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________________ जिन सूत्र भागः 2 अगर डूब गए तो मिल गए करोड़ों। अगर न डूबे और करोड़ों भी एकाग्रता ही खबर देती है। मिले तो कुछ भी न मिला। वह समय व्यर्थ गया, जो बिना डूबे अब इस बच्चे से तुम कहो, कि चिड़ियां गीत गा रही हैं, उन गया। वे दिन व्यर्थ ही बीते, जो बिना डूबे बीते। जब रसधार न पर एकाग्रता करो, यह न कर पाएगा। यह संभव नहीं होगा। बही तो तुम जीए न जीए बराबर। रस-विमुग्धता में ही जीवन हमें देखना चाहिए कि कहां हमारी एकाग्रता है। वहीं हमारा है। तो पहली तो बात जो कर रहे हो...। जीवन है। मगर आज अचानक जीवन बदलने का तुम्हारे हाथ में तुमसे नहीं कहता कि जल्दी बदलने में लग जाना। क्योंकि हो उपाय नहीं। आज तो पहचानने का भी उपाय नहीं कि कहां सकता है, तुम अपना काम भी बदल लो और रस न आए। तुम्हारी एकाग्रता होती है। तुम तो भूल ही गए। तुम्हारे जीवन की क्योंकि रस आने की तुम्हारी आदत ही न रही हो। तुमने रस सारी व्यवस्था उल्टी-सीधी हो गई है। दूसरों ने तुम्हें चला बनाने की बात ही न बनाई हो। | दिया। दूसरों ने तुम्हें मार्ग दे दिया। दूसरों ने तुम्हें दिशा और तो पहले तो जो कर रहे हो उसमें रस लेने की कोशिश करना। | आदर्श दे दिए। तुम्हें पूरी तरह भरमा दिया है। सौ में पचास मौके तो ऐसे हैं कि तुम उसी में रस ले पाओगे। रस पहले तो जो काम कर रहे हो उसमें रस लेने की आकांक्षा लेते ही एकाग्रता हो जाएगी। जगाओ। जो काम कर रहे हो उसे इतने भाव से करो, इतनी देखा, स्कूल में छोटे बच्चे पढ़ते हैं; बाहर चिड़िया गुनगुनाने मगनता से करो कि उससे अतिरिक्त ऊर्जा बचे ही नहीं लगी गीत. बच्चा एकटक होकर सनने लगता है। शिक्षक डंडा | विघ्न-बाधा डालने को। पीटता है टेबल पर, कि यहां ध्यान दो। एकाग्रता करो। एकाग्रता का और क्या अर्थ होता है? एकाग्रता कोई जबर्दस्ती एकाग्रता बच्चा कर ही रहा है। मगर शिक्षक पर नहीं कर रहा, | थोड़े ही है। एकाग्रता बड़ी स्वाभाविक घटना है। यह बात सच है। यह ब्लैकबोर्ड पर नहीं कर रहा। ब्लैकबोर्ड पर अब तुम यहां मुझे सुन रहे हो। जिनको मेरी बात में रस आ रहा लिखे अक्षरों पर नहीं कर रहा। लड़का तो एकाग्रता कर ही रहा है, वे एकाग्र हैं। एकाग्रता कर थोड़े ही रहे हो, एकाग्रता हो रही है। एकाग्रता तो हो ही रही है। वह जो चिड़िया गीत गा रही है | है। इसे समझने की कोशिश करो। तुम्हारे करने की थोड़े ही बात वह उसे सुन रहा है। शिक्षक कहता है, एकाग्रता करो। मन को है। तुम थोड़े ही बैठे हो सब मांस-पेशियों को खींचकर, आंखें ऐसा विचलित मत करो। | मुझ पर गड़ाकर और चेष्टा कर रहे हो कि एकाग्रता! ऐसे बात बिलकुल गलत कह रहा है शिक्षक। शिक्षक उसके मन एकाग्रता करोगे तो तुम सुन ही न पाओगे, जो मैं कह रहा हूं। को विचलित करने की कोशिश कर रहा है। वह एकाग्र है। एकाग्रता सहज है। तुम्हें रस आ रहा है। उसी रस के कारण तुम अगर कोई बाधा न दे, तो यह सारा संसार थोड़ी देर के लिए मिट चले आए हो। उसी रस के कारण तुम रोज चलते आए हो। वही जाएगा। वह चिड़िया की गुनगुनाहट होगी, उसका गीत होगा, रस तुम्हें लाता रहा है। इस बच्चे की भावदशा होगी। और यह एक बात सीख | रस है तो एकाग्रता है। लेगा-रस की। तो तुम रस को जगाओ, एकाग्रता की बात ही छोड़ दो। अगर रस चूंकि उसे चिड़िया के गीत में आ रहा है, इसलिए एकाग्र हो | रस जगे ही न तो फिर समझो, फिर हिम्मत करो, साहस करो। गया है। उसी कक्षा में ऐसे बच्चे भी होंगे, जिन्हें रस गणित के बदलो उस व्यवस्था को, जिसमें रस नहीं जगता। हो सकता है सवाल में आ रहा है। वे वहां एकाग्र हो गए होंगे। वह व्यवस्था तुम्हारे लिए नहीं है। हमें लोगों को एकाग्रता नहीं सिखानी चाहिए। उनका रस तो दरिद्र हो जाना बेहतर है समृद्ध होने की बजाय। सड़क का देखकर उन्हें दिशा देनी चाहिए। जो बच्चा गणित को सुनकर | भिखारी हो जाना बेहतर है सम्राट होने की बजाय-अगर रस एकाग्र हो गया है, बाहर भौंकते कुत्ते, लड़ती बिल्लियां, गीत आ जाए। क्योंकि रस ही सम्राट बनाता है। गाती चिड़ियां, रास्ते पर बैठे मदारी की बीन-कुछ नहीं सुनाई तो कभी-कभी तुम किसी भिखारी के चेहरे पर ऐसी आभा पड़ती। यह बच्चा आइंस्टीन होने को पैदा हुआ है। इसकी | देखोगे, जो सम्राटों के चेहरों पर नहीं दिखती। रसविमुग्ध है 572 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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