SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ New जिन सत्र भाग: 2 NER जाएगा। कांटों पर नशा छाने लगा। उसकी घृणा समाप्त होने फिर वीणा बजने लगेगी। लगेगी। जिसने रोना जान लिया, वह किसी को घृणा न कर हजारों लोग सारी दुनिया के कोने-कोने से आ रहे हैं। उनकी सकेगा। जिसने रोना जान लिया, उसके संदेह गिरने लगेंगे। तकलीफ तुम समझते हो! तुम तो पास हो बहुत-कोई बड़ौदा उसकी गीली आंखें उसे श्रद्धा की तरफ ले जाने लगेंगी। | में है, कोई बंबई में है, कोई बहुत दूर हुआ दिल्ली में है लेकिन कांटों पे नशा छाने लगा। दूर, बड़ी दूर से लोग आ रहे हैं, उनके साथ क्या घट रहा है? दो एक सूत्र भी तुम्हारे हाथ में आ जाए जीवन को बदलने का, तो | | महीने, तीन महीने रहने के बाद उन्हें वापस लौट जाना पड़ता है, सारा जीवन रूपांतरित होने लगता है। लेकिन वे वापस कभी नहीं लौटते। संबंध बन गया, फिर वे जहां हंसा जो फूल तो कांटों पे नशा छाने लगा होते हैं वहीं से जरा आंख बंद करने, स्वयं को थिर करने, शांत वह प्यार का ही था जादू तो यह मिट्टी का सितार | करने की बात है कि जैसे रेडियो पर तुम कोई भी स्टेशन पकड़ न कोई शब्द हुआ और गुनगुनाने लगा लेते हो-जरा-सा सुई को घुमाने की बात है, ठीक जगह लाने मेरे पास तुम हो, इस घड़ी को प्रेम की घड़ी अगर बनाया, की बात है; सुई ठीक जगह आ जाती, तत्क्षण दूरी समाप्त हो अगर मेरे प्यार को अपने भीतर प्रविष्ट होने दिया, और अगर जाती है। तो लंदन हो, कि टोकियो हो, कि वाशिंगटन हो, कोई अपने प्यार को मेरी तरफ बहने दिया, तो सितार छिड़ जाएगा, तो फर्क नहीं पड़ता। ऐसे ही हृदय का भी वाद्य है। अगर तुमने राग बजने लगेगा। शब्द भी न होगा-न कोई शब्द हुआ और ठीक मेरे पास बैठकर इतना भी पहला पाठ सीख लिया कि कैसे गुनगुनाने लगा-और हृदय गुनगुनाने लगेगा। मौन संगीत, तुम्हारे हृदय की सुई मेरी तरफ उन्मुख हो जाए, तुम कैसे मेरी नीरव संगीत, शून्य संगीत बजने लगेगा। पर हो रहा है सब तरफ उन्मुख हो जाओ, बस फिर तुम जहां भी आंख बंद कर तुम्हारे भीतर। लोगे, थोड़ा अपने को सम्हालकर शांत कर लोगे, थोड़ी तरंगें मेरे पास आकर अपने भीतर की थोड़ी-सी झलक ले लो, फिर मन की बैठ जाने दोगे, थोड़ी मेरी याद करोगे, अचानक पाओगे, उसे सम्हाले हुए घर जाना। फिर उसे सम्हाले हुए अपनी दुनिया दूरी गयी। दूरी समाप्त हुई। तुम ऐसे ही मुझे पा लोगे जैसे तुम में वापस लौटना और तुम पाओगे वहां भी थोड़ा भी सम्हालने से मुझे यहां पाये हुए हो। लेकिन सारी बात तुम पर निर्भर है। सम्हला रहता है। स्वभावतः यहां से ज्यादा वहां सम्हालना | मालिक तुम हो। होगा। लेकिन बात सम्हालने की ही है। यह मत सोचना कि मैं कुछ कर रहा हूं। तुम कुछ होने दे रहे हो। और तुम अगर होने दुसरा प्रश्न: आपके पास संन्यास लेने के लिए आया हं, दोगे, तो तुम जहां हो वहीं होता रहेगा। फिर प्रेम का संबंध कोई लेकिन कल ही घर से पत्र आया है कि अगर मैं गैरिक-वस्त्र स्थान का संबंध नहीं। तुम मेरे से दस फीट दूर बैठे हो, कि हजार पहनूंगा तो मेरे माता-पिता रस्सी ले लेंगे। मेरे माता-पिता फीट, कि हजार मील, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रेम कोई । ग्रामीण हैं और हिंदी भी नहीं जानते, उन्हें समझाना कठिन है। फासला जानता नहीं। और घृणा निकटता नहीं जानती। जिस कृपया बतायें कि मैं क्या करूं? आदमी को तुमसे घृणा है, वह तुम्हारे पास भी बैठा रहे, शरीर से शरीर भी लगा हो, तो भी कहां पास! और जिससे तुम्हें प्रेम है, माता-पिता गांधीवादी मालूम होते हैं, रस्सी ले लेंगे, फांसी वह सात समंदर पार हो, तो भी कहां दूर! प्रेम दूरी नहीं जानता, लगा लेंगे! घृणा निकटता नहीं जानती। निश्चित ही गांधीवादी लोगों से बड़ी झंझट है। हिंसक कहता __ तो अगर तुमने मेरे और तुम्हारे बीच प्रेम की धारा को जरा है, तुम्हें मार डालेंगे। गांधीवादी कहता है, हम मर जाएंगे। मगर बहने दिया, तो फिर तुम कहीं भी रहो, आंख बंद करते ही तुम दोनों की आकांक्षा एक ही है कि तुम्हें हम स्वतंत्र न होने देंगे, मेरी मौजूदगी में हो जाओगे। आंख बंद करते ही आंखें फिर जैसा हम चाहेंगे वैसा करवा कर रहेंगे। तो जो कहता है, हम | पुरनम होने लगेंगी। फिर गीली होने लगेंगी। आंख बंद करते ही तुम्हें मार डालेंगे, उससे तो बचने का उपाय भी है। लेकिन जो Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy