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महावीर-वाणी भाग : 2
दस मिनट के बाद मुश्किल से वह पुलिस का आदमी जाकर पकड़ पाया और उसने कहा कि मैं गिरफ्तार करता हूं चार कारणों से । बीच
स-साठ मील की रफ्तार से तुम गाड़ी चला रहे हो। तुम्हें प्रकाश की कोई फिकर नहीं है। रेड लाइट है तो भी तुम चलाए जा रहे हो । जिस रास्ते से तुम जा रहे हो, यह वन-वे है और इसमें जाना निषिद्ध है। और मैं दस मिनट से साइरन बजा रहा हूं, लेकिन तुम सुनने को राजी नहीं हो। _ नसरुद्दीन, जो बगल में बैठा था मित्र के, खिड़की से झुका और उसने कहा, 'यू मस्ट नाट माइंड हिम आफिसर, ही इज डेड ड्रंक।' वह पांचवा कारण बता रहे हैं। इस पर खयाल मत करिए, वह बिलकुल बेहोश है, शराब में धुत है, माफ करने योग्य है।
जब भी आप कुछ गलत करते हैं तब आप शराब में धुत होते ही हैं। क्योंकि गलत हो ही नहीं सकता मर्छा के बिना । लेकिन मा भी इतना खयाल रखती है कि खुद को नुकसान न पहुंचे, इतनी सुरक्षा रखती है। हममें से अधिक लोग कृष्ण लेश्या में नहीं जीते। कभी-कभी कृष्ण लेश्या में उतरते हैं । वह हमारे जीवन का रोजमर्रा का ढंग नहीं है। लेकिन कभी-कभी हम कृष्ण लेश्या में उतर जाते हैं।
कोई क्रोध आ जाये, तो हम उतर जाते हैं और इसीलिए क्रोध के बाद हम पछताते हैं। और हम कहते हैं, जो मुझे नहीं करना था वह मैंने किया। जो मैं नहीं करना चाहता था, वह मैंने किया। बहत बार हम कहते हैं, 'मेरे बावजद यह हो गया।' यह आप हैं? क्योंकि यह आपने ही किया। आप एक सीढ़ी नीचे उतर गए। जो आपके जीवन का ढांचा था; जिस सीढ़ी पर आप सदा जीते हैं-नील लेश्या-उससे जब आप नीचे उतरते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी और ने आप से करवा लिया । क्योंकि उसलेश्या से आप अपरिचित हैं। नील लेश्या शुद्ध स्वार्थ है, लेकिन कृष्ण लेश्या से बेहतर।
तीसरी लेश्या को महावीर ने 'कापोत' कहा है-कबूतर के कंठ के रंग की। नीला रंग और भी फीका हो गया, आकाशी रंग हो गया। ऐसा व्यक्ति खुद को थोड़ी हानि भी पहुंच जाये, तो भी दूसरे को हानि नहीं पहुंचायेगा। खुद को थोड़ा नुकसान भी होता हो तो सह लेगा, लेकिन इस कारण दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचायेगा। ऐसा व्यक्ति परार्थी होने लगेगा। उसके जीवन में दूसरे की चिंतना और दूसरे का ध्यान आना शुरू हो जायेगा।
ध्यान रहे. पहली दो लेश्याओंवाले लोग प्रेम नहीं कर सकते। कष्ण-लेश्यावाला तो सिर्फ घणा कर सकता है। नील-लेश्यावाला व्यक्ति सिर्फ स्वार्थ के संबंध बना सकता है। कापोत-लेश्यावाला व्यक्ति प्रेम कर सकता है, प्रेम का पहला चरण उठा सकता है; क्योंकि प्रेम का अर्थ ही है कि दूसरा मुझसे ज्यादा मूल्यवान है । जब तक आप ही मूल्यवान हैं और दूसरा कम मूल्यवान है, तब तक प्रेम नहीं है। तब तक आप शोषण कर रहे हैं। तब तक दूसरे का उपयोग कर रहे हैं। तब तक दूसरा एक वस्तु है, व्यक्ति नहीं । जिस दिन दूसरा भी मूल्यवान है, और कभी आपसे भी ज्यादा मूल्यवान है, कि वक्त आ जाये तो आप हानि सह लेंगे लेकिन उसे हानि न सहने देंगे। तो आपके जीवन में एक नई दिशा का उदभव हुआ। ___ यह तीसरी लेश्या अधर्म की धर्म-लेश्या के बिलकुल करीब है, यहीं से द्वार खुलेगा । परार्थ, प्रेम, दया, करुणा की छोटी-सी झलक इस लेश्या में प्रवेश होगी, लेकिन बस छोटी-सी झलक।
आप दसरे पर ध्यान देते हैं. लेकिन वह भी गहरे में अपने ही लिये। आपकी पत्नी है. अगर कोई हमला कर दे तो आप बचायेंगे उसको–यह कापोत-लेश्या है। आप बचायेंगे उसको-लेकिन आप बचा इसलिए रहे हैं कि वह आपकी पत्नी है। किसी और की पत्नी पर हमला कर रहा हो तो आप खड़े देखते रहेंगे!
'मेरे' का विस्तार हुआ, लेकिन 'मेरा' मौजूद है। और अगर आपको यह भी पता चल जाए कि यह पत्नी धोखेबाज है, तो आप हट जायेंगे। आपको पता चल जाये कि इस पत्नी का लगाव किसी और से भी है, तो सारी करुणा, सारा प्रेम, सारी दया खो जायेगी। इस
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