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महावीर वाणी
लेकिन जानकर,
कि
अधूरा है। अंश है, पूरा नहीं है । और कहो जानकर कि उससे विपरीत भी सही हो सकता । तुम्हारा वक्तव्य, तुम जो कहते हो वह बताता है, लेकिन किसी का खंडन नहीं करता ।
विज्ञान में आइंस्टीन के साथ हम फिर दूसरी दिशा से सत्य के निकट पहुंचे। सब अनिश्चित हो गया। आइंस्टीन ने कहा, कहो, लेकिन ध्यान रखना कि सब तुलनात्मक है । कोई चीज पूर्ण नहीं है, सब अधूरा है। और इसलिए अनिश्चय ज्ञान का अनिवार्य अंग है । वक्तव्य अनिश्चित होंगे, अनुभव निश्चित हो सकता है।
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सत्य के लिए इतनी कठिन शर्तें - क्रोध, लोभ, भय, हंसी-मजाक में भी असत्य नहीं बोलना चाहिए।
हंसी-मजाक में भी हम अहैतुक नहीं बोलते सत्य, उसमें हेतु होता है। अकसर तो जब आप मजाक करते हैं किसी का, तो चोट पहुंचाने के लिए ही करते हैं। इसलिए बुद्धिमान आदमी दूसरे का मजाक न करके, अपना ही मजाक करता है। दूसरे पर कोई मजाक हिंसा हो सकती है।
भाग : 1
यह मुल्ला नसरुद्दीन की मैं इतनी कहानियां आपको कहता हूं। इसकी कहानियां खुद के ऊपर किये गये मजाक हैं, खुद के ऊपर किये गये मजाक हैं। हर कहानी में मुल्ला खुद ही फंसता है। खुद ही मूढ़ सिद्ध होता है। अपने पर हंस रहा है ।
नसरुद्दीन ने कहा है कि जो दूसरों पर हंसता है, वह नासमझ और जो अपने पर हंस सकता है, वह समझदार है।
हम मजाक भी करते हैं, तो उसमें चोट है, आघात है किसी के लिए। फ्रायड ने मजाक पर बड़ी खोज की है। वह महावीर से राजी होता, अगर उसको पता चलता कि महावीर ने कहा है कि मजाक में भी असत्य मत बोलना। फ्रायड ने कहा है, तुम्हारी सब मजाकें तरकीबें हैं। तुम जो हिम्मत से सीधा नहीं बोल पाते, वह तुम मजाक से बोलते हो ।
इसलिए कभी खयाल किया आपने कि अगर आप जितनी जोक्स आपने सुनी हों उनमें निन्यानबे प्रतिशत सेक्स से संबंधित क्यों होती हैं? और जिस मजाक में कामवासना न आ जाये, उसमें मजाक जैसा भी मालूम नहीं पड़ता। क्यों? क्योंकि सेक्स के संबंध में हम सीधा नहीं बोल सकते, इसलिए मजाक से बोलते हैं। वह झूठ है हमारा, छिपाया हुआ। जो हम सीधा नहीं बोल सकते, उसे हम गोल-गोल घुमा घुमा कर बोलते हैं ।
कभी आपने खयाल किया कि मजाक में आप किसको अपमानित करते हैं?
समझ लें कि एक रास्ते पर एक राजनीतिक नेता एक केले के छिलके पर फिसलकर गिर पड़े, तो आपको ज्यादा मजा आयेगा, बजाय एक मजदूर गिर पड़े तो । क्यों? क्योंकि राजनीतिक नेता को आप नीचे गिराकर देखने की बड़ी दिल से इच्छा रखकर बैठे हैं। एक मजदूर गिर पड़े तो दया भी आयेगी कि बेचारा । एक राजनीतिक गिर पड़े तो दिल खुश हो जायेगा। केला, छिलका वही है, गिरने की घटना वही है। लेकिन राजनीतिक नेता गिरता है तो इतना मजा क्यों आता है? बहुत दिनों से चाहा था कि गिरे । जो हम न कर पाये वह केले के छिलके ने कर दिखाया। इसलिए दिल खुश हो जाता है।
हमारी मजाक में भी हमारे हेतु हैं। हम जब हंसते हैं, तब भी हमारे हेतु हैं। हम न तो अकारण हंस सकते हैं और न अकारण रो सकते हैं। सब जगह हेतु है ।
महावीर कहते हैं, वहां भी खोजते रहना, सावधान रहना, मजाक में भी असत्य नहीं ।
आज इतना
रुकें पांच मिनट, कीर्तन करें।
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