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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 दीया जल रहा है, वह क्या कर रहा है? आसपास जो आक्सीजन है, प्राणवायु है, उसको अवशोषित कर रहा है। वह प्राणवायु ही दीये में जल रही है। इसलिए कभी ऐसा हो सकता है कि तूफान आ रहा हो और आप सोचें कि दीया बुझ न जाए, तो उसे बर्तन से ढंक दें। हो सकता था तूफान दीए को न बुझा पाता, लेकिन आपका बर्तन दीए को बुझा देगा। क्योंकि बर्तन के भीतर की आक्सीजन थोड़ी ही देर में समाप्त हो जायेगी। और जैसे ही आक्सीजन समाप्त हुई कि दीया बुझ जायेगा। __ आक्सीजन के बिना अग्नि नहीं हो सकती। आप भी यही कर रहे हैं। श्वास लेकर, जीवन के दीये को आक्सीजन दे रहे हैं। आपकी श्वास बंद हुई कि आप भी बुझ जायेंगे। तो वैज्ञानिक तो कहते हैं कि जीवन आक्सीडाइजेशन है । विज्ञान की भाषा में ठीक कहते हैं। सारा जीवन आक्सीजन पर निर्भर है। आप आक्सीजन को जला रहे हैं। और जब जल जाती है आक्सीजन, तो कार्बनडाईआक्साईड को बाहर फेंक रहे हैं। एक क्षण को भी हवा से आक्सीजन तिरोहित हो जाये, जीवन पृथ्वी से तिरोहित हो जायेगा। आक्सीजन जब भीतर जलती है, तो जीवन की ज्योति पैदा होती है। यह जो जीवन की ज्योति है, इसके दो उपयोग हो सकते हैं । एक उपयोग है, काम वासना में इस जीवन की ज्योति को बाहर निष्कासित करना। और ध्यान रहे । जीवन जब भर जाता है भीतर, अगर आप उसका कोई भी उपयोग न करें तो बोझिल हो जायेंगे, परेशान हो जायेंगे। प्रवाह रुक जाये तो बेचैनी हो जायेगी। ___ कामवासना का इसीलिए इतना आकर्षण है । क्योंकि कामवासना जीवन की बढ़ी हुई शक्ति को फेंकने का उपाय है । आप फिर खाली हो जाते हैं, फिर श्वास लेकर जीवन को भरने लगते हैं । फिर जीवन इकट्ठा हो जाता है। फिर आप खाली हो जाते हैं। ___ 'तप' ठीक इसी से संबंधित दसरी प्रक्रिया है। वह जो जीवन की अधिक ऊर्जा भीतर इकट्ठी होती है, उस ऊर्जा को काम वासना में न बहने देने का नाम 'तप' है। उस गर्मी को, उस अग्नि को बाहर न जाने देना और भीतर की तरफ ऊर्ध्वगामी करने का नाम तप है। वह जो जीवन की ज्योति है, वह भीतर की तरफ बहने लगे-बाहर की तरफ नहीं, दूसरे की तरफ नहीं । __कामवासना का अर्थ है-दूसरे की तरफ, साधना का अर्थ है-अपनी ही तरफ। अंतर्यात्रा पर जीवन ऊर्जा बहने लगे, वह जो अग्नि जीवन की पैदा हो रही है, वह बाहर न जाये, बल्कि भीतर उसकी यात्रा शुरू हो जाये । अग्नि की अंतर्यात्रा का नाम तप है । उसके वैज्ञानिक उपाय हैं कि वह कैसे भीतर बहना शुरू हो सकती है। ___ ध्यान रहे, जो चीज भी बाहर बह सकती है, वह भीतर भी बह सकती है। जो चीज भी बह सकती है, उसकी दिशा भी बदली जा सकती है। अगर बहाव है पूरब की तरफ, तो पश्चिम की तरफ भी हो सकता है। प्रक्रिया का पता होना चाहिये कि वह पश्चिम की तरफ कैसे हो जाये। हमारी सारी जीवनऊर्जा बाहर बह रही है। न्ला नसरुद्दीन मरने के करीब था। उसकी पत्नी ने कहा कि 'नसरुद्दीन, अगर तुम पहले मर जाओ तो मरने के बाद संपर्क साधने की कोशिश करना । मैं जानना चाहती हूं कि ये हिन्दू जो कहते हैं कि आत्मा फिर से जन्म लेती है, यह सच है या नहीं? अगर मैं मरूं तुमसे पहले तो मैं कोशिश करूंगी तुमसे संपर्क साधने की।' ___ नसरुद्दीन मरा पहले । सालभर तक उसकी विधवा पत्नी राह देखती रही । कुछ हुआ नहीं । कोई खबर न मिली। फिर धीरे-धीरे बात ही भूल गई। एक दिन अचानक सांझ को चाय बनाती थी चौके में और नसरुद्दीन की आवाज आई-फातिमा! घबड़ा गई। आवाज वैसी ही थी जैसे नसरुद्दीन रोज सांझ को जब जीवित था और बाजार से, दुकान से वापस लौटता था और–नसरुद्दीन ने कहा, 'घबड़ा मत, वायदे के अनुसार तुझे खबर करने आया हूं। मेरा जन्म हो गया है। और दूसरे खेत में देख, एक खूबसूरत गाय खड़ी है। सफेद 206 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org:
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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