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महावीर वाणी भाग 2
फ्रायड ने हिस्टीरिया का अध्ययन किया पूरे चालीस वर्ष और उसने पाया की सभी हिस्टीरिया... और हिस्टीरिया की बीमारी सारी दुनिया में फ्रायड के पहले प्रेतात्माओं की बाधा समझी जाती थी। अगर किसी स्त्री को अचानक चक्कर आने लगते हैं, बेहोश हो जाती है, मुंह से फसूकर आ जाता है, चीखने चिल्लाने लगती है... और स्त्रियों को ज्यादा मात्रा में हिस्टीरिया होता है पुरुषों को नहीं। क्योंकि स्त्रियां ज्यादा कामवासना का दमन करती हैं बजाय पुरुषों के । पुरुष बातें कुछ भी करें, ब्रह्मचर्य की कितनी ही चर्चा करें लेकिन वे उपाय खोज लेते हैं अपनी कामवासना को तृप्त करने के । स्त्रियां बातें ही नहीं करतीं, बातों पर ही बड़े ही मन से भरोसा कर लेती हैं और भरोसा करके संयम साधने की कोशिश में लग जाती हैं। उस संयम में कोई साक्षी भाव तो होता नहीं, दमन ही होता है। इसलिए स्त्रियां ही हिस्टीरिया की बीमारी से परेशान होती रहीं ।
फ्रायड बहुत हैरान हुआ जब उसने हिस्टीरिया का अध्ययन शुरू किया। उसने इनकार ही कर दिया; कि उसमें प्रेतात्माओं का कोई हाथ नहीं है। क्योंकि जिन स्त्रियों पर भी हिस्टीरिया पाया गया, वे वही स्त्रियां थीं जिन्होंने अपनी कामवासना को किसी कारण दबाया था । पति नपुंसक था, या स्त्री विधवा थी; पति मर चुका था, या पति बीमार था; संभोग की कोई संभावना न थी, या स्त्री को बचपन से इस तरह की धार्मिक शिक्षा दी गयी थी कि कामवासना में उतरना उसके लिए असंभव हो गया था। खास कर ईसाई नन्स, ईसाई साध्वियां हिस्टीरिया से भयंकर रूप से परेशान थीं। और मध्ययुग में तो पूरे यूरोप में नन्स के ऊपर प्रेतात्माओं का उतरना बिलकुल रोज की घटना थी ।
फ्रायड ने इनकार कर दिया। उसने कहा कि कामवासना के दमन के कारण यह घटना घट रही है; इसमें प्रेतात्माओं का कोई संबंध नहीं है । फ्रायड की बात आधी ही ठीक है। वह ठीक कह रहा है, कामवासना के रिप्रेशन से ही घटना घट रही है। लेकिन रिप्रेशन, दमन केवल अवसर बनता है। उस अवसर में मन इतना ज्यादा वासनापूरित हो जाता है, और इतने जोर से पुकारता है, और पूरा शरीर इतने
से खींचने लगता है कि आस-पास की अदेही आत्माएं भी उस प्रचंड झंझावात में खिंच के पास आ सकती हैं और प्रेतात्माओं का प्रवेश हो सकता है।
तो महावीर कहते हैं कि जो देवता, मनुष्य, तिर्यंच संबंधी सभी प्रकार के मैथुन का मन, वाणी और शरीर से कभी सेवन नहीं करता, उसे हम ब्राह्मण कहते हैं ।
तब तो ब्राह्मण खोजना बहुत मुश्किल हो जायेगा । और जिन्हें हम ब्राह्मण कहते हैं, उन्हें ब्राह्मण कहने का कोई अर्थ न रह जायेगा । आदमी इतने गहन में डूबा है कामवासना के साथ, कि कोई उपाय नहीं दिखता, कि वह कैसे ब्राह्मण हो सके !
सुना है मैंने, इंगलैंड का राजा जार्ज द्वितीय बहुत बुद्धिमान नहीं था। और सारा काम, सारे राज्य की व्यवस्था उसकी पत्नी कैरोलीन ही संभालती थी। लेकिन इतना बुद्धिमान वह था कि कैरोलीन की बात मान लेता था सदा । कैरोलीन सुंदर थी, योग्य थी, प्रतिभाशाली थी, लेकिन असमय में उसका निधन हो गया। कोई संघातक बीमारी थी, इलाज नहीं हो सका। मरते क्षण कैरोलीन ने सम्राट से कहा— आगे की व्यवस्था भी उसी को करनी थी, उसने कहा कि तुम मेरे मरने के बाद शीघ्र ही विवाह कर लेना। एक तो तुम बिना विवाह के रह न सकोगे, दूसरे तुम्हें एक योग्य सलाहकार की भी जरूरत है और तीसरे यह विवाह उपयोगी होगा अतंर्राष्ट्रीय संबंध निर्धारित करने | तो तुम कहां विवाह करना, कौन-कौन सी राजकुमारियां योग्य हैं, और किससे संबंध बनाना राजनीतिक अर्थों में कीमती है। लेकिन जार्ज द्वितीय, जार-जार आंसू गिराने लगा और उसने कहा कि नहीं, बिलकुल नहीं! जीवन में अपनी पत्नी को उसने पहली बार 'नहीं' कहा था । उसने कहा कि 'नो, नेवर! आफ्टर यू नो वाईव्स!' पत्नी बड़ी प्रसन्न हुई । उसने आंख खोली, लेकिन प्रसन्नता क्षणभर में खो गयी क्योंकि जार्ज आंसू बहा रहा था, छाती पर हाथ रखे था और कह रहा था, 'नहीं, कभी नहीं - नो मोर वाइव्स आफ्टर यू,
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