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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 आप को दर्द क्यों नहीं होता? इफ इट इज़ ए पार्ट-अगर आपका ही हिस्सा है तो दर्द होना चाहिए, यदि वह जिन्दा है तो दर्द होना चाहिए। लेकिन आपके बाल कटते रहते हैं, आपको पता भी नहीं चलता। बाल मरा हुआ हिस्सा है। असल में शरीर में जो जीव कोष मर जाते हैं उन कोषों को बाहर निकालने की तरकीब है-बाल और नाखून और अनेक तरह से, पसीने से, और सब तरह से। शरीर के मरे हुए कोष शरीर बाहर फेंक देता है। तो बाल आपके शरीर के मरे हुए कोष हैं। अगर मरे हुए कोषों को भी खींचने से पीड़ा होती है तो वह भ्रांति है सिर्फ । वह सिर्फ खयाल है कि पीड़ा होगी, इसलिए होती है। ___ आप कहेंगे, क्या सारे लोग भ्रांति में हैं? तो मैं आपको एक छोटी-सी वैज्ञानिक घटना कहूं जिससे खयाल में आए। फ्रांस में एक आदमी है, लोरेंजो। उसने पीडारहित प्रसव के हजारों प्रयोग किए। कोई अब तक वह एक लाख स्त्रियों को बिना दर्द के प्रसव करवाया है। बिना कोई दवा दिए, बिना कोई अनस्थेसिया दिए, बिना बेहोश किए। जैसी स्त्री है वैसी ही उसे लिटाकर बिना दर्द के बच्चे को पैदा करवा देता है। वह कहता है-सिर्फ यह भ्रांति है कि बच्चे के पैदा होने में दर्द होता है, यह सिर्फ खयाल है। और चूंकि यह खयाल है इसलिए जब मां को बच्चा होने के करीब आता है तब वह भयभीत होनी शुरू हो जाती है कि अब दर्द होनेवाला है। अब दर्द होगा। और चूंकि दर्द जब भी खयाल में आता है तो वह अपनी पूरी मांस-पेशियों को भीतर सिकोड़ने लगती है। दर्द सिकोड़ता है-ध्यान रहे, सुख फैलाता है, दुख सिकोड़ता है। जब आप दुख में होते हैं तो सिकुड़ते हैं। अगर एक आदर आपकी छाती पर छुरा लेकर खड़ा हो जाए, आपकी सब मांस-पेशियां भीतर सिकुड़ जाती हैं। कोई आपके गले में फूलमाला डाल दे, आपका सब फैल जाता है। फूलमाला डलवाकर कभी वजन मत तुलवाना, ज्यादा निकल सकता है। आप हैरान होंगे, यह वैज्ञानिक निरीक्षित तथ्य है कि भगतसिंह का वजन फांसी पर बढ़ गया। जेल में तौला गया और जेल से ले जाकर फांसी के तख्ने पर तौला गया, फांसी लगनेवाली थी तो भगतसिंह का वजन कोई डेढ़ पौंड बढ़ गया। यह कैसे बढ़ गया? भगतसिंह इतना आनंदित था कि फैल सकता है। जब आप दुख में होते हैं तो अपने को आप सिकोड़ते हैं रक्षा के लिए। तो जब मां को डर लगता है कि अब पीड़ा आनेवाली है, अब बच्चा होनेवाला है और उसने देखी हैं चीखें, कराहें सुनी हैं अस्पतालों में, घर में। सब उसे पता है। वह अपनी मांस-पेशियों को भीतर सिकोड़ने लगती है। जब वह मांस-पेशियों को भीतर सिकोड़ती है और बच्चा बाहर निकलने के लिए धक्का देता है, पीड़ा शुरू होती है, दर्द शुरू हो जाता है। दर्द शुरू होता है, मां का भरोसा पक्का हो जाता है कि दर्द होने लगा। वह और जोर से सिकोड़ती है। वह जितने जोर से सिकोड़ती है, बच्चा उतने जोर से धक्के देता है। उसे बाहर निकलना है। दोनों के संघर्ष में पीड़ा और पेन पैदा होता है। लोरेंजो कहता है-यह पेन सिर्फ मां पैदा करवाती है। यह सजेशन है उसका. खयाल है। पेन होने की जरूरत ही नहीं। किसी जानवर को नहीं होता है, जंगली आदिवासियों को नहीं होता है। आदिवासी स्त्री बच्चा पैदा हो जाता है जंगल में, उसको टोकरी में रखकर अपने घर चल पड़ती है। उसे विश्राम की भी कोई जरूरत नहीं रहती क्योंकि जब दर्द ही नहीं हुआ तो विश्राम की क्या जरूरत? दर्द हुआ तो फिर महीनेभर विश्राम की जरूरत है। यह सारा का सारा मानसिक है, लोरेंजो कहता है। और अब तो लोरेंजो की व्यवस्था रूस और अमरीका सब तरफ फैलती जा रही है। और वह सिर्फ मां को इतना समझाता है कि तु खींच मत अपनी मांस-पेशियों को, रिलेक्स रख। बच्चे को को-आपरेट कर बाहर आने में। तू सोच कि बच्चा बाहर जा रहा है। इसलिए आप देखेंगे कि कोई पचहत्तर प्रतिशत बच्चे रात में पैदा होते हैं। उनको रात में पैदा होना पड़ता है। क्योंकि नींद में मां लड़ाई नहीं करती। नहीं तो हिसाब से पचास परसेंट रात में हों, चलेगा। पचास परसेंट दिन में हों, चलेगा। इससे ज्यादा-इससे ज्यादा का मतलब है कि मां कुछ गड़बड़ करती है। या बच्चे रात में जगत में उतरने को ज्यादा आतुर हैं। कुल कारण इतना है कि मां जब तक जगी रहती है, वह ज्यादा सख्ती से 222 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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