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________________ अलिप्तता है ब्राह्मणत्व ओनली मिस्ट्रेसेस-कोई पत्नी नहीं, सिर्फ रखैल स्त्रियां!' वासना बड़ी गहरी है, और उसकी गहराई को बिना समझे जो उसके साथ कुछ भी करने में लग जाता है, वह झंझट में पड़ेगा। सब सिद्धांत ऊपर रह जाते हैं। सब शास्त्र ऊपर रह जाते हैं । कामवासना बड़े केंद्र पर है वहां तक कोई शास्त्र पहुंच नहीं पाता, कोई सिद्धांत नहीं पहुंच पाता। आप ऊपर से प्रभावित होकर निर्णय और संकल्प ले सकते हैं । वे निर्णय ऊपर कागज के लेबल की तरह चिपके रह जायेंगे और आप झूठे आदमी हो जायेंगे। __ मुल्ला नसरुद्दीन एक दिन निकल रहा है अपने घोड़े पर बैठ कर । एक मकान से रोने की आवाज सुनायी पड़ती है। कोई रात के बारह बजे हैं । तो रुक जाता है दयावश; भीतर जाता है । एक नग्न स्त्री बिस्तर पर बांध दी गयी है। किसी ने बुरी तरह उसे सताया है। शरीर पर चोट के निशान हैं, और वह स्त्री रो रही है। वह नसरुद्दीन को देख कर कहती है कि बड़ी कृपा की, आप आ गये। मुझे मुक्त करें। डाकुओं ने हमला किया। उन्होंने मेरे पति को बेहोश कर दिया है। मेरे साथ व्यभिचार किया है, और मेरे पति को बेहोश हालत में घसीट करके घर के बाहर ले गये हैं। पास-पड़ोस में कोई भी नहीं है। लोग किसी निकट के मेले में चले गये हैं। हम अकेले हैं। मुझे बचाओ, बड़ी कृपा कि तुम आ गये। नसरुद्दीन को आंसू आ जाते हैं दया से । उसे बड़ी पीड़ा होती है। लेकिन बजाय स्त्री के बंधन खोलने के, वह अपने कपड़े उतारना शुरू कर देता है। वह स्त्री कहती है, 'यह आप क्या कर रहे हैं?' नसरुद्दीन कहता है कि 'माफ करें--एक्सक्यूज मी, लेडी! बट दिस डे इज नाट लकी फार यू-आज का दिन तुम्हारे लिये सौभाग्यपूर्ण नहीं है। मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं, लेकिन बचा नहीं सकता हूं!' सारी दया, सारे ब्रह्मचर्य, सारे शास्त्र, सारे उपदेश ऊपर रह जाते हैं। अवसर मिले आपको, तो आप सबको अलग रखकर अपनी वासना को पूरा कर लेंगे। अवसर न मिले तो आप सिद्धांतों की बातें करते रह सकते हैं। सोचें, एक सुंदर युवती नग्न पड़ी हो, आस-पास कोई भी नहीं, कोई खतरा नहीं, पति को डाकू उठा कर ले गये हैं...बहुत कठिन हो जायेगा! शायद आपने सुना हो कि मिश्र की खुबसुरत महारानी क्लियोपैटा जब मर गयी. तो उसकी कब्र से उसकी लाश चरा ली गयी और तीन दिन बाद लाश मिली। और चिकित्सकों ने कहा कि मुर्दा लाश के साथ अनेक लोगों ने संभोग किया है। ___ मरी हई लाश के साथ! और निश्चित ही ये कोई साधारण जन नहीं हो सकते थे जिन्होंने क्लियोपैटा की लाश चरायी होगी। क्योंकि क्लियोपैट्रा की लाश पर भयंकर पहरा था। ये जरूर मंत्री, वजीर, राजा के निकट के लोग, राजा के मित्र, शाही महल से संबंधित लोग, सेनापति इसी तरह के लोग थे। क्योंकि क्लियोपेट्रा की लाश तक भी पहुंचना साधारण आदमी के लिए आसान नहीं था। और चिकित्सको ने कहा कि अनेक लोगों ने संभोग किया है। तीन दिन के बाद लाश वापस मिली। आदमी की वासना कहां तक जा सकती है, कहना बहुत मुश्किल है । एकदम कठिन है। और महावीर कहते हैं, ब्राह्मण वही है, जो कामवासना के ऊपर उठ गया हो । जिसे किसी तरह की वासना न पकड़ती हो । क्या यह संभव है? असंभव जैसा दिखता है, लेकिन संभव है। असंभव इसलिए दिखता है कि हमें ब्रह्मचर्य के आनंद का कोई भी अनुभव नहीं है। हमें सिर्फ कामवासना से मिलने वाला जो क्षण भर का सुख है...सुख भी कहना शायद ठीक नहीं, क्षणभर की जो राहत है, क्षणभर के लिए हमारे शरीर से जैसे बोझ उतर जाता है। ___ बायोलाजिस्ट कहते हैं कि कामसंभोग छींक से ज्यादा मूल्यवान नहीं है। जैसे छींक बेचैन करती है और नासापुट परेशान होने लगते हैं, और लगता है किसी तरह छींक निकल जाये; तो हल्कापन आ जाता है। ठीक करीब-करीब साधारण कामवासना छींक से ज्यादा राहत नहीं देती है। बायोलाजिस्ट कहते हैं जननेंद्रिय की छींक-शक्ति इकट्ठी हो जाती है भोजन से, श्रम से; उससे हल्के हो जाना जरूरी है। इसलिए वे कहते हैं, कोई सुख तो उसमें नहीं है, लेकिन एक बोझ उतर जाता है। जैसे सिर पर किसी ने बोझ रख दिया हो और फिर 365 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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