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________________ रस-परित्याग और काया-क्लेश अपनी मांस-पेशियों को खींचे रहती है। वह सो जाती है तो शिथिल हो जाती है। सम्मोहन में बच्चे बिना दर्द के पैदा हो जाते हैं क्योंकि मां नींद में--गहरी नींद में सम्मोहित हो जाती है। बच्चा पैदा हो जाता है। लेकिन लोरेंजो कहता है-को-आपरेट विद दि चाइल्ड। और लोरेंजो यह भी कहता है कि जिस मां ने बच्चे के पैदा होने में सहयोग नहीं दिया वह बाद में भी नहीं दे पाएगी। और जिस बच्चे के साथ पहला अनुभव दुख का हो गया उस बच्चे के साथ सुख का अनुभव लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि पहला अनुभव एक्सपोजर है, गहरा। वह गहरे में उतर जाता है। जिस बच्चे ने पहले ही दिन पीड़ा दे दी, अब वह पीड़ा ही देगा। यह प्रतीति गहन हो गयी। तो इसलिए मां बुढ़ापे तक कहती रहती है कि मैंने तुझे नौ महीने पेट में रखकर दुख झेला। वह भूलती नहीं। मैंने कितनी-कितनी तकलीफें झेलीं। बच्चे के साथ सुख का अनुभव, मां कभी कम ही कहती सुनी जाती है। दुख के अनुभव ही कहती सुनी जाती है। शायद ही कोई मां यह कहती हो कि मैंने तुझे नौ महीने रखकर कितना सुख पाया। और जो मां ऐसा कह सकेगी, उसके आनन्द की कोई सीमा नहीं रहेगी, लेकिन कहने का सवाल नहीं है, अनुभव की बात है। और जो मां बच्चे को नौ महीने पेट में रखकर आनंद नहीं पा सकी, उसने मां होने का हक खो दिया। दुख पाया तो दुश्मन हो गया। और जिसके साथ इतना दुख पाया अब उसके साथ दुख की ही सम्भावना का सूत्र गहन हो गया। अब जब वह दुख देगा, तभी खयाल में आएगा, जब वह सुख देगा तो खयाल में नहीं आएगा। क्योंकि हमारी च्वाइस शुरू हो गयी, हमारा चुनाव शुरू हो गया। लोरेंजो ने लाखों स्त्रियों को बिना दर्द के, प्रसव करवाकर यह प्रमाणित कर दिया कि दर्द हमारा खयाल है। अगर प्रसव बिना दर्द के हो सकता है तो आप सोचते हैं, बाल बिना दर्द के नहीं निकल सकते! बहुत आसान-सी बात है। महावीर अपने बाल उखाड़ कर फेंक देते हैं। लेकिन पागलों की एक जमात है और मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि पागलों का एक खास वर्ग है जो बाल नोंचने में रस लेता है। जिसको बाल नोंचने में रस आता है, अगर वह ऐसा ही बाजार में खड़े होकर बाल नोंचे, तो आप उसको पागलखाने भेज देंगे। अगर वह महावीर का अनुयायी होकर नोंचे तो आप उसके पैर छुएंगे। अब यह आदमी अगर थोड़ी भी इसमें बुद्धि है और पागलों में काफी होती है-काफी होती है। इसलिए काफी बुद्धिवाले लोग भी कभी-कभी पागल होते हैं। पागलों में काफी बुद्धि होती है। और जहां तक उनका पागलपन है वह अपनी बुद्धि का उसमें पूरा प्रयोग करते हैं। तो जो बाल नोंचनेवाले पागल हैं वे महावीर में उत्सुक होकर साथ खड़े हो जाएंगे। कुछ पागल हैं, जिनको नग्न होने में रस आता है। उनको मनोवैज्ञानिक एक्जीबीशिनिस्ट कहते हैं। अगर वे ऐसे ही नग्न होकर खड़े हों तो पुलिस पकड़कर ले जाएगी। लेकिन महावीर को नग्न देखकर उनको बहुत मजा आ जाएगा। वे नग्न खड़े हो जाएंगे। और तब आप उनके पैर छूने पहुंच जाएंगे। पता लगाना बहुत मुश्किल है कि वह नग्नता की वजह से महावीर के अनुयायी हो गए, या महावीर के अनुयायी होने की वजह से वे नग्न हुए हैं। बाल नोंचने में उनको मजा आता है इसलिए महावीर के साथ चले गए, या महावीर के साथ चले गए और उस राज को पा गए जहां बाल नोंचने में कोई दर्द नहीं होता। यह तय करना बहुत मुश्किल है। आदमी के भीतर क्या हो रहा है, यह बाहर से जांच बड़ी कठिन है। मुल्ला एक दिन चर्च में गया है सुनने। कोई बड़ा पादरी बोलने आया है। चला गया। एक ईसाई मित्र ने कहा, जाकर बैठ गया। आगे ही बैठा है। प्रभावशाली आदमी है। पादरी की भी नजर उस पर बार-बार जाती है। जब पादरी ने टेन कमांडमेंट्स पर बोलना शुरू किया, दस आज्ञाओं पर और जब उसने एक आज्ञा पर काफी बातें समझायीं - दाउ शैल्ट नाट स्टील, चोरी नहीं करना तुम । तो मुल्ला बड़ा बेचैन हो गया। उसके माथे पर पसीना आ गया। पादरी को खयाल भी आया कि बहुत बेचैन है यह आदमी, क्या 223 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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