्या प्रयोजन है? इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने से बचता है। अपने से बचने का नाम नशा है। आप चाहे अपने मित्र के पास जाकर गपशप में अपने को भूल जाते हों, चाहे मन्दिर में जाकर आप धर्म-प्रवचन सुनकर उसमें अपने को भूल जाते हों, चाहे होटल में बैठकर नशा कर लेते हों-कुछ भी करते हों; जहां भी आप अपने को भूलने की कोशिश कर रहे हैं, वह कोशिश आपको धार्मिक बनने से रोक रही है। तो महावीर कहते हैं कि भिक्षु वह है, जो उन उपकरणों तक में मूर्छा नहीं रखता, जिनके माध्यम से वह मुक्ति की तरफ जा रहा है। मोक्षले जानेवाले जो साधन हैं, उनमें भी जिसकी मर्छा नहीं है जो उनमें भी बेहोश नहीं होता-जो उनमें भी अपने को खोता नहीं। ___ लेकिन साधुओं को देखें। अगर साधु सुबह पांच बजे उठता है ब्रह्ममुहूर्त में और अपनी प्रार्थना करता है-एक दिन न उठ पाये पांच बजे, तो बेचैन, परेशान हो जाता है। तो वह ब्रह्ममुहूर्त में उठना भी एक मूर्च्छित आदत हो गयी। अगर एक दिन प्रार्थना न कर पाये तो बेचैनी हो जाती है। तो इस बेचैनी में और शराब पीनेवाले की बेचैनी में बुनियादी फर्क नहीं है। एक दिन शराब न मिले तो बेचैनी हो जाती है। ___ मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी अपनी सहेलियों को कह रही थी कि मेरा दुर्भाग्य कि शराबी से मेरा संबंध हो गया; शराबी से मैंने विवाह कर लिया। लेकिन सहेलियों ने कहा कि विवाह किये तो दो साल भी हो गये, लेकिन तुमने कभी शिकायत न की? उसने कहा कि दो साल वह रोज शराब पीकर आता था, तो पता ही नहीं चला; कल रात बिना पिये आ गया, तो पता चला कि यह आदमी शराबी है। क्योंकि रातभर वह बेचैन और परेशान रहा। जिस चीज से भी आपका संबंध ऐसा बन जाए कि उसके बिना आप बेचैन होने लगें, तो आप समझना कि आपने शराब का संबंध निर्धारित कर लिया, निश्चित कर लिया। जिसके बिना भी आप अपने को मुश्किल में पायें-वह चाहे ध्यान हो, प्रार्थना हो, पूजा हो, तो आप समझना कि आपने धार्मिक ढंग की शराब अपने आस-पास इकट्ठी कर ली। ___ महावीर कहते हैं, भिक्षु तो वह है, जो अपने साधनों में भी, उपकरणों में भी, जिनके सहारे वह जा रहा है परमगति की ओर, उनमें भी मूर्च्छित नहीं है। ___ यह तो गहरी बात है। इसका एक स्थूल रूप भी है। क्योंकि आखिर भिक्षु होगा, तो भी वस्त्र थोड़े से पहनेगा, भिक्षा पात्र रखेगा, कुछ थोड़ी सी साधन सामग्री उसके पास होगी। जीवन के निर्वाह के लिए इतना जरूरी होगा। इसमें भी मूर्छा पकड़ जाती है। वह जो दो वस्त्र पास में है, उनमें भी रस पकड़ जाता है। वह भी खो जाए तो दुख होगा, तो लगेगा लुट गये। उनको भी संभालकर रखता है। उनको भी बचाकर रखता है कि कहीं चोरी न हो जायें। __ जापान का एक सम्राट रात को निकलता था अपनी राजधानी देखने कि क्या स्थिति है-वेश बदलकर । वह बड़ा हैरान हुआ। और सब तो ठीक था, जब भी वह जाता तो एक भिखारी को जागते हुए पाता एक वृक्ष के नीचे। आखिर उसकी उत्सुकता बढ़ गयी । और एक दिन उसने पूछा कि रातभर तू जागता क्यों है? तो उस भिखारी ने कहा कि अगर सो जाऊं और कोई चोरी कर ले, तो? वृक्ष के नीचे बैठा हूं, कोई और तो सुरक्षा है नहीं, तो दिन में सो लेता हूं। क्योंकि दिन में तो सड़क चलती रहती है, लोग होते हैं; रात तो जगना ही पड़ता है। सम्राट ने उसके आस-पास पड़े हुए चीथड़ों का ढेर देखा, दो-चार भिक्षा के टूटे-फूटे पात्र देखे, उनके बचाव के लिए वह रातभर जग 449 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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