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________________ संयम की विधायक दृष्टि असंयम का, तो सब जगत से दीवार गिरनी शुरू हो जाती है। प्रत्येक चीज एक ढांचे में जीती है। एक ईंट खींच लें, सब गिर जाता __ जनगणना हो रही है और नसरुद्दीन के घर अधिकारी गए हुए हैं, उससे पूछने, उसके घर के बाबत। अकेला बैठा है, उदास । तो अधिकारी ने पूछा कि कुछ अपने परिवार का ब्यौरा दो, जनगणना लिखने आया हूं। तो नसरुद्दीन ने कहा कि मेरे पिता जेलखाने में बंद हैं। अपराध की मत पूछो, क्योंकि बड़ी लंबी संख्या है। मेरी पत्नी किसी के साथ भाग गयी है। किसके साथ भाग गयी है, इसका हिसाब लगाना बेकार है। क्योंकि किसी के भी साथ भाग सकती थी। मेरी बड़ी लड़की पागलखाने में है। दिमाग का इलाज चलता है। यह मत पूछो कि कौनसी बीमारी है, यह पूछो कि कौनसी बीमारी नहीं है? ___ थोड़ा बेचैन होने लगा अधिकारी कि बड़ी मुसीबत का मामला है, कहां, कैसे भागे। किस तरह सहानुभूति इसको बताएं और निकलें यहां से? तभी नसरुद्दीन ने कहा-और मेरा छोटा लड़का बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी में है। तो अधिकारी को जरा प्रसन्नता हुई। उसने कहा-बहुत अच्छा। प्रतिभाशाली मालूम पड़ता है! क्या अध्ययन कर रहा है? नसरुद्दीन ने कहा-'गलती मत समझो। हमारे घर में कोई अध्ययन करेगा? हमारे घर में कोई प्रतिभा पैदा होगी? न तो प्रतिभाशाली है, न अध्ययन कर रहा है। बनारस विश्वविद्यालय के लोग उसका अध्ययन कर रहे हैं। दे आर स्टडीइंग हिम।' नसरुद्दीन ने कहा-'हमारे घर के बाबत कुछ तो समझो, जो पूरा ढांचा है उसमें- और रही मेरी बात, सो तुम न पूछो तो अच्छा है।' लेकिन जब तक वह यह कह रहा था तब तक तो अधिकारी भाग चुका था। उसने यह कहा तो वह था नहीं मौजूद, वह जा चुका था। ढांचे में चीजों का अस्तित्व होता है। अभी मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि अगर आपके घर में एक आदमी पागल होता है, तो किसी न किसी रूप में आपके पूरे परिवार में ढांचा होगा, इसलिए है। नया मनोविज्ञान कहता है-एक पागल की चिकित्सा नहीं की जा सकती है जब तक उसके परिवार की चिकित्सा न की जाए। परिवार की चिकित्सा, फैमिली थैरेपी नयी विकसित हो रही है। और, जो और कुछ सोचते हैं वे कहते हैं कि परिवार से भी क्या फर्क पड़ेगा? क्योंकि परिवार, और परिवारों के ढांचे में जीता है। तो जब तक पूरी सोसाइटी की चिकित्सा न हो जाए, जब तक पूरे समाज की चिकित्सा न हो जाए, तब तक एक पागल को ठीक करना मुश्किल है। वे ग्रुप थैरेपी की बात करते हैं। वे कहते हैं—पूरा ग्रुप, वह जो समूह है पूरा, वह समूह के ढांचे में एक आदमी पागल होता है। चीजें संयुक्त हैं। __ लेकिन एक बात उनके खयाल में नहीं है, जो मैं कहना चाहता हूं। कभी खयाल में आएगी, लेकिन अभी उनको सौ साल लग सकते हैं। यह बात जरूर सच है कि अगर एक घर में एक आदमी पागल है, तो किसी न किसी रूप में उसके पागलपन में पूरे घर के लोग कंट्रिब्यूट किए, उन सब ने कुछ न कुछ सहयोग दिया है। अन्यथा वह पागल कैसे हो जाता। और यह भी सच है कि जब तक उस घर के सारे लोग ठीक न हो जाएं तब तक यह आदमी ठीक नहीं हो सकता। यह भी सच है कि एक परिवार तो बड़े समूह का हिस्सा है और पूरा समूह उस परिवार को पागल करने में कुछ हाथ बंटाता है। जब तक पूरा समूह ठीक न होगा। लेकिन इससे उल्टी बात भी सच है। अगर घर में एक आदमी स्वस्थ हो जाए तो पूरे घर के पागलपन का ढांचा टूटना शुरू हो जाता है। यह बात अभी उनके खयाल में नहीं है। यह उनके खयाल में कभी न कभी आ जाएगी। लेकिन भारत के खयाल में यह बात बहुत पुरानी है। और अगर एक आदमी ठीक हो जाए तो पूरे समूह का ढांचा टूटना शुरू हो जाता है। इसे हम ऐसा भी समझें कि अगर आपके भीतर एक इंद्रिय में ठीक दिशा शरू हो जाए तो आपकी सारी इंद्रियों का पराना ढांचा 127 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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