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क यहूदी लोककथा है।
बैठा, तो उसने कहा, अरे! किसकी कब्र है यह? और त यहां एक फकीर किसी बंजारे की सेवा से बहुत प्रसन्न हो बैठा क्यों रो रहा है? उस बंजारे ने कहा, अब आप से क्या
गया। और उस बंजारे को उसने एक गधा भेंट | छिपाना, जो गधा आपने दिया था, उसी की कब्र है। जीते जी भी किया। बंजारा बड़ा प्रसन्न था गधे के साथ, अब उसे पैदलयात्रा उसने बड़ा साथ दिया, मरकर और भी ज्यादा साथ दे रहा है। न करनी पड़ती। सामान भी अपने कंधे पर न ढोना पड़ता। और सुनते ही फकीर खिलखिलाकर हंसने लगा। उस बंजारे ने पूछा, गधा बड़ा स्वामिभक्त था।
आप हंसे क्यों? फकीर ने कहा, तझे पता है, जिस गांव में मैं लेकिन एक यात्रा पर गधा अचानक बीमार पड़ा और मर | रहता हूं वहां भी एक पहुंचे हुए महात्मा की कब्र है। उसी से तो गया। दुख में उसने उसकी कब्र बनायी, और उस कब्र के पास मेरा काम चलता है। वह किस महात्मा की कब्र है, तुझे बैठकर रो रहा था कि एक राहगीर गुजरा।
मालूम? उसने कहा मुझे कैसे मालूम, आप बतायें। उसने उस राहगीर ने सोचा कि जरूर किसी महान आत्मा की कहा, वह इसी गधे की मां की कब्र है। गयी। तो वह भी झुका कब्र के पास। इसके पहले कि बंजारा | धर्म के नाम पर अंधविश्वासों का बड़ा विस्तार है। धर्म के कुछ कहे, उसने कुछ रुपये कब्र पर चढ़ाये। बंजारे को हंसी भी नाम पर थोथे, व्यर्थ के क्रियाकांडों, यज्ञों, हवनों का बड़ा विस्तार आयी। लेकिन तब उस भले आदमी की श्रद्धा को तोड़ना भी है। फिर जो चल पड़ी बात, उसे हटाना मुश्किल हो जाता है। जो ठीक मालूम न पड़ा। और फिर उसे यह भी समझ में आया कि बात लोगों के मन में बैठ गयी, उसे मिटाना मुश्किल हो जाता यह तो बड़ा उपयोगी व्यवसाय हो गया।
है। और इसे बिना मिटाये वास्तविक धर्म का कोई जन्म नहीं हो फिर वह उसी कब्र के पास बैठकर रोता, यही उसका धंधा हो | सकता। अंधविश्वास न हटे, तो धर्म का दीया जलेगा ही नहीं। गया। लोग आते, गांव-गांव खबर फैल गयी कि किसी महान अंधविश्वास उसे जलने ही न देगा। आत्मा की मृत्यु हो गयी; और गधे की कब्र किसी पहुंचे हुए महावीर के सामने यह बड़े से बड़ा सवाल था। दो विकल्प फकीर की समाधि बन गयी। ऐसे वर्ष बीते, वह बंजारा बहुत थे। दोनों खतरनाक थे। सभी बुद्धिमान व्यक्तियों के सामने यही धनी हो गया।
सवाल है। और दो ही विकल्प हैं। एक विकल्प है नास्तिकता फिर एक दिन जिस सफी साध ने उसे यह गधा भेंट किया था का. जो अंधविश्वास को इनकार कर देता है। और अंधविश्वास वह भी यात्रा पर था और उस गांव के करीब से गुजरा। उसे भी के साथ-साथ धर्म को भी इनकार कर देता है। क्योंकि लोगों ने कहा, एक महान आत्मा की कब्र है यहां, दर्शन किये नास्तिकता देखती है इस धर्म के ही कारण तो अंधविश्वास खड़े बिना मत चले जाना। वह गया। देखा वहां उसने इस बंजारे को होते हैं। तो वह कड़े-कर्कट को तो फेंक ही देती है, साथ में उस
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