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________________ समय और मृत्यु का अंतर्बोध वर्ष का क्या है अर्थ? इस सौ वर्ष में भी क्या करेंगे? वैज्ञानिक हिसाब लगाते हैं तो आदमी आठ घण्टे सोता है चौबीस घण्टे में। चार घण्टे खाना, पीना, स्नान, कपड़े बदलना, उसमें व्यय हो जाते हैं। आठ घण्टे रोटी कमाना, घर से दफ्तर, दफ्तर से घर उसमें व्यय हो जाते हैं-बीस घण्टे । जो चार घण्टे बचते हैं उसमें रेडिओ सुनना, फिल्म देखना, अखबार पढ़ना, सिगरेट पीना, दाढ़ी बनाना-ऐसा चौबीस घण्टे व्यय हो जाते हैं। बचता क्या है सौ वर्ष में आपके पास? जिससे आप अपनी आत्मा को जान सकें, पा सकें। अगर आदमी की कहानी हम ठीक से बांटे तो बड़ी फिजूल मालूम पड़ेगी, ए टेल टोल्ड बाई ऐन इडिएट, फुल आफ फ्यूरी एण्ड न्वाइज सिग्निफाइंग नथिंग । एक मूर्ख द्वारा कही हुई कथा, शोरगुल बहुत, मतलब बिलकुल नहीं । शोरगुल बड़ा होता है। हर बच्चा बड़ा शोरगुल करता हुआ संसार में आता है कि तूफान आ रहा है और थोड़े दिन में ठंडे हो जाते हैं। लकड़ी टेककर चलने लगते हैं। वह सब तूफान, वह सब शोरगुल, सब खो जाता है। आंखें धुंधली पड़ जाती हैं, हाथ-पैर कमजोर हो जाते हैं। बिस्तर पर लग जाते हैं __ झूले से लेकर कब्र तक कहानी क्या है? सामर्थ्य क्या है शरीर की? बड़ा कमजोर है। जरा-सा बेक्टीरिया घुस जाये बीमारी का, तब पता चल जाता है कि कितनी आपकी ताकत है। गामा लड़ते होंगे पहलवानों से, लेकिन क्षय रोग से नहीं लड़ पाते । गामा टी. बी. से और टी. बी. के कीटाण कितनी छोटी चीज है। आंख से दिखायी भी नहीं पडते । बड़े पहलवानों से जीत लिए, छोटे पहलवानों से हार गये। शरीर की ताकत कितनी है? बड़ी-बड़ी बीमारियां छोड़ दीजिए, कामन कोल्ड से लड़ना मुश्किल होता है। साधारण सर्दी-जुकाम पकड़ ले तो उपाय नहीं, सब ताकत रखी रह जाती है। ___ इस शरीर को अगर हम भीतर गौर से देखें, इसकी क्षमता क्या है? हड्डी, मांस, मज्जा, इसका मूल्य कितना है? वैज्ञानिक कहते हैं, पांच रुपये से ज्यादा नहीं। वह भी मंहगाई की वजह से । आपकी वजह से नहीं । इतना अल्युमीनियम है, इतना लोहा है, इतना तांबा है, इतना फला-ढिंका । सब निकालकर रख लें, पांच रुपये का सामान, पांच रुपये के सामान पर इतने इतरा रहे हैं? यह जो थोड़ा-सा अवसर है जीवन का, उसमें शरीर की कोई क्षमता तो है नहीं । शरीर दुर्बल है, एकदम दुर्बल है। उधर सूरज ठंडा हो जाये, ये साढ़े तीन अरब लोग यहां एकदम ठंडे हो जायेंगे। क्या है क्षमता? जरा-सा ताप बढ़ जाये, गिर जाये जमीन का, ठंडे हो जायेंगे। अभी ध्रुव की जमी हुई बर्फ पिघल जाये, सब डूब जाये। वैज्ञानिक कहते हैं, वह पिघलेगी किसी न किसी दिन । अगर ध्रुव प्रदेश में जमी हुई बर्फ किसी भी दिन पिघल गयी तो सारे समुद्रों का पानी हजार फीट ऊंचा उठ जायेगा। सारी जमीन डूब जायेगी। वह किसी भी दिन पिघलेगी। नहीं पिघलेगी तो रूसी या अमरीकी उसको पिघलाने का उपाय खोजते हैं। क्योंकि वे इसलिए खोजते हैं कि अगर कोई उपद्रव का, झगड़े का मौका हो तो दूसरे को मौका नहीं मिलना चाहिए दुनिया मिटाने का, हमको ही मिलना चाहिए। हालंकि हम भी उसमें मिटेंगे, लेकिन कहानी रह जायेगी, हालांकि कहानी कहनेवाला कोई भी नहीं रहेगा। ___ कहते हैं, रूसी वैज्ञानिकों ने तो तरकीबें खोज ली हैं कि किसी भी दिन, आनेवाला अगर कोई तीसरा महायुद्ध हुआ, तो वह ध्रुव प्रदेश की, साइबेरिया की बर्फ को पिघला देंगे। कोई सात सेकेंड लगेंगे उनको पिघलाने में । एटामिक एक्सप्लोजन से पिघल जायेगी। तत्काल सारी जमीन बाढ़ में डूब जायेगी। वैसी बाढ़ पुराने ग्रंथों में एक दफा और आयी है। ___ ईसाई कहते हैं, कि नोह ने अपनी नाव में लोगों को बचाया। सारी जमीन डूब गयी। अध्यात्म की दिशा में जो गहरे काम करते हैं वे कहते हैं, पूरा महाद्वीप, एटलांटिस डूब गया । पूरा महाद्वीप, जो उस समय की शिखर सभ्यता पर था, जैसे आज अमरीका, वैसे एटलांटिस पूरा का पूरा डूब गया। अभी तक यह समझा नहीं जा सका । दुनिया के सभी धर्मों की कथाओं में उस महान बाढ़, ग्रेट फ्लड की बात है। भारतीय कथाओं में, मिस्त्री कथाओं में, यूनानी कथाओं में, सारी दुनिया की कथाओं में उस बाढ़ की बात है। बाढ़ जरूर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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