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यात्रा का प्रारंभ अपने ही घर से
walis
गये। फिर तो 'ग' रह जाता है-शुद्ध।
यह तो सिर्फ शुरुआत है-अ, ब, स। 'संन्यास' गैरिक वस्त्र का। 'संन्यास' माला का। लेकिन यह तो शुरुआत है। धीरे-धीरे जैसे तुम रगोगे-पगोगे, रस-भीगोगे, डूबोगे, संन्यास ही रह जाएगा; गैरिक वस्त्र और माला महत्वपूर्ण न रह जाएंगे। तुम कृतज्ञ रहोगे उनके लिए, क्योंकि उन्होंने यात्रा करवायी। पहला कदम उनसे उठा। तुम्हारा धन्यवाद उनके प्रति रहेगा। लेकिन तुम उनसे बंधे न रह जाओगे। ये बंधन तुम्हारी मुक्ति की तरफ पहले कदम हैं।
आज इतना ही।
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