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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 निश्चित ही, मजनूं के लिए लैला असाधारण है । लैला का सवाल नहीं है, मजनूं की आंख का सवाल है। आपको क्या चीज आकर्षित करती है, उसका सवाल है। ___ एक दिन नसरुद्दीन निकल रहा है सड़क से । पत्नी जरा पीछे रह गई। नसरुद्दीन ने सड़क से झुककर कुछ उठाया, फिर क्रोध से फेंका। पत्नी तब तक पास आ गई थी। नसरुद्दीन ने कहा कि 'अगर यह आदमी मुझे मिल जाये, तो इसकी गर्दन उतार लूं।' तो उसकी पत्नी ने पूछा, 'मामला क्या है ? कौन आदमी ? यहां तो कोई है नहीं !' उसने कहा , 'वह आदमी जो इस तरह थूकता है, जैसी अठन्नी मालूम पड़े...अगर मुझे मिल जाये, तो उसकी गर्दन उतार लू !' अठन्नी से कुछ लेना-देना नहीं है । अपना ही 'मोहनीय-कर्म'... आपके भीतर का आकर्षण, मोह, लोभ-वह आपको पकड़े हुए है। पांचवें को महावीर कहते हैं, 'आयु' । महावीर कहते हैं, आयु जो उपलब्ध होती है, वह कर्मों के अनुसार उपलब्ध होती है। इसलिए उसे कम-ज्यादा करने की चेष्टा व्यर्थ है। और उसे ज्यादा करने की जो चेष्टा करता है, उससे उसकी उम्र ज्यादा नहीं हो पाती, नया जन्म निर्मित होता है। महावीर कहते हैं. हर आदमी अपने कर्मों के अनसार उम्र लेकर पैदा होता है। एक आदमी को सत्तर साल जीना है, लेकिन कोई आदमी सत्तर साल जीना नहीं चाहता। सात सौ साल भी कम मालूम पड़ते हैं। सात हजार साल भी कोई कहे, तो भी आप कहेंगे : 'क्या कुछ और नहीं बढ़ सकती?' यह जो बढ़ने की आकांक्षा है, इससे उम्र नहीं बढ़ती, महावीर कहते हैं, लेकिन नया जन्म बढ़ जाता है। यह शरीर तो सत्तर साल में गिरेगा, लेकिन अगर आप सात सौ साल जीना चाहते हैं, तो आपको और पंद्रह-बीस जन्म लेने पड़ेंगे। क्योंकि आपकी वासना आपको जन्म दिलाती है। ___ आयु कर्म से उपलब्ध होती है। इसलिए आयु जितनी हो, उसकी स्वीकृति चाहिये, तो नए जन्म की दौड़ बंद हो जाती है। महावीर कहते हैं, न तो फिक्र करनी चाहिये कि ज्यादा जियूं, न फिक्र करनी चाहिये कि कम जियूं । दोनों हालत में गलती हो रही है। ___ कुछ लोग जीवन से उदास हो जाते हैं। घर जल जाये, बैंक डूब जाये, या दिवाला निकल जाये-कुछ हो जाये तो वे कहते हैं, 'मर जायेंगे। वे अपनी उम्र कम करना चाहते हैं। लेकिन कर्मों से जितनी उम्र मिली है, वह भोगनी ही पड़ेगी। अगर किसी आदमी को सत्तर साल जीना हो और वह चालीस में मर जाये, तो वह जो बीस सालों का कर्म बाकी रह जायेगा, वह उसे नये जन्म में आदमी को सत्तर साल जीना है, और सात सौ की कामना रखता है, तो वह कामना उसे अगले जन्मों में ले जायेगी। महावीर कहते हैं कि आयु मिलती है पिछले जन्मों के कर्मों से। इसलिए जितनी आयु मिली है, उसको उतना स्वीकार कर लेना चाहिये । न अपने मरने की चेष्टा करनी चाहिये, और न जिलाने की । साक्षी-भाव से जितनी है, वह हमारा पिछला ऋण है—चुक जाये। और सब शांत हो जाये । जीवेषणा अगर बनी रहे, तो आदमी को खींचती चली जाती है। उस जीवेषणा के कारण अनंत भव का भटकाव हो जाता है। ___ यह जो आयु है, यह आपके हाथ में नहीं है, यह आपके पिछले कर्मों पर निर्भर है। यह बात बहुत दूर तक सही है, वैज्ञानिक रूप से भी सही है। हालांकि वैज्ञानिक राजी नहीं होंगे इस बात से । वे कहेंगे अगर हम आदमी को ठीक सुविधा दें, स्वस्थ रखने की व्यवस्था दें, इलाज दें, तो वह सत्तर साल जी सकता है। और उसको खाने-पीने न दें, इलाज न दें, तो चालीस साल में मर सकता है। महावीर कहते हैं, चालीस साल में वह मर सकता है, चालीस साल क्या, चार दिन में मर सकता है, अगर गोली मार दें, जहर दे दें, लेकिन इससे उसका आयु-कर्म कम नहीं किया जा सकता । वह नये जन्म में उतने आयु-कर्म को पूरा करेगा। उससे फर्क नहीं पड़ता है। वह जो उसका कर्म है, जितना उसने इकट्ठा किया है ; जीने की जितनी वासना उसने इकट्ठी की है, उतनी वासना उसे पूरी करनी पड़ेगी। वह मोमेंटम 266 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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