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________________ SAEENINEERNA । जिन सूत्र भाग : 2 A Mahen तरफ आंखें उठाकर देखता है। और झोपड़ेवालों के मन में और गुस्सा आता है, तो पत्नी को पीट देता है। पत्नी को गुस्सा आता सपनों में महलों के चित्र उभरते हैं। बुद्धिहीन बुद्धिमान की पूजा है, तो खुद को पीट लेती है। यह तो देखा? यही तो पूरा का पूरा करता है। कुरूप सुंदर की पूजा करता है। पुरुष स्त्री में आकर्षित | सार-सूत्र है गांधीवाद का। खुद को ही मार लेती है। पुरुष को होता है, स्त्री पुरुष में आकर्षित होती है। यह सब विपरीत का गुस्सा आता है तो किसी की हत्या कर देता है। स्त्री को गुस्सा आकर्षण है। जो मैं नहीं हूं, वह आकर्षक लगता है। जो मैं हूं, आता है तो आत्महत्या करने का विचार करने लगती है। अपने उसमें कोई आकर्षण नहीं रह जाता। | को ही नष्ट कर देने का खयाल आता है कमजोर को। दूसरे को महावीर तो सिंह की तरह पराक्रमी थे। लेकिन कमजोर, नष्ट करना तो कठिन। अपने को नष्ट कर लेना आसान है। काहिल, भय से भरे भीरु लोग पीछे हो लिये। उन्होंने महावीर के और अपने को नष्ट करना इस ढंग से किया जा सकता है कि मार्ग को भ्रष्ट कर दिया। महावीर का मार्ग ही वैश्यों, वणिकों का उसमें भी साहस मालूम पड़े। हो गया। वह मूलतः क्षत्रिय का मार्ग है। महावीर की अहिंसा तो सिंह के पराक्रम से पैदा हुई है। अहिंसक होने के लिए क्षत्रिय होना बुनियादी शर्त है। जो अभी क्षत्रिय-पुत्र थे, राजकुमार थे। और कुछ सीखा ही न था, एक ही हिंसक ही नहीं हुआ, वह अहिंसक कैसे हो सकेगा? जिसने कुशलता थी। तो जब उन्होंने त्यागी हिंसा, तो कुछ भी छिपाने अभी तलवार नहीं उठायी, तलवार रखेगा कैसे? रख तो वही को नहीं त्याग था। हिंसा गिर गयी। जानकर गिर गयी। व्यर्थ हो सकोगे, जो उठाया हो। जिसने किसी के ऊपर आक्रमण ही नहीं | गयी, इसलिए गिर गयी। हिंसा को ठीक से पहचाना और किया, वह आक्रमण का त्याग कैसे करेगा? तो देखो जैनों के सिवाय जहर के कुछ भी न पाया। चौबीस तीर्थंकर ही क्षत्रिय-पुत्र हैं। और सब जैन वणिक हैं। महावीर की अहिंसा में हिंसा का अभाव है। गांधी की अहिंसा उनके चौबीस ही तीर्थंकर क्षत्रिय हैं, तो संयोग नहीं हो सकता। में हिंसा का छिपाव है। ऊपर से देखने पर दोनों एक से मालूम एकाध क्षत्रिय होता, संयोग मान लेते। चौबीस-के-चौबीस पड़ते हैं। लेकिन दोनों में बड़े मौलिक भेद हैं। क्षत्रिय हैं, तो अहिंसक होने के लिए क्षत्रिय होना जैसे बुनियादी । 'सिंह-सा पराक्रमी...।' अब सिंह तो हिंसक है, खयाल शर्त है। हम वही त्याग सकते हैं, जो हमारे पास हो। भिखमंगा किया? सिंह तो क्षत्रिय है। लेकिन पराक्रम सीखना हो तो सिंह अगर कहे कि मैंने त्याग दिया सब, तो क्या अर्थ है ? था क्या, से ही सीखना पड़े। अगर पराक्रम सीखना हो, तो क्षत्रिय से ही जो त्याग दिया? त्याग के पहले होना चाहिए। सीखना पड़े। और महावीर कहते हैं, अहिंसा तो और भी बड़ा क्षत्रिय घरों में पैदा हुए महावीर, ऋषभ, नेमि। हिंसा में उनका पराक्रम है। हिंसा से भी बड़ा पराक्रम है अहिंसा। तुम अहिंसा पोषण हुआ। हिंसा की कला ही सीखी। हिंसा के अतिरिक्त को अपनी कायरता को छिपाने के लिए आड़ मत बना लेना।। और कुछ जानते नहीं थे। उसी हिंसा के प्रगाढ़ अनुभव से अकसर लोग अहिंसक होते हैं और उनका भीतरी तर्क यह अहिंसा का जन्म हुआ। हिंसा की आग में जले और पाया कि होता है कि न हम किसी को मारेंगे, न कोई हमें मारेगा। वस्तुतः हिंसा करने योग्य नहीं। हिंसा में रहकर पाया कि हिंसा त्याज्य इरादा तो यह होता है, कोई हमें न मारे। तो वे कहते हैं, हम तो है। और तब एक अहिंसा का जन्म हुआ। अहिंसक हैं। हम किसी को मारने में भरोसा नहीं करते। वे यह इसलिए मैं कहता हूं गांधी और महावीर की अहिंसा में फर्क कह रहे हैं कि हम पर कृपा करना, मारना मत। हम तुम्हें नहीं है। गांधी की अहिंसा बनिये की अहिंसा है। महावीर की अहिंसा मारते, तुम हमें मत मारना। हम तुम्हें जीने देते हैं, तुम हमें जीने क्षत्रिय की अहिंसा है। और वहीं बुनियादी भेद है। महावीर की दो। यह तो हिंसा से भी नीचे हुई बात अहिंसा कमजोरी से पैदा नहीं हुई, गांधी की अहिंसा कमजोरी से | कूटनीति हुई, राजनीति हुई। पैदा हुई। कोई और उपाय न था गांधी को। अहिंसक होने में गांधी की अहिंसा राजनीति है। महावीर की अहिंसा धर्म का कमजोरी छिपा लेने की सुविधा मिल गई। गांधी की अहिंसा ज्वलंततम रूप है। महावीर यह नहीं कहते कि मुझे मत मारो। स्त्रैण है। स्त्रियां सदा से ही यही करती रही हैं। अगर पुरुष को महावीर कहते हैं, मुझे मारना हो, तुम्हारी मौज। तुम्हारी 126 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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