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________________ of C . C .S a तता c . प्रश्न-सार जिन-धारा अनेकांत-भाव और स्यातवाद से भरी है, फिर भी प्रेमशून्य क्यों हो गई? जीसस अपने शिष्यों से कहते थे कि यदि मेरे साथ चलने से कोई तुम्हें रोके तो उसे मार डालो और मेरे साथ चल पड़ो। प्रेमपुजारी जीसस की ऐसी आज्ञा? अतीत में एक गुरु के पास एक ही मार्ग के साधक इकट्ठे होते थे। और आपके आश्रम में सभी विपरीत मार्गों का मेला लगा हुआ है-यह कैसे? - त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देवा सीमार माझे असीम, तुमी बाजाओ आपन सूर आमार मध्ये तोमार प्रकाश ताई एतो मधुर एक पागल द्वार पर आया था, कुछ गुनगुनाकर चला गया; वह कौन था? Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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