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महावीर वाणी भाग 2
के संबंध में जो सूचनाएं थीं, वही महावीर देते थे। फिर सूचनाएं बदलेंगी, विज्ञान तो रोज बढ़ता है, बदलता है। नयी खोज होती है। तो महावीर ने भी जो बाहर के जगत के संबंध में कहा है, वह कल गलत हो जायेगा। उस कारण महावीर गलत नहीं होते। महावीर तो उसी दिन गलत होंगे जो उन्होंने भीतर के संबंध में कहा है, जब गलत हो जाये। इससे बड़ी तकलीफ होती है ।
जीसस ने उस समय जो उपलब्ध सूचनाएं थीं, उसके संबंध में बातें कहीं। कहा कि जमीन चपटी है। क्योंकि उस समय तक यही सूचना थी। जीसस भी नहीं जान सकते थे कि जमीन गोल है। फिर ईसाइयत बड़ी मुश्किल में पड़ गयी। जब पता चला कि जमीन गोल है और जमीन चपटी नहीं है तो बड़ा संकट आया । तो ईसाइयत ने पूरी कोशिश की कि जमीन चपटी ही है, क्योंकि जीसस ने कहा है। और जीसस गलत तो कह ही नहीं सकते। इसमें डर था। अगर जीसस एक बात गलत कह सकते हैं तो फिर दूसरी भी गलत हो सकती है, यह संदेह था ।
अगर जीसस इतनी गलत बात कह सकते हैं कि जमीन चपटी है गोल की बजाय, तो क्या भरोसा? ईश्वर के संबंध में जो कहते हैं, आत्मा के संबंध में कहते हैं, वह भी गलत कहते हों। जब किसी की एक बात गलत हो जाये तो दूसरी बातों पर भी संदेह निर्मित हो जाता है। इसलिए ईसाइयत ने भरसक कोशिश की कि जो जीसस ने कहा है, सभी सही है। लेकिन उसका परिणाम घातक हुआ । क्योंकि विज्ञान ने जो सिद्ध किया, हजार जीसस भी कहें, उसको गलत नहीं किया जा सकता।
गैलेलियो को सजा दी जाये, सताया जाये, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता, तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता। और तब आखिर में, मजबूरी में ईसाइयत को मानना पड़ा कि जमीन गोल है। तब ईसाइयों के मन में ही संदेह उठना शुरू हो गया कि फिर क्या होगा! जीसस जो कहते हैं और चीजों के संबंध में, कहीं वह भी तो गलत नहीं है!
महावीर के माननेवाले सोचते हैं कि महावीर ने कहा है कि चंद्रमा देवताओं का आवास है। उस समय तक ऐसी बाहरी जानकारी थी । उस समय तक जो श्रेष्ठतम जानकारी थी, वह महावीर ने दी है। लेकिन यह महावीर के कहने की वजह से सच नहीं होती । यह तो वैज्ञानिक तथ्य है, बाहर का तथ्य है। इसमें महावीर क्या कहते हैं, सिर्फ उनके कहने से सही नहीं होता ।
अब जैन मुनि तकलीफ में पड़ गये हैं। क्योंकि चांद पर आदमी उतर गया है, कोई देवता नहीं है। तो अब जैन मुनि उसी दिक्कत में पड़ गये हैं जिस दिक्कत में ईसाइयत पड़ गयी थी। अब क्या करें? तो अब वे सिद्ध करने की कोशिश कर रहे हैं! सिद्ध करने की तीन-चार कोशिशें हैं, वह पिटीपिटायी हैं, वही कोशिशें की जाती हैं। पहली तो यह, कि यह चांद वह चांद ही नहीं है, एक यह कोशिश है। तो कौन-सा चांद है? दूसरी यह कोशिश की जा रही है कि इस चांद पर वैज्ञानिक उतरे ही नहीं है, यह झूठ है, यह अफवाह है। यह भी पागलपन है । तीसरी कोशिश यह की जा रही है, कि वे उतर तो गये हैं- एक जैन मुनि कोशिश कर रहे हैं - वे उतर तो गये हैं, अफवाह भी नहीं है, चांद भी यही है, लेकिन वे चांद पर नहीं उतरे हैं। चांद के पास देवी-देवताओं के जो बड़े-बड़े यान, उनके बड़े-बड़े रथ, विराटकाय रथ और यान ठहरे रहते हैं चांद के आसपास, उन पर उतर गये हैं । उसी को वे समझ रहे हैं कि चांद है।
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यह सब पागलपन है। लेकिन इस पागलपन के पीछे तर्क है। तर्क यह है कि अगर महावीर की यह बात गलत होती है, तो बाकी बातों का क्या होगा? तो मैं आपसे कहना चाहता हूं, महावीर, बुद्ध या कृष्ण किसी ने भी बाहर के जगत के संबंध में जो भी कहा है, वह उस समय तक की उपलब्ध जानकारी में जो श्रेष्ठतम था, वही कहा है। वह उस समय तक जो सत्यतर था, वही कहा है। लेकिन, बाहर की जानकारी रोज बढ़ती चली जाती है। और आज नहीं कल, महावीर और बुद्ध से आगे बात निकल जायेगी। जब आगे बात निकल जायेगी तो भक्त को, अनुयायी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। एक विभाजन साफ कर लेना चाहिए। वह विभाजन यह कि महावीर ने जो बातें बाहर के जगत के संबंध में कही हैं, वे सूचनाएं हैं। और महावीर ने जो अंतस जगत के संबंध में बातें कही हैं,
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