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थापा
प्रश्न-सार
न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे
चली रे, चली रे, मेरी नाव चली रे कोई कहे यहां चली, कोई कहे वहां चली
मैंने कहा पिया के गांव चली रे
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जैन दर्शन कहता है कि इस आरे में मोक्ष संभव नहीं है।
तो फिर मोक्ष यहीं और अभी है, इस धारणा को पकड़ लेना क्या आत्मवंचना नहीं है?
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