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साधारण जीवन एक यांत्रिक प्रवाह है। जैसे हम उसे नहीं जीते, बल्कि जीवन ही जैसे हमें जीता है। वासनाओं का, इच्छाओं का एक धक्का है जो हमें चलाये रखता है। हम चलते हैं, ऐसा कहना उचित नहीं; क्योंकि चलने में न तो हमारा कोई अपना निर्णय है, न चलने में हमारा कोई संकल्प है, न कोई दिशा है, न कोई गन्तव्य है। जैसे पानी की धार में कोई तिनका बहा जाता हो, ऐसे ही जीवन की धार में हम बहे जाते हैं। अहंकार के कारण ही हम सोच लेते हैं कि हम अपने जीवन के नियन्ता हैं। थोड़ा भी निष्पक्ष होकर कोई देखेगा, तो जीवन को यंत्रवत पायेगा। ___ पैदा हो जाते हैं; भूख है, प्यास है, कामवासना जगती है, महत्वाकांक्षा पैदा होती है, फिर चलते रहते हैं, दौड़ते रहते हैं और एक दिन गिरकर समाप्त हो जाते हैं। यह सारी दौड़ अंधेरे में, मूर्छा में है। हम उस शराबी की तरह हैं, जो चल रहा है, लेकिन जिसे पता नहीं कि कहां जा रहा है; और जिसे यह भी पता नहीं कि कहां से आ रहा है; और जिसे यह भी पता नहीं कि क्यों चलने की जरूरत है। नशा है और चले जा रहे हैं। __ और ऐसा प्रत्येक आदमी का जीवन एक वर्तुल की तरह है। और सभी आदमियों के जीवन, जो यंत्रवत हैं, करीब-करीब एक-से ही घूमते हैं और एक-से ही समाप्त हो जाते हैं। जैसे प्रकृति मे ऋतुएं आती हैं, और फिर घूमकर वे ही ऋतुएं आ जाती हैं-फिर वर्षा आती है, फिर सर्दी आती है, फिर गर्मी आती है, फिर वर्षा आ जाती है-ऐसे ही हम सबके जीवन में भी बचपन है, जवानी है, बुढ़ापा है; फिर बचपन है, फिर जवानी है, फिर बुढ़ापा है। सब पुराना वर्तुल एक चक्के की भांति घूमता चला जाता है। ___ मैंने सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन अचानक अपने विद्यार्थी जीवन की स्मृति से भर गया। भरने का कारण था, जहां से गुजर रहा था, वहीं वह विद्यापीठ था, वह छात्रावास था, जहां विद्यार्थी जीवन में नसरुद्दीन रहा था। प्रबल कामना मन को पकड़ गयी कि जाकर देखें उस कक्ष को, उस कमरे को, जहां मैं वर्षों रहा हूं-कैसा है वह कक्ष अब? वैसा ही है या सब बदल गया है? जाकर उसने द्वार पर दस्तक दी। कोई दूसरा विद्यार्थी वहां रह रहा था। भीतर कुछ हलचल हुई। विद्यार्थी ने दरवाजा खोला। विद्यार्थी थोड़ा घबड़ाया हुआ था।
नसरुद्दीन ने कहा, 'क्षमा करना, अकारण ही राह से गुजरता था, और याद आ गया कि अपने छात्रावास के कमरे को एक दफा हो आऊ वर्षों बाद।' __कमरे के भीतर गया, देखकर उसने कहा कि द सेम फर्नीचर-वही पुरानी कुर्सी है, वही मेज है। और तब वह गया आलमारी के पास। उसने आलमारी खोली और वहां देखा उसने, एक अर्धनग्न युवती छिपी है। तो नसरुद्दीन ने कहा, 'द सेम ओल्ड रोमान्स—वही
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