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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 प्रक्रिया खयाल में आ सकेगी। लेकिन सबसे पहले तो यह खयाल में ले लेना चाहिए कि मेरी अतिरिक्त शक्ति किस केन्द्र से व्यय हो रही है। उसके विपरीत जो केन्द्र है, उस केन्द्र पर ध्यान को लगाना पड़ेगा। ___ एक छोटी-सी घटना, और आज की बात मैं पूरी करूं। धर्मगुरुओं का एक सम्मेलन हुआ है। बड़े धर्मगुरु उस देश के एक नगर में इकट्ठे हुए हैं। चार बड़े धर्म हैं इस देश में, चारों के चार बड़े धर्मगुरु एक निजी वार्ता में लीन हैं। सब सम्मेलन निपटने के करीब हो गया। वह बैठकर बातें कर रहे हैं। ऊंची बातें हो चुकी, नकली बातें हो चुकीं। वे अब बैठकर असली गप-शप कर रहे हैं। पचहत्तर साल का बूढ़ा धर्मगुरु कहता है कि हो गयी वे बातें, सुन गए लोग। लेकिन तुम्हारे सामने क्यों मैं छिपाऊं, और मैं आशा करता हूं कि तुम भी न छिपाओगे। अच्छा होगा कि हम बताएं कि असली जिन्दगी हमारी क्या है। मैं तो एक ही चीज से परेशान रहा हूं-वह धन। और दिन रात धन के विपरीत बोलता हूं। धन पर मेरी बड़ी पकड़ है। एक पैसा भी मेरा खो जाए तो रात भर मुझे नींद नहीं आती। या एक पैसा मिलने की आशा बंध जाए तो रातभर एक्साइटमेंट रहता है और नींद नहीं आती। बड़ी, धन ही मेरी कमजोरी है। बड़ी मुश्किल है। इसके पार मैं नहीं हो पा रहा हूं। क्या, आप में से कोई पार हो गया हो तो बताएं। दूसरे ने कहा-पार तो हम भी नहीं, हमारी अपनी-अपनी मुसीबतें हैं। एक ने कहा-मेरी मुसीबत तो यह अहंकार है। इसके लिए ही जीता हं. इसी के लिए उठता हं. इसी के लिए बैठता है। इसी के लिए अहंकार के खिलाफ भी बोलता हंपर है यही। इससे मैं बाहर नहीं हो पाता। तीसरे ने कहा- मेरी कमजोरी तो यह कामवासना है। ये स्त्रियां मेरी कमजोरी हैं। दिन-रात समझाता है, प्रवच का व्याख्यान करता हूं चर्च में। लेकिन उस दिन बोलने में मजा ही नहीं आता, जिस दिन स्त्रियां नहीं आतीं। मु ही मजा नहीं आता बोलने में। जिस दिन स्त्रियां आती हैं, उस दिन मेरा जोश देखने लायक रहता है। उस दिन जब मैं बोलता हूं तो बात ही और होती है। लेकिन अब मैं जानता हूं भली-भांति कि वह भी कामवासना ही है। मैं उसके बाहर नहीं हो पाता हूं। चौथा आदमी मुल्ला नसरुद्दीन था। वह उठकर खड़ा हो गया और उसने कहा कि क्षमा करें, मैं जाता हूं। उन्होंने कहा-लेकिन तुमने अपनी कमजोरी नहीं बतायी। उसने कहा- मेरी सिर्फ एक कमजोरी है, वह है निन्दा। अब मैं नहीं रुक सकता एक भी क्षण। पूरा गांव मेरी राह देख रहा होगा। जो मैंने यहां सुना है, वह मुझे कहना होगा। क्षमा करें, मेरी एक ही कमजोरी है - अफवाह। और अब मेरा रुकना मुश्किल उन तीनों ने उसे पकड़ने की कोशिश की कि तू ठहर भाई, तेरी यह कमजोरी थी, तो तूने पहले क्यों नहीं कहा, इतनी देर चुप क्यों रहा? हर आदमी की कोई न कोई कमजोरी है। उस कमजोरी को ठीक से पहचान लें। उसी में आपकी ऊर्जा व्यय होती है। मुल्ला ने कहा कि तब तक तो मैं बैठा रहा जब तक मैं पूरा न सुन पाया। लेकिन जब मैंने पूरा सुन लिया तो जग गयी मेरी शक्ति। अब इस रात सोना मेरे वश में नहीं है, अब जब तक एक-एक तक खबर न पहुंचा दूं... शक्ति जग गयी मेरी ! वह जो कमजोरी है हमारी, वही हमारी शक्ति का निष्कासन है। वहीं से हमारी शक्ति व्यय होती है। मुल्ला तब तक बिलकुल सुस्त बैठा था, जैसे कोई प्राण ही न हों। अचानक ज्योति आ गयी, प्राण आ गए, चमक आ गयी...! मुल्ला ने कहा कि गजब हो गया। कभी सोचा भी न था कि इस कांफ्रेंस में और ऐसा आनन्द आनेवाला है। हमारी कमजोरी हमारी शक्ति के व्यय का बिन्दु है। भोग हो या भोग के विपरीत त्याग हो, बिन्दु वही बना रहता है। ध्यान वहीं 146 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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