SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 412
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महावीर-वाणी भाग : 2 यहां हिंदुस्तान में आंदोलन शुरू हुआ कुछ वर्षों पहले कि शूद्र-हरिजन मंदिरों में प्रवेश करें, तो जैनों को तो सबसे पहले अपने मंदिर खोल देने थे! क्योंकि महावीर ने कहा है कि कोई जन्म से शूद्र नहीं है । लेकिन जैनों ने सबसे पहले अपने मंदिर बंद कर लिये। उन्होंने कहा कि हम तो हिंदू हैं ही नहीं, इसलिए हमारे मंदिरों में हरिजनों के प्रवेश का तो कोई सवाल ही नहीं है। शूद्र हिंदू हैं; वे हिंदुओं के मंदिर में जाएं, हिंदुओं से लड़ें-झगड़ें। जैन मंदिर तो जैनों का है। लेकिन जैनों ने ब्राह्मणों को कभी नहीं रोका जैन मंदिरों में जाने से। अगर उन्होंने ब्राह्मणों को भी रोका होता, तो तर्क समझ में आता था। लेकिन ब्राह्मण तो सदा जाते रहे, शूद्र को उन्होंने रोक दिया कि जैन मंदिर में वह नहीं आ सकता, क्योंकि जैन धर्म तो धर्म ही अलग है। और महावीर कहते हैं कि जन्म से कोई शूद्र नहीं है; जन्म से कोई ब्राह्मण नहीं है; जन्म से कोई कुछ नहीं है । जैन का मंदिर तो बिलकुल खुला होना चाहिए था, लेकिन शूद्र तो बहुत दूर, दिगम्बर का मंदिर श्वेताम्बर के लिए खुला हुआ नहीं है; श्वेताम्बर का मंदिर दिगम्बर के लिए खुला हुआ नहीं है । और श्वेताम्बर और दिगम्बर तो दोनों जैन हैं, न कोई शूद्र है, न कोई ब्राह्मण; वे एक-दूसरे का सिर खोलते हैं, अदालतों में लड़ते रहते हैं।...आश्चर्यजनक है! __ आदमी इतना मूढ़ है कि महावीर कितना ही हिलायें, वह जा भी नहीं पाते हैं कि उनकी पत्थर की शिला फिर अपनी जगह पर वापस बैठ जाती है ; वे जहां के तहां पाये जाते हैं। तीर्थंकर छोड़ गया था-वह वहीं फिर आसन लगाये बैठा है । कोई अंतर नहीं पड़ता। क्योंकि अंतर डालने के लिए सिद्धांत काफी नहीं हैं, शब्द काफी नहीं हैं। अंतर डालने के लिए स्वार्थ भी छोड़ना पड़ेगा; अंतर डालने में खुद के निहित स्वार्थों को हानि भी पहुंचेगी, और अंतर डालने के लिए खुद को बदलना पड़ेगा। __ शूद्र जन्म से शूद्र नहीं है, यह कहना, यह बातचीत काफी नहीं है। अगर शूद्र जन्म से शूद्र नहीं है, तो आपकी लड़की अगर एक शूद्र के प्रेम में पड़ जाए और आप जैन हों, तो आप को इनकार नहीं करना चाहिए । देखना इतना चाहिए कि शूद्र के पास चरित्र है, आचरण है, जीवन है? और अगर उसका आचरण ठीक न हो, वह शराबी हो, जुआरी हो, तो ही इनकार करना चाहिए। __ लेकिन तब अड़चनें होंगी; और अड़चनें उठाने से हम बचना चाहते हैं। हम सिर्फ कनवीनियन्स खोज रहे हैं-शांति से मर जाएं कोई झंझट न हो। ___ मुल्ला नसरुद्दीन को सूली की सजा सुनायी गयी। उसका साथी और वह दोनों सूली पर लटकाये जाने के करीब हैं। दोनों ने हत्या की है। आखिरी क्षण में सूली देनेवाले ने नियमानुसार दोनों से पूछा, 'कोई आखिरी इच्छा हो तो बताओ, सिगरेट तो नहीं पीना चाहते हो; तो मैं ला दूं?' .. तो मुल्ला ने कहा, 'हत्यारे! सिगरेट अपने पास रख । झंझट खडी मत कर।' नसरुद्दीन ने कहा कि-आखिरी समय में झंझट से डर रहा है-झंझट खड़ी मत कर । अब झंझट खड़ी करने से भी क्या होनेवाला है! लेकिन यह कह रहा है उससे कि अब शांत रह, आखिरी समय में झंझट खड़ी मत कर। हम जिंदगीभर इसी कोशिश में रहते हैं, कहीं कोई झंझट न हो जाए । झंझट से बचाते-बचाते पूरी जिंदगी हमारी असत्य हो जाती है। क्योंकि जहां-जहां हम समझौता करते हैं, झंझट से बचते हैं, वहां-वहां सुविधा के कारण असत्य को स्वीकार कर लेते हैं। __ कौन है शूद्र, कौन है ब्राह्मण, अगर महावीर की बात मानें तो हर बार सोचना पड़ेगा । जो आदमी आपके घर में बुहारी लगाता है वह ब्राह्मण हो सकता है, और जो आदमी आपके घर पूजा करता है, वह शूद्र हो सकता है । तब बड़ी झंझट खड़ी होगी; क्योंकि तब रोज-रोज यह सोचना पड़ेगा कि यह आदमी शूद्र है कि ब्राह्मण; किसके पैर पड़ो और किसको घर में मत आने दो, रोज-रोज सोचने से यह बड़ी कठिनाई होगी। इसलिये हमने लेबलिंग कर रखी है कि यह आदमी शूद्र के घर में पैदा हुआ है, इसलिए शूद्र है; और यह आदमी ब्राह्मण 398 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy