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महावीर-वाणी
भाग : 1
उस जगह से गुजरते हैं जहां कोई गियर नहीं होता है, क्योंकि उसके बिना गुजरे आप दूसरे गियर में गाड़ी को डाल नहीं सकते। ___ तो जब रात आप सोते हैं, और जागने से नींद में जाते हैं तो आपकी चेतना का पूरा गियर बदलता है और एक क्षण को आप न्यूट्रल में, तटस्थ गियर में होते हैं। जहां न आप शरीर होते हैं, न आत्मा। जहां आपकी कोई मान्यता काम नहीं करती। उस क्षण में आप जो भी मान्यता दोहरा लेंगे वह आप में गहरे प्रवेश कर जाएगी। इसलिए रात सोते वक्त यह दोहराते हुए सोना कि मैं शरीर नहीं है, मैं शरीर नहीं हूं, मैं शरीर नहीं हूं। आप दोहराते रहें, आपको पता न चले कि कब नींद आ गयी। आपका दोहराना तभी बंद हो जब अपने से बंद हो जाए। तो शायद उस क्षण के साथ संबंध बैठ जाए, और उस क्षण में, और वह क्षण बहुत छोटा है-उस क्षण में अगर यह भाव प्रवेश कर जाए कि मैं शरीर नहीं हूं, जब आप चेतना रूपांतरित कर रहे हैं तो आपके गहरे अचेतन में चला जाएगा। ___ अभी रूस में उन्होंने एक शिक्षा की नयी पद्धति-हिप्नोपीडिया, नींद में शिक्षा देना, शुरू की। उसमें वे इस बात का प्रयोग कर रहे हैं। इसलिए बहुत पुराने दिनों से लोग प्रभु-स्मरण करते हुए, आत्म-स्मरण करते हुए सोते थे। मैं समझता हूं, आप नहीं सोते , आप शायद फिल्म की जो कहानी देख आए हैं, उसको दोहराते हुए सोते हैं। उस क्षण भी आप दोहरा रहे हैं वह आपके भीतर गहरा चला जायेगा। तो अगर आप गलत दोहरा रहे हैं तो आप आत्महत्या कर रहे हैं। आपको पता नहीं कि आप क्या कर रहे हैं।
हिप्नोपीडिया में रूस में आज कोई लाखों विद्यार्थी शिक्षा पा रहे हैं। रेडियो स्टेशन से ठीक वक्त पर उन सबको सूचना मिलती है कि वे दस बजे सो जाएं। जैसे ही वे दस बजे सो जाते हैं, दस बजकर पंद्रह मिनट पर उनके कान के पास तकिये में लगा हुआ यंत्र उन्हें सचना देना शुरू कर देता है। जो भी उन्हें सिखाना है-अगर उन्हें फ्रेंच भाषा सीखनी है तो फ्रेंच भाषा की सूचनाएं शुरू हो जाती हैं। और वैज्ञानिक चकित हुए हैं कि जागने में हम जो चीज तीन साल में सिखा सकते हैं वह सोने में तीन सप्ताह में सिखा सकते हैं।
और बहुत जल्द दुनिया में क्रांति घटित हो जाएगी और बच्चे स्कूल में दिन में न पढ़कर रात में ही जाकर सो जाया करेंगे। दिनभर खेल सकते हैं, एक अर्थ में अच्छा होगा क्योंकि बच्चों का खेल छिन जाने से भारी नुकसान हुए हैं। वे उनको वापस मिल जाएंगे। या रात आपके घर में भी वे सो सकते हैं, स्कूल में जाने की कोई जरूरत न होगी। उनको वहां भी शिक्षा दी जा सकती है, वह कभी-कभी परीक्षा देने स्कूल जा सकते हैं। अभी तक नींद में परीक्षा लेने का कोई उपाय नहीं है, परीक्षा जागने में लेनी पड़ेगी शायद । लेकिन नींद के क्षण बहुत ज्यादा सूक्ष्म रूप से ग्राहक और रिसेटिव हैं, इस बात को वैज्ञानिकों ने स्वीकार कर लिया है। - इसमें भी सर्वाधिक ग्राहक क्षण वह है, जब आप जागने से नींद में बदलते हैं। ठीक इसी तरह सुबह जब आप नींद से जागने में बदलते हैं तब फिर एक ग्राहक क्षण आता है। उस क्षण भी आप स्मरण करते हुए उठे। जब सुबह नींद खुले तब आप स्मरण-पहला स्मरण यह करें कि मैं शरीर नहीं हूं। आंख बाद में खोलें। कुछ और बाद में सोचें। जैसे ही पता चले कि नींद टूट गयी, पहला स्मरण कि मैं शरीर नहीं हूं। और ध्यान रहे, अगर आप रात आखिरी स्मरण यही किए हैं कि मैं शरीर नहीं है, तो सुबह अपने-आप यह पहला स्मरण बन जाएगा कि मैं शरीर नहीं हैं।
क्योंकि चित्त का जो लोग अध्ययन करते हैं वे कहते हैं-रात का आखिरी विचार सुबह का पहला विचार होता है। आप अपनी जांच करेंगे तो आपको पक्का पता चल जाएगा कि रात का आखिरी विचार सुबह का पहला विचार होता है। क्योंकि जहां से आप विचार को छोड़कर सो जाते हैं, विचार वहीं प्रतीक्षा करता रहता है। सुबह जब आप जागते हैं वह फिर आप पर सवारी कर लेता है। जिस विचार को आप रात छोड़कर सो गए हैं वह सुबह आपका पहला विचार बनेगा। अब अकसर आप क्रोध, काम, लोभ के किसी विचार को रात छोड़कर सो जाते हैं; सुबह से वह फिर आप पर सवारी कर लेता है।
यह बहुत ज्यादा सेंसेटिव, संवेदनशील क्षण है—सूर्य की बदलाहट या आपकी चेतना की बदलाहट। बीमारी से जब आप स्वस्थ
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