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________________ अनशन : मध्य के क्षण का अनुभव तो आप अपनी ही आंखों में, अपने ही सामने दीन-हीन हो जाएंगे। और सदा के लिए वह दीनहीनता आपके पीछे रहेगी। और जब भी आप दुबारा संकल्प करेंगे, तब आप पहले से ही जानेंगे कि यह टूटेगा। यह चल नहीं सकता। छोटे संकल्प से शुरू करें, बहुत छोटे संकल्प से शुरू करें। गुरजिएफ बहत छोटे संकल्प से शुरू करवाता था। वह कहता, इस हाथ को ऊंचा कर लो। अब इसको नीचे मत करना। जैसे ही तय किया कि नीचे मत करना, पूरा हाथ कहता है नीचे करो। अब इसको नीचे मत करना। अब चाहे कुछ भी हो जाए इसको नीचे मत करना। जब तक कहता था गुरजिएफ, मैं न कहूं हाथ को नीचे मत करना। हाथ दलीलें करेगा। आप सोचेंगे, हाथ कैसे दलीलें करेगा? हाथ दलील करता है। वह आरगू करेगा। वह कहेगा-बहुत थक गया हूं, अब तो नीचे कर लो। वह कहेगा,गुरजिएफ यहां कहां देख रहा है, एक दफे ऊपर करके नीचे कर लो। उसकी तो पीठ है। और ध्यान रखें, गुरजिएफ जब भी ऐसी आज्ञा देता था तो पीठ करके बैठता था। हाथ पच्चीस आरगूमेंट खोजेगा। वह कहेगा-ऐसे में कहीं लकवा न लग जाए। और फिर हाथ कहेगा इससे फायदा भी क्या, हाथ ऊंचे करने से कोई भगवान मिलनेवाला है? अरे हाथ तो शरीर का हिस्सा है. इससे आत्मा का क्या संबंध है? मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं—कपड़े बदलने से क्या होगा? आत्मा बदलनी है। कपड़ा बदलने की हिम्मत नहीं है, आत्मा बदलनी है। वे कहते हैं—आत्मा बदलने से होगा। तो कपड़े बदलने से क्या होगा? वे सोच रहे हैं यह दलील वे दे रहे हैं, यह उनके कपड़े दे रहे हैं। यह दलील उनकी नहीं है, यह उनके कपड़ों की है। यह जो घर में साड़ियों का ढेर लगा हुआ है, वे साड़ियां कह रही हैं कि कपड़े से क्या होगा? लेकिन वे सोच रहे हैं कि बहुत आत्मिक खोज कर लाए। वे कह रहे हैं कि भीतर का परिवर्तन चाहिए, बाहर के परिवर्तन से क्या होगा। बाहर का परिवर्तन तक करने की सामर्थ्य नहीं जुटती, भीतर के परिवर्तन के सपने देख रहे हैं। बाहर इतना बाहर नहीं है जितना आप सोचते हैं। वह आपके भीतर तक फैला हुआ है। भीतर इतना भीतर नहीं है जितना आप सोचते हैं, वह आपके कपड़ों तक आ गया है। वह सब तरफ फैला हुआ है। अपने को धोखा देना बहुत आसान है। जो भूखा नहीं रह सकता वह कहेगा अनशन से क्या होगा? भूखे मरने से क्या होगा? कुछ नहीं होगा। जो नग्न खड़ा नहीं हो सकता, वह कहेगा नग्न खड़े करने से क्या होगा? इससे क्या होनेवाला है? उपवास से कुछ भी नहीं होगा, तो क्या भोजन करने से हो जाएगा? नग्न खड़े होने से नहीं होगा, तो क्या कपड़े पहनने से हो जाएगा? तो गेरुवा वस्त्र पहनने से नहीं होगा तो दूसरे रंग के वस्त्र पहनने से हो जाएगा? क्योंकि दूसरे रंग के वस्त्र पहनते वक्त उसने यह दलील कभी नहीं दी कि कपड़ों से क्या होगा, लेकिन गेरुवा वस्त्र पहनते वक्त वही आदमी दलील लेकर आ जाता है कि कपड़े से क्या होगा? हमारा मन, हमारी इंद्रियां, हमारे कपड़े, हमारी चीजें, सब दलीलें देती हैं और हम रेशनलाइज करते हैं। ध्यान रहे, रीज़न और रेशनलाइजेशन में बहुत फर्क है। बुद्धिमत्ता में और बुद्धिमत्ता का धोखा खड़ा करने में बहुत फर्क है। और जब हाथ कहता है कि थक जाएंगे, मर जाएंगे-गुरजिएफ कहता है कि तुम नीचे मत करना, अगर हाथ थक जाएगा तो गिर जाएगा, तुम नीचे मत करना। थक जाएगा तो गिर जाएगा, तुम करोगे क्या? अगर हाथ सच में ही थक जाएगा तो रुकेगा कैसे? जब तक रुका है, तब तक तुम मत गिराना। तुम अपनी तरफ से मत गिराना। अगर हाथ गिरे तो तुम देख लेना कि गिर रहा है। पर तुम कोआपरेट मत करना, तुम सहयोग मत देना। पर बारीक है बात। हम बड़े धोखे से सहयोग दे सकते हैं। हम कह सकते हैं यह हाथ गिर रहा है, हम थोड़े ही गिरा रहे हैं। यह हाथ गिर रहा है, और आप भली-भांति जानते हैं कि यह गिर नहीं रहा है, आप गिरा रहे हैं। इतने भीतर अपने को साफ-साफ देखना पड़ेगा अपनी बेईमानियों को, अपनी वंचनाओं को, अपने डिसेप्शंस को। और जो 183 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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