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________________ H . हला प्रश्नः बारहवें और तेरहवें गुणस्थानः | जैसा है। तेरहवां गुणस्थान पूर्ण जैसा है। बौद्धों ने निर्वाण की जो क्षीणमोह और सयोगिकेवलीजिन में क्या भिन्नता परिभाषा की है, वह बारहवें गुणस्थान की ही परिभाषा है।। है इसे स्पष्ट करने की कृपा करें। इसलिए जैन दृष्टि में अभी और थोड़े आगे जाना है। शून्य तो हो गए, अभी पूर्ण नहीं हुए। मोह तो गया, राग गया लेकिन यह प्रश्न स्वाभाविक है। जैन शास्त्रों में इस संबंध में बड़ा | अभी वीतरागता नहीं उतरी। तुम तैयार हो गए, मेहमान अभी ऊहापोह है। क्योंकि दोनों अवस्थाएं करीब-करीब एक जैसी | नहीं आया। तुमने घर सजा लिया, द्वार-दरवाजों पर बंदनवार मालूम पड़ती हैं। | बांध दिए, स्वागतम लटका दिया, दीये जला लिए, धूप-दीप बारहवीं अवस्था में समस्त मोह, माया शून्य हो जाती है। कुछ बाल ली। तुम तैयार हो गए, मेहमान अभी नहीं आया। शेष बचता नहीं। और कुछ होने की संभावना भी न रही। सब | बारहवें में तुम्हारी तैयारी पूरी हो गई। अब तुमसे कुछ और बाधाएं गिर गईं, सब अवरोध समाप्त हुए। फिर तेरहवीं | नहीं मांगा जा सकता, तुम जो कर सकते थे, जो मनुष्य के लिए अस्वस्था में, तेरहवें गणस्थान में सत्र केवल इतना ही कहते हैं, संभव था, वह हो गया। अब उतरेगा कोई। प्रकाश का सयोगिकेवलीजिन। केवलज्ञान उपलब्ध होता है. जिनत्व | अवतरण होगा। पात्र तैयार हो गया, अमत की अब वर्षा होगी। उपलब्ध होता है। इसे तुम ऐसा मत सोचना कि इन दोनों के बीच समय का कोई लेकिन जब सभी मोह क्षीण हो गए, जब सभी बाधाएं हट गईं, फासला है। इन दोनों के बीच 'एम्फेसिस', जोर का फासला जब अंधकार जाता रहा तो फिर दोनों में फर्क क्या है? दोनों में है। तुम यह मत सोचना कि बारहवां घट गया तो तेरहवें के घटने देह है, इसलिए सयोगी से कोई फर्क नहीं पड़ता। बात थोड़ी में अब कुछ समय लगेगा। युगपत हो सकता है। यह विश्लेषण बारीक है और नाजुक है। ऐसा समझना, कभी तुम बीमार पड़े, तो इसलिए है ताकि तुम्हें सीढ़ी-सीढ़ी बात समझ में आ जाए। चिकित्सा हुई। सारी बीमारियां चली गईं तो भी जरूरी नहीं कि ऐसा भी हो सकता है, बीमारी गई और तुम स्वस्थ हो गए, तुम स्वस्थ हो गए। अभी दौड़ न सकोगे, अभी श्रम न कर | लेकिन बीमारी का जाना ही स्वस्थ हो जाना नहीं है। बीमारी का सकोगे। चिकित्सक कहेगा कुछ देर आराम करो। बीमारी तो जाना स्वस्थ होने के लिए अनिवार्य चरण है। लेकिन बीमारी का गई, लेकिन स्वास्थ्य का आविर्भाव होने दो। न होना ही स्वास्थ्य की परिभाषा नहीं है। स्वास्थ्य कुछ विधायक बारहवां गुणस्थान नकारात्मक है। तेरहवां गुणस्थान विधायक है। ऐसा नहीं है कि जब तुम स्वस्थ होते हो तो तुम इतना ही कह है। बारहवें गुणस्थान में जो कूड़ा-कर्कट था, वह गया। व्यर्थ सकते हो कि मेरे सिर में कोई दर्द नहीं है, पेट में कोई दर्द नहीं है, हटा। लेकिन सार्थक को उतरने दो। बारहवां गुणस्थान शून्य कहीं कांटा नहीं चुभता; इतना ही कह सकोगे? कि कैंसर नहीं 527 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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