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________________ छह लेश्याएं : चेतना में उठी लहरें से। और जीसस की मां को कह दो कि वह बच्चे को लेकर जितनी जल्दी हो सके बेथलहम छोड़ दे। उसी रात वे तीनों मनीषी राज्य को छोड़कर चले गए, और जीसस की मां और पिता को लेकर इजिप्त चले गये। बुद्ध का जन्म हुआ तो हिमालय से एक महर्षि भागा हुआ बुद्ध की राजधानी में आया। उस वृद्ध तपस्वी को देखकर बुद्ध के पिता बड़े हैरान हुए। उन्होंने कहा कि तुम्हें पता कैसे चला? तो उसने कहा कि पता चल गया; क्योंकि जिस लेश्या में मैं हूं, जिस क्षण में मैं हूं, वहां से दिखाई पड़ सकता है। अगर कोई इतना शुभ्र तारा जमीन पर पैदा हो। तुम्हारा बच्चा तीर्थंकर होने को है, बुद्ध होने को है।' __ बच्चे को लाया गया। बुद्ध के पिता तो बहुत हैरान हुए! उनको तो भरोसा न आया कि यह आदमी पागल तो नहीं है, क्योंकि उसने बच्चे के चरणों में सिर रख दिया। अभी कुछ ही दिन का बच्चा, और वह मनीषी रोने लगा जार-जार! बुद्ध के पिता डरे, और उन्होंने कहा कि क्या कुछ अशुभ होने को है? तुम रोते क्यों हो? ___तो उसने कहा कि नहीं, मैं इसलिये नहीं रोता हूं कि कुछ अशुभ होने को है। इसलिये रोता हूं कि मेरी मृत्यु करीब है; और जिस क्षण यह व्यक्ति बुद्धत्व को उपलब्ध होगा, उस समय मैं इसका सान्निध्य न पा सकूँगा। और ऐसी घड़ी को उपलब्ध होने की घटना कभी-कभी हजारों वर्षों में घटती है। तो मैं अपने लिए रो रहा हूं, इसके लिये नहीं रो रहा हूं। इसका तो यह आखिरी जीवन का शिखर है। श्वेत लेश्या लेकर जो व्यक्ति पैदा होता है, वह निर्वाण को उपलब्ध हो सकता है इसी जन्म में। क्योंकि धर्म की अंतिम सीमा पर पहंच गया, अब धर्म के भी पार जा सकता है। निर्वाण, ब्रह्म, मोक्ष-अधर्म के तो पार हैं ही, धर्म के भी पार हैं। पांच मिनट रुकें। कीर्तन करें. फिर जायें। 289 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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