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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 नग्न देखकर आपके मन में कुछ बातें उठती हैं, जो आप चाहते हैं न उठे, लेकिन आंतरिक घटना ही है पीछे कारण। ___ एक नग्न स्त्री जा रही हो, तो आपको बेचैनी इसलिए नहीं होती है कि वह नग्न है, बेचैनी इसलिए होती है कि वह नग्न है, कहीं मैं कुछ कर न गुजरूं । आपको अपने पर भरोसा नहीं है, इसलिए नग्न स्त्री से आपको घबड़ाहट होती है कि कहीं मैं कुछ कर न गुजरूं । कहीं इतना पागल न हो जाऊं नग्न देखकर उसे कि मुझे कुछ हो जाये। तो आप बजाय अपनी इस वृत्ति को समझने के, कानून बनाते हैं कि कोई नग्न नहीं हो सकता। और आपको कानून बनाने में लोग सहयोगी मिल जायेंगे, क्योंकि उनका भी रोग यही है । बराबर मिल जायेंगे। वे कहेंगे, आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं, कोई नग्न नहीं हो सकता। मैं एक छोटी-सी कहानी पढ़ रहा था। एक छोटे बच्चे को लेकर उसकी चाची समुद्र के किनारे घूमने गई है। वहां एक भिखमंगा अधनगा बैठा है खुली धूप में । चाची उस भिखमंगे को एकदम देखकर घबड़ा गई, वह लड़के को खींचने लगी। लड़का कहने लगा, 'रुको भी तो, यह भिखमंगा कितनी मस्ती से बैठा है ! वह बोली, 'वहां देख ही मत ।' तो वह लड़का, जब उसको रोका गया, तो उसका और देखने का मन हआ कि मामला क्या है ? इस तरह से पहले चाची ने कभी उसे खींचा नहीं ! लेकिन चाची उसे बदहवास खींच रही है, और वह लौट-लौटकर पीछे देख रहा है। चाची कह रही है कि 'तू शैतान है बिलकुल।' लड़का कहता है, मगर वह कितनी मस्ती से बैठा हुआ है-झाड़ के नीचे, अधनंगा !' । फिर वे घर आ जाते हैं। चाची मां से बात करती है, दोनों परेशान हो जाती हैं। पुलिस को फोन करती हैं, पुलिस आ जाती है। वह लड़का बड़ा हैरान है कि उस आदमी ने किसी का कुछ बिगाड़ा नहीं, कुछ बोला भी नहीं, अपनी मस्ती में बैठा हुआ है लेकिन यह क्या हो रहा है? उसने कुछ भी तो नहीं किया है करने के नाम पर! ___ तो वह छत पर चला जाता है और देखता है कि पुलिस उस भिखमंगे को मार रही है डंडों से । उसकी जननेंद्रिय पर जूते से चोट कर रही है। वह लड़का चीखता है, रोता है, लेकिन उसकी समझ से बाहर है मामला। शाम को वह अपने बाप से पूछता है कि बात क्या है ? उस आदमी को क्यों सताया गया? तो बाप कहता है कि वह बहुत बुरा आदमी है। वह लड़का कहता है कि 'उसने कुछ किया ही नहीं तो बुरा कैसे हो सकता है?' तो बाप कहता है कि 'तू अभी नहीं समझेगा, बाद में समझेगा । यह बात समझाने की नहीं है; उसने बहुत बुरा काम किया है।' उस लड़के ने कहा, पर उसने कुछ किया ही नहीं ! मैं मौजूद था, और चाची झूठ बोल रही है!' ___ उस आदमी ने कुछ भी नहीं किया है, कुछ चाची को हुआ है। मगर यह लड़का कैसे समझ सकता है, क्योंकि यह अभी इतना बीमार नहीं हुआ। अभी यह नया है इन पागलों की जमात में। अभी इसकी दीक्षा नहीं हुई। अभी इसकी समझ के बाहर है। - तो बाप कहता है कि वह बहुत बुरी बात थी और इसकी तू चर्चा मत उठाना, इसे बिलकुल भूल जा । तो वह कहता है , 'पुलिस का मारना उस गरीब आदमी को निश्चित ही बुरा था।' तो बाप कहता है, 'पुलिस का मारना बुरा नहीं था नालायक , वह आदमी जो कर रहा था...!' ...और वह कर कुछ भी नहीं रहा था, सिर्फ अधनंगा बैठा था ! हमारे भीतर कुछ होता रहता है, उसको तो हम दबा लेते हैं और बाहर दोष खड़ा कर देते हैं। अन्तराय पर जिसका ध्यान चला जाये , वह व्यक्ति धीरे-धीरे हल्का होने लगता है और उसका बोझ , उस की जंजीरें गिरने लगती हैं। जंजीर आपने पकड़ रखी है, छोड़ दें। मुक्ति आपका स्वभाव है। 270 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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