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________________ संलीनता : अंतर-तप का प्रवेश-द्वार क्रोध और शांति के साथ जुड़ नहीं सकते। बड़ी मुश्किल होगी। कैसे जुड़ेंगे? जोड़ मुश्किल हो जाएगा। __ मुल्ला नसरुद्दीन मर रहा है। आखिरी क्षण उसके करीब हैं। वह अपने बेटे को बुलाकर सलाह देता है। वह कहता है-मैं जानता हूं कि मैं कितना ही कहूं कि तू धूम्रपान मत करना, लेकिन तू करेगा क्योंकि मेरे पिता ने भी मुझसे कहा था, लेकिन मैंने किया। इसलिए यह सलाह मैं तुझे नहीं दूंगा। मैं जानता हूं कि समझाना चाहता हूं तुझे, अनुभव से कहना चाहता हूं कि शराब मत छूना । लेकिन मेरे पिता ने भी मुझे समझाया था, लेकिन मैंने शराब पी। और मैं जानता हूं कि तू कितना ही कहे कि नहीं, नहीं पिऊंगा, तू पिएगा। मैं कितना ही कहूं कि स्त्रियों के पीछे मत दौड़ना, मत भागना, लेकिन यह नहीं हो सकता। मैं खुद ही भागता रहा हूं। लेकिन एक बात खयाल रखना, एक स्त्री के पीछे एक ही समय में भागना, दो स्त्रियों के पीछे एक साथ मत भागना। इतनी तू मेरी सलाह मानना। वन एट ए टाइम, एक स्त्री के पीछे एक ही समय में भागना। एक ही समय में दो स्त्रियों के पीछे मत भागना। लड़के ने पूछा-क्या यह सम्भव हो सकता है, एक ही समय में दो स्त्रियों के पीछे भागना? नसरुद्दीन ने कहा-सम्भव हो सकता है, मैं अनुभव से कहता हूं। लेकिन नरक निर्मित हो जाता है। ऐसे तो एक ही स्त्री नरक निर्मित करने में समर्थ है। इसको उल्टा करके पुरुष भी कहा जा सकता है, स्त्री को सलाह दी जा रही है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन दो, फिर तो नरक सुनिश्चित है। लेकिन उसके बेटे ने कहा-आप कहते हैं तो मेरा मन होता है कि दो के पीछे दौड़कर देख लूं। नसरुद्दीन ने कहा-यह भी मैं जानता हूं, यह भी तू सुनेगा नहीं क्योंकि मैंने भी नहीं सुना था। अच्छा है, दौड़। उसका बेटा पूछने लगा-आप अभी मना करते थे, अब कहते हैं दौड़! तो नसरुद्दीन ने कहा-दो स्त्रियों के पीछे एक ही समय में दौड़ने से जितनी आसानी से स्त्रियों से मुक्ति मिल जाती है, उतनी एक-एक के पीछे अलग-अलग दौड़ने से नहीं मिलती। ___ चित्त में भी अगर दो वृत्तियों के पीछे एक साथ आप दौड़ पैदा कर दें तो आप चित्त की वृत्ति से जितनी आसानी से मुक्त हो जाते हैं उतनी एक वृत्ति के साथ नहीं हो पाते। एक वृत्ति पूरा ही घेर लेती है। दो वृत्तियां कम्पीटीटिव हो जाती हैं आपस में। आप पर उनका जोर कम हो जाता है क्योंकि उनका आपस का संघर्ष गहन हो जाता है। क्रोध कहता है कि मैं पूरे पर हावी हो जाऊं, शान्ति कहती है-मैं पूरे पर हावी हो जाऊं, और आपने दोनों एक साथ पैदा कर दिए। वे दोनों आप पर हावी होने की कोशिश छोड़कर एक दूसरे से संघर्ष में रत हो जाते हैं। और जब क्रोध और शांति आपस में लड़ रहे हों, तब आपको दूर खड़े होकर देखना बहुत आसान हो जाता है। ___ संलीनता का दूसरा अभ्यास है, विपरीत वृत्ति को शरीर पर पैदा करना। इसमें कोई कठिनाई नहीं है। अभिनेता इसे रोज कर रहा है। जिस स्त्री से उसे प्रेम नहीं है, उसको भी वह प्रेम प्रगट कर रहा है। नसरुद्दीन देखने गया है एक दिन नाटक। उसकी पत्नी उसके पास है। नसरुद्दीन बहुत प्रभावित हुआ। पत्नी भी बहुत प्रभावित हुई है। वह जो नायक है उस नाटक में वह इतना प्रेम प्रकट कर रहा है अपनी प्रेयसी के लिए कि पत्नी ने नसरुद्दीन से कहा कि नसरुद्दीन, इतना प्रेम तुम मेरे प्रति कभी प्रगट नहीं करते। नसरुद्दीन ने कहा कि मैं भी हैरान हूं। और हैरान इसलिए हूं कि वह जो जिसके प्रति प्रेम प्रगट कर रहा है, वस्तुतः उसकी पत्नी है बीस साल से। इतना प्रेम प्रगट किसी और के लिए कर रहा होता तो भी ठीक था। वह उसकी पत्नी है बीस साल से। इसलिये चकित तो मैं भी हूं। ही इज ए रियल एक्टर, वास्तविक, प्रामाणिक अभिनेता है क्योंकि पत्नी के प्रति, बीस साल से जो उसकी पत्नी है, उसके प्रति वह इतना प्रेम प्रगट कर रहा है! गजब का एक्टर है। 235 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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