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अरात्रि-भोजन : शरीर-ऊर्जा का संतुलन
कोई सुंदर चेहरे को देखे। तिजोरी को वह वैसे ही प्रेम से खोलता है, जैसे कोई अपनी प्रेयसी को बिठाये। रात सपनों में प्रेयसी नहीं आती, तिजोरी आती है। यह धन जो है, इसके लिए सेक्स आब्जेक्ट है। यह धन के साथ मैथुन-रत है। इसलिए जो आदमी धन का दीवाना होता है, वह किसी को प्रेम नहीं कर सकता। धन पर्याप्त है। इसलिए धन का दीवाना पत्नी को प्रेम नहीं कर सकता, बच्चों को प्रेम नहीं कर सकता। सभी प्रेम बड़े ईर्ष्यालु हैं। अगर धन से प्रेम हो गया तो धन दूसरे से प्रेम न होने देगा। प्रेम जेलस है। धन ने अगर पकड़ लिया तो फिर नहीं होने देगा।
फैराडे, एक वैज्ञानिक को कोई पूछता था कि तुमने विवाह क्यों नहीं किया? उसने कहा कि जिस दिन विज्ञान से विवाह कर लिया, उस दिन सौतेली पत्नी घर में लाने की हिम्मत फिर मैंने न जुटायी। __ अकसर, वैज्ञानिक हों, चित्रकार हों, कवि हों, संगीतज्ञ हों, पत्नी से बचते हैं। नहीं बचते तो पछताते हैं। पछताना पड़ेगा, क्योंकि दो पत्नियां! ___ मुल्ला नसरुद्दीन का बेटा उससे पूछ रहा था कि पिताजी कानून ने दो विवाह पर रोक क्यों लगा रखी है? तो नसरुद्दीन ने कहा,
जो अपनी रक्षा खुद नहीं कर सकते, कानून को उनकी रक्षा करनी पड़ती है। जो अपनी रक्षा खुद नहीं कर सकते, कानून को उनकी रक्षा करनी पड़ती है। एक ही पत्नी काफी है। मगर आदमी कमजोर है, दो, चार, दस इकट्ठी कर ले सकता है। तो कानून को उसकी रक्षा करनी पड़ती है कि ऐसी भूल मत करना। __ अकसर, जिनको किसी खोज में लीन होना है, वे विवाह से बच जाते हैं। उसका और कोई कारण नहीं है, क्योंकि वह खोज ही उनके लिए सेक्स आब्जेक्ट है। जो संगीत का दीवाना है, उसके लिए संगीत प्रेयसी है। जो काव्य का दीवाना है, कविता उसकी प्रेयसी है। अब दूसरी पत्नी कठिनाई खड़ी कर देगी। और पत्नियां इसे भली-भांति जानती हैं। कभी-कभी ऐसी भूल चूक हो जाती है कि कोई कवि शादी कर लेता है, तो पत्नी के बर्दाश्त के बाहर होता है कि वह कविता लिखे बैठ कर, उसके सामने। पत्नी मौजूद हो और पति कविता लिखे, तो पत्नी छीन कर फेंक देगी उसकी कविता। वैज्ञानिकों के हाथ से उनके उपकरण छीन लिए हैं। दार्शनिकों
हाथ से उनके शास्त्र छीन लिए हैं। हमें हैरानी लगती है कि आखिर यह पत्नी को क्या हो रहा है! अगर सुकरात अपनी किताब पढ़ रहा है, तो यह जेनथेपे उसे किताब पढ़ने क्यों नहीं देती! ___हमें लगता है कि पागल औरत है। पागल नहीं है वह। जाने अनजाने वह समझ गयी है कि किताब ज्यादा महत्वपूर्ण है सुकरात के लिए पत्नी की बजाय। जब पत्नी मौजूद है, पति अखबार पढ़ रहा है तो बात साफ है कि वहां महत्वपूर्ण कौन है! कौन महत्वपूर्ण है, यह बात साफ है। तो अगर पत्नी अखबार को छीन कर फाड़कर फेंक देती है, तो पत्नी की अंतःप्रज्ञा उसको ठीक-ठीक दिशा दे रही है। वह ठीक समझ रही है।
जो व्यक्ति जिसमें लीन हो जाता है, वही उसके लिए काम-विषय हो जाता है। लीनता, काम-विषय का लक्षण है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी लीनता स्त्री और पुरुष के प्रति ही हो। आपकी लीनता किसी भी चीज के प्रति हो जाये, तो जो संबंध है वह काम का हो जाता है। लोभ काम की यात्रा पर निकल जाता है। फिर चाहे धन, चाहे यश, चाहे पद, चाहे पुण्य, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। __ लोभ का एक लक्षण है, अपने से बाहर जाना। दूसरे की खोज। दूसरे के बिना जीना मुश्किल। दूसरा स्वयं से ज्यादा महत्वपूर्ण है। दूसरे की महिमा ज्यादा, स्वयं की महिमा गौण। और जिसकी स्वयं की महिमा गौण है वह कहीं भी भटके, भिखारी ही रहेगा। इसलिए लोभी सदा भिखारी है, सम्राट हो जाये तो भी। उसका भिक्षा-पात्र खाली ही रहता है। और फिर लोभ से पैदा होती हैं सारी
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