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तप : ऊर्जा का दिशा-परिवर्तन
पुलिस का आफिसर था, वह रिटायर हो गया; उसकी दस साल कम से कम, उम्र कम हो जाती है।
अभी इस पर तो बहुत काम चलता है। और बहुत देर न लगेगी कि लोग रिटायर होने से इनकार करने लगेंगे, जैसे ही उनको पता चल जाएगा कि गड़बड़ क्या हो रही है। रिटायर जब तक आदमी नहीं होता, तब तक स्वस्थ मालूम पड़ता है। रिटायर होते ही बीमार पड़ जाता है। जो ध्यान का भोजन उसे मिल रहा था—दफ्तर में जाता था, लोग खड़े हो जाते थे; सड़क पर निकलता था लोग नमस्कार करते थे, बच्चे भी डरते थे क्योंकि बाप का कब्जा था पैसे पर-बैंक बैलेंस बाप के नाम था, पत्नी भी भयभीत होती थी, फिर अब रिटायर हो गया, हाथ से धीरे-धीरे सब सूत्र छूट गए। अब वह बैठा रहता है कोने में। लोग ऐसे निकल जाते हैं जैसे वह है ही नहीं। तो वह खांसता-खंखारता है, आवाज देता है कि मैं भी यहां हूं। वह हर चीज में अडंगेबाजी करता है-बूढ़ों की आदत अडंगेबाजी की और किसी कारण से नहीं है-हर चीज में अडंगेबाजी करता है। कोई ऐसी बात नहीं जिसमें वह अडंगा न डाले। क्योंकि अडंगा डालकर अब वह बता सकता है कि मैं हं और थोड़ा ध्यान आकर्षित करता है। यह बहुत दीन अवस्था है, यह बहुत दयनीय अवस्था है। यह बहुत रुग्ण है, दुखद है-लेकिन है। वह घर में कोई ऐसी चीज न चलने देगा जिसमें वह सलाह न दे। हालांकि उसकी सलाह कोई नहीं मानता है, यह वह जानता है। इसे वह दिनभर कहता है कि कोई मेरी नहीं मानता। लेकिन फिर दिनभर देता क्यों है। वह दिनभर कहता है, कोई मेरी सुनता नहीं।
गांधीजी कहते थे कि वे एक सौ पच्चीस वर्ष जिएंगे। और जी सकते थे। अगर भारत आजाद न होता, तो वे एक सौ पच्चीस वर्ष जी सकते थे। भारत का आजाद होना उनके मरने का हिस्सा बन गया। क्योंकि आजादी के बाद ही जो उनकी सुनते थे उन्होंने सनना बन्द कर दिया, क्योंकि वे खद ही ताकतवर हो गए। वे खुद ही पदों पर पहंच गए। तो गांधी ने कहा, 'मैं खोटा सिक्का हे गया हूं, मेरी अब कोई सुनता नहीं।' लेकिन गांधी को भी पता नहीं होगा कि गांधी जब भी यह कहते थे कि मेरी कोई सुनता नहीं, मैं एक खोटा सिक्का हो गया हूं, मैं बोलता रहता हूं, कोई मेरी फिक्र नहीं करता-कोई मेरी सलाह नहीं मानता–हालांकि वे सलाह दिए जाते थे, मरने के पहले उन्होंने कहना शुरू कर दिया था कि अब मेरी एक सौ पच्चीस वर्ष जीने की कोई आकांक्षा नहीं है। परमात्मा मुझे जल्दी उठा ले। क्यों? क्योंकि खोटे सिक्के हो गए। क्योंकि कोई सुनता नहीं। क्योंकि कोई ध्यान नहीं देता। जो ध्यान देते थे वे भी इसलिए ध्यान देते थे कि बिना गांधी पर ध्यान दिए उन पर कोई ध्यान नहीं देता था। अब वे खुद ही ध्यान पाने के अधिकारी हो गए थे, सीधा लोग उनको ध्यान दे रहे थे। अब वह गांधी पर काहे के लिए ध्यान दे! कोने में पड़ गए थे। कोई नहीं कह सकता कि गोडसे की गोली को सामने देखकर उनके मन में धन्यवाद नहीं उठा हो। कोई नहीं कह सकता है कि उन्होंने सोचा हो कि आ
गया भगवान का संदेशवाहक, झंझट मिटी -बिदा होते हैं। ___ ध्यान भोजन है, बहुत सटल फुड, बहुत सूक्ष्म भोजन है। अकेले ध्यान पर भी जी सकते हैं आप। इसलिए जब कोई प्रेम में पड़ता है तो भूख कम हो जाती है। आपको पता है, अगर कोई आपको बहुत प्रेम करता है तो भूख एकदम कम हो जाती है। क्यों कम हो जाती है? जब कोई प्रेम करता है, प्रेम का मतलब ही क्या है कि कोई आप पर ध्यान देता है। और मतलब क्या है? और जब कोई आप पर ध्यान नहीं देता...आपको पता है, मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जब कोई ध्यान नहीं देता तब लोग ज्यादा भोजन करने लगते हैं। जब कोई ध्यान देता है तो कम भोजन करते हैं। क्योंकि ध्यान भी कहीं गहरे में भोजन का काम करता है, बहुत सूक्ष्म तल पर काम करना है। जिस चीज को हम ध्यान देते हैं, उसको शक्ति देते हैं—यह मैं कह रहा हूं। और अब इसको कहने के वैज्ञानिक आधार हैं। अब इसको नापने के भी उपाय हैं। मैंने पीछे आपसे निकोलिएव और कामिनिएव का नाम लिया । ये दोनों व्यक्ति टेलिपैथिक कम्युनिकेशन में इस समय पथ्वी पर
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