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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 है, थोड़ा-सा बंधन शुभ्र का बाकी है। इसलिए पूरा विज्ञान विकसित हुआ था प्राचीन समय में-मरते हुए आदमी के पास ध्यान रखा जाता था कि उसकी कौन सी लेश्या मरते क्षण में है, क्योंकि जो उसकी लेश्या मरते क्षण में है, उससे अंदाज लगाया जा सकता है कि वह कहां जायेगा, उसकी कैसी गति होगी। ___ सभी लोगों के मरने पर लोग रोते नहीं थे, लेश्या देखकर...अगर कृष्ण-लेश्या हो तो ही रोने का कोई अर्थ है । अगर कोई अधर्म लेश्या हो तो रोने का अर्थ है, क्योंकि यह व्यक्ति फिर दुर्गति में जा रहा है, दुख में जा रहा है, नरक में भटकने जा रहा है। तिब्बत में बारदो पूरा विज्ञान है, और पूरी कोशिश की जाती थी कि मरते क्षण में भी इसकी लेश्या बदल जाये, तो भी काम का है। मरते क्षण में भी इसकी लेश्या काली से नील हो जाए, तो भी इसके जीवन का तल बदल जायेगा। क्योंकि जिस क्षण में हम मरते हैं—जिस ढंग से, जिस अवस्था में-उसी में हम जन्मते हैं। ठीक वैसे, जैसे रात आप सोते हैं, तो जो विचार आपका अंतिम होगा, सुबह वही विचार आपका प्रथम होगा। __इसे आप प्रयोग करके देखें । बिलकुल आखिरी विचार रात सोते समय जो आपके चित्त में होगा, जिसके बाद आप खो जायेंगे अंधेरे में नींद के-सुबह जैसे ही जागेंगे, वही विचार पहला होगा। क्योंकि रातभर सब स्थगित रहा, तो जो रात अंतिम था वही पहले सुबह प्रथम बनेगा। बीच में तो गैप है, अंधकार है, सब खाली है। इसलिए हमने मृत्यु को महानिद्रा कहा है। इधर मृत्यु के आखिरी क्षण में जो लेश्या होगी, जन्म के समय में वही पहली लेश्या होगी। इसलिए मरते समय जाना जा सकता है कि व्यक्ति कहां जा रहा है। मरते समय जाना जा सकता है कि व्यक्ति जायेगा कहीं या नहीं हाशन्य के साथ एक हो जायेगा । जन्म के समय भी जाना जा सकता है। ज्योतिष बहत भटक गया, और कचरे में भटक गया। अन्यथा जन्म के समय सारी खोज इस बात की थी कि व्यक्ति किस लेश्या को लेकर जन्म रहा है। क्योंकि उसके परे जीवन का ढंग और ढांचा वही होगा। ___ बुद्ध पैदा हुए... । और जब भी कोई व्यक्ति श्वेत लेश्या के साथ मरता है, तो जो लोग भी धर्म-लेश्याओं में जीते हैं, पीत या लाल में, उन लोगों को अनुभव होता है; क्योंकि यह घटना जागतिक है। और जब भी कोई व्यक्ति शुभ्र लेश्या में जन्म लेता है तो जो लोग भी लाल और पीत लेश्याओं के करीब होते हैं, या शुभ्र लेश्या में होते हैं, उनको अनुभव होता है कि कहां कौन पैदा हो रहा है। जीसस के जन्म पर पूरब से तीन व्यक्ति जीसस की खोज में निकले । जीसस का जन्म हुआ बेथलहम की एक घुड़साल में, जहां जानवर बांधे जाते हैं, उस पशुशाला में गरीब बढ़ई के घर । और पूरब के तीन मनीषी यात्रा पर निकले कि कहीं कोई शुभ्र लेश्या का व्यक्ति जन्मा है। इन तीन की वजह से हेरोत को पता चला, सम्राट को पता चला, क्योंकि ये तीन पहले हेरोत के पास पहुंचे। इन्हें क्या पता? इन्होंने कहा, सम्राट खुश होगा । इन्होंने जाकर हेरोत को कहा कि तुम्हारे राज्य में कोई व्यक्ति पैदा हुआ है, क्योंकि हम तीनों को संकेत मिले हैं। और हम तीनों ने ध्यान में यह जाना है। हम तीनों को यात्रा कराता हुआ आकाश में एक शुभ्र तारा चला है, और वह तारा बेथलहम पर आकर रुक गया है, तुम्हारे राज्य में । इस गांव में जरूर कोई व्यक्ति जन्मा है जो सच में सम्राट है। यह बात हेरोत को अखर गई—सच में सम्राट! तो उसने कहा कि तुम जाओ और उसका पता लगाओ, और लौटते में मुझे खबर करते जाना । हेरोत ने तय कर लिया कि हत्या कर देगा इस बच्चे की। क्योंकि सच में कोई सम्राट जन्म जाये तो मेरा क्या होगा?.. अहंकार, प्रतिस्पर्धा! वे तीनों व्यक्ति खोज करते हुए उस जगह पहुंचे । उस पशुशाला में जहां जीसस का जन्म हुआ था-घुड़साल में, उन्होंने जीसस की मां को भेंटें दी, जीसस के चरण छए । और उसी रात उनको स्वप्न आया कि तुम लौटकर हेरोत के पास मत जाओ, तुम भाग जाओ यहां 288 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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