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________________ आज लहरों में निमंत्रण । जब तुम देखते हो कि हजारों लोग कह रहे हैं कि फलाने बाबा चमत्कार हो जाए। आदमी दुख की अवस्था में सब तरह की की राख से ठीक हो गए, तो तुम भी धक्कम-धुक्का खाकर भीड़ | बातों पर भरोसा करने लगता है। होशियार से होशियार में इकट्ठे हो जाते हो। राख तुम्हें मिल गई-मिलते ही तुम ठीक करने लगता है। होने लगते हो। तुम्हारी बीमारी झूठ। और उसी झूठी बीमारी को | और वे वैज्ञानिकों के सामने बंगलोर विश्वविद्यालय के, ठीक करने में तुम लगे हो इसलिए मिथ्या गुरु को खोजते हो। अपना प्रदर्शन बताने को राजी नहीं हैं क्योंकि डर है कि पकड़े अभी बंगलोर विश्वविद्यालय ने सत्य साईंबाबा को पत्र लिखा जाएंगे। क्योंकि यह भभूत, और ये घड़ियां और ये ताबीज, यह कि हम खोज करना चाहते हैं। वे जवाब भी नहीं देते पत्रों का। सब मदारीगिरी है। इससे कुछ लेना-देना धर्म का नहीं है। उल्टे उन्होंने यह वक्तव्य दिया कि तुम अपना काम करो, हम | लेकिन एक बात मैं बंगलोर विश्वविद्यालय के कुलपति को सपना काम करें। बीच में बाधा क्यों डालते हो? यह तो ऐसा | कहना चाहता है कि अगर तुम ठीक कमेटी बनाना चाहते हो हआ कि चोर भी कहने लगे कि हम अपना काम करते हैं, | निरीक्षण के लिए तो वैज्ञानिक योग्य आदमी नहीं है। क्योंकि साहकार अपना काम करें, बीच में बाधा क्यों डालते हो? जो वैज्ञानिकों को मदारीगिरी का कोई भी पता नहीं है। उस कमेटी में मेडिकल कालेज से पढ़कर आया छह साल, वह भी तख्ती कम से कम दो मदारी जरूर रखो। गोगिया पाशा, के. लाल, लगाकर बैठा है, उसके सामने बड़ा तख्ता लगा है। कोई इनको रखो। नहीं तो तुम न पकड़ पाओगे। पश्चिम में कई दफा | नीम-हकीम बैठ जाए, वह कहे, तुम अपना काम करो, अपना यह हो गया। मदारी को ही नहीं पकड़ सकते। काम हम करें, बीच में बाधा क्यों डालते हो? । क्योंकि आखिर...वैज्ञानिक का लेना-देना क्या है मदारी से? बाधा डालनी पड़ेगी। क्योंकि सत्य साईंबाबा के कारण हजारों वैज्ञानिक को पता क्या है तरकीबों का ? वैज्ञानिक सरलतम लोग लोग मर रहे हैं, जिनका इलाज हो सकता था। जिनको लाभ हो हैं दुनिया के। सीधे-सादे लोग हैं, गणित की दुनिया में जीते रहा है, उनको तो लाभ किसी भी चीज से हो जाता। लेकिन हैं—दो और दो चार। वैज्ञानिक को लूटना जितना आसान है, हजारों लोग मर रहे हैं। कोई कैंसर का आदमी पहुंच जाता है | उतना किसी को भी लूटना आसान नहीं है। और वैज्ञानिक को और वे कहते हैं, बस ठीक हो जाओगे। तो वह आपरेशन नहीं | जितनी आसानी से धोखा दिया जा सकता है, किसी को भी नहीं करवाता, इलाज नहीं करवाता क्योंकि अब...ठीक हो जाएगा। | दिया जा सकता। वह मर जाता है। और मजा यह है कि जब तम वैज्ञानिक को धोखा दे दो, तो तम्हें यह तो खतरनाक बात है। यह तो इसमें और हत्या करने में प्रमाण मिल गया कि देखो, वैज्ञानिकों ने भी कह दिया। मगर | फर्क ही नहीं है। मैं तम्हारी आकर छाती में छरा भोंक दं, तो तुम वैज्ञानिक का मतलब क्या है? मरोगे। और तुम मेरे पास कैंसर लेकर आए और मैंने कहा, यह तो ऐसा हआ कि जैसे एक दांत का डाक्टर है, और तुम बिलकुल फिक्र मत करो। यह राख ले जाओ, सब ठीक हो आंख का डाक्टर कुछ गड़बड़ कर रहा है, उसके निरीक्षण के जाएगा। और तुम मर गए तीन महीने बाद। हालांकि कोई लिए दांत के डाक्टर को लगा दो।. अदालत मुझे पकड़ेगी नहीं, लेकिन पकड़ना चाहिए। क्योंकि | इससे लेना-देना कुछ नहीं है। आंख के संबंध में वह कुछ मरे तुम मेरे कारण। यह छुरा मैंने मारा। बड़ी तरकीब से मारा, जानता नहीं है। आंख के डाक्टर को पकड़ना हो कि ठीक है कि | राख की आड़ में मारा। गलत, तो आंख के डाक्टर होने चाहिए। तो यह तो कहना गलत है साईंबाबा का, कि किसी को हमारे | तो इतना भर मेरा कहना है कि उनकी कमेटी में अभी ठीक काम में बाधा डालने का क्या कारण? लाखों लोग तुम मार रहे | आदमी नहीं हैं। कमेटी में कोई फिलासफी का हो, खराब कर रहे हो। उनकी जिंदगी बरबाद कर रहे हो। मगर लेना-देना है फिलासफी के प्रोफेसर को? भोले-भाले लोग हैं। वे लाखों लोग आए चले जा रहे हैं क्योंकि उनको आशा है कि नहीं तो फिलासफी के प्रोफेसर बनते? इस भरी दुनिया में यह शायद ठीक हो जाएं। शायद कोई रास्ता मिल जाए। शायद कोई | गधापन करते? कोई तर्कशास्त्र के प्रोफेसर हैं; उनको क्या 4951 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibra y.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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