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प्रश्न-सार
भगवान श्री की आंखों से निरंतर आशीर्वाद की वर्षा। उनके दृष्टिपात मात्र से शरीर में कंपन व अंतर्तम में बी की चुभन। मृत्यु घटित होती-सी लगना। फिर भी आत्यंतिक-मृत्यु क्यों नहीं?
भगवान श्री के सानिध्य से भीतर प्रेम-प्रवाह प्रारंभ
हर व्यक्ति, हर वस्तु के प्रति।। प्रेमपूरित होकर किसी से गले लगने को बढ़ने पर दूसरे द्वारा संकोच व अनुत्साह,
प्रश्नकर्ता का पीछे हट जाना। मार्गदर्शन की मांग!
तूने आटा लगाया और फंसाया। अब हम अकेले तड़प रहे हैं! जिम्मेवार कौन?
भगवान श्री, तेरी रज़ा पूरी हो।
SHREE
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