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महावीर-वाणी
भाग : 1
चूहे को, चुहिया को ऊपर रखा और उसके आठ बच्चों को पानी के भीतर, पनडुब्बी के भीतर हजारों फीट नीचे सागर में भेजा। पनडुब्बी का इसलिए उपयोग किया कि पानी के भीतर पनडुब्बी से कोई रेडियो-वेव्स बाहर नहीं आती, न बाहर से भीतर जाती हैं। अब तक जानी गयी जितनी वेव्स वैज्ञानिकों को पता हैं, जितनी तरंगें, वे कोई भी पानी के भीतर इतनी गहराई तक प्रवेश नहीं करतीं। एक गहराई के बाद सूर्य की किरण भी पानी में प्रवेश नहीं करती।
तो उस गहराई के नीचे पनडुब्बी को भेज दिया गया, और इस चुहिया की खोपड़ी पर सब तरफ इलेक्ट्रोड्स लगाकर ई. ई. जी. से जोड़ दिये गए - मशीन से, जो चुहिया के मस्तिष्क में जो वेव्स चलती हैं उसको रिकार्ड करे। और बड़ी अदभुत बात हुई। हजारों फीट नीचे, पानी के भीतर एक-एक उसके बच्चे को मारा गया खास - खास मोमेंट पर नोट किया गया - जैसे ही वहां बच्चा मरता, वैसे ही यहां उसकी ई. ई. जी. की वेव्स बदल जाती - दुर्घटना घटित हो गयी। ठीक छह घण्टे में उसके बच्चे मारे गये
- खास-खास समय पर, नियत समय पर। उस नियत समय का ऊपर कोई पता नहीं है। नीचे जो वैज्ञानिक है उसको छोड़ दिया गया है कि इतने समय के बीच वह कभी-भी, पर नोट करलें मिनट और सैकण्ड। जिस मिनट और सैकण्ड पर नीचे चहिया के बच्चे मारे गये, उस मां ने उसके मस्तिष्क में उस वक्त धक्के अनुभव किए। वार्सिलिएव का कहना है कि जानवरों के लिए टैलिपैथिक सहज-सी घटना है। आदमी भूल गया है, लेकिन जानवर अभी-भी टेलिपैथिक जगत में जी रहे हैं।
मंत्र का उपयोग है, आपको वापस टेलिपैथिक जगत में प्रवेश - अगर आप अपने को छोड़ पायें, हृदय से, उस गहराई से कह पायें जहां कि आपकी अचेतना में डूब जाता है सब - "नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सव्वसाहणं, यह भीतर उतर जाए तो आप अपने अनुभव से कह पायेंगे : 'सव्वपावप्पणासणो,' यह सब पापों का नाश करने वाला महामंत्र है।
आज इतनी ही बात। फिर अब इस महामंत्र का हम उदघोष करेंगे। इसमें आप सम्मिलित हों – नहीं, कोई जाएगा नहीं। कोई जाएगा नहीं। जिन मित्रों को खड़े होकर सम्मिलित होना हो, वे कुसिर्यों के किनारे खड़े हो जाएं, क्योंकि संन्यासी नाचेंगे और इस मंत्र के उदघोष में डूबेंगे। इस मंत्र को अपने प्राणों में उतारकर ही यहां से जायें। जिनको बैठकर साथ देना हो वे बैठकर ताली बजायेंगे और उदघोष करेंगे।
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