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________________ HTTARAME जिन सूत्र भागः T HERI अभी तो तुम जिससे प्रेम करते हो, उसी को क्रोध भी करते हो। दूसरों का ध्यान आकर्षित कर लें। कोई राजनेता बनना चाहता अभी तो तुम जिस पर श्रद्धा करते हो, उसी पर अश्रद्धा भी करते है-वह कुछ भी नहीं है, आकांक्षा इतनी है कि हजारों लोगों का हो। अभी तो तुम विरोधाभासी हो। अभी तो तुम्हारा चित्त एक ध्यान मेरी तरफ हो। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री...तो करोड़ों लोगों द्वंद्व की अवस्था में है-जहां विपरीत से छुटकारा नहीं हुआ; का ध्यान मेरी तरफ हो। जहां विपरीत मौजूद है। तो अगर तुम मुझे प्रेम नहीं करते तो तुमने देखा कि राजनेता जब तक पद पर होते हैं तब तक स्वस्थ जरूर कोई नाराजगी न होगी। रहते हैं; जैसे ही पद से उतरे कि बीमार पड़ जाते हैं। राजनेता तुमने देखा, अगर किसी को दुश्मन बनाना हो तो पहले दोस्त जब तक सफल होता रहता है तब तक बिलकुल स्वस्थ रहता है; बनाना जरूरी है। तुम बिना दोस्त बनाए किसी को दुश्मन बना असफल हुआ कि मरा, फिर नहीं जी सकता। क्या हो जाता है? सकते हो? कैसे बनाओगे? कोई उपाय नहीं। दोस्ती दुश्मनी में जब तक ध्यान मिलता है तब तक भोजन। ध्यान ऊर्जा है। तुम बदल सकती है, दुश्मनी दोस्ती में बदल सकती है; लेकिन सीधी जब भी किसी की तरफ देखते हो गौर से, तब तुम उसे ऊर्जा दे दुश्मनी बनाने का कोई उपाय नहीं। हम नाराज उन्हीं पर होते हैं रहे हो। तुम्हारी आंखों से जीवन-स्रोत बहता है। जिनसे हमारा लगाव है। अपनों से हम नाराज होते हैं, परायों से | इसलिए जिन लोगों को ठीक-ठीक रास्ते से ध्यान नहीं मिल तो हम नाराज नहीं होते। | पाता वे उलटे उपाय भी करते हैं। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि तो मुझसे अगर तुम्हारा लगाव है तो बहुत बार नाराजगी भी | राजनेताओं में और अपराधियों में कोई फर्क नहीं है। फर्क इतना होगी। उससे कुछ घबड़ाने की जरूरत नहीं-वह प्रेम की छाया ही है कि राजनेता समाज-सम्मत उपाय से ध्यान आकर्षित करता है। उससे कुछ चिंतित भी मत हो जाना। क्योंकि उससे अगर है; अपराधी, समाज-असम्मत उपाय से। हत्या कर देता है तुम चिंतित हुए तो खतरा है। खतरा यह है कि तुम अगर उस पर | किसी की, अखबार में फोटो तो छप जाता है, चर्चा तो हो जाती बहुत ज्यादा ध्यान देने लगे चिंतित होकर, तो कहीं वही तुम्हारे है। लोग कहते हैं, बदनाम हुए तो क्या, कुछ नाम तो होगा! तुम ध्यान से मजबूत न होने लगे। स्वीकार कर लेना कि ठीक है, प्रेम | भला सोचते होओ कि अपराधी को कैसा कठिन नहीं मालूम है तो कभी-कभी नाराजगी भी हो जाती है। लेकिन उस पर पड़ता होगा जब जंजीरें डालकर पुलिस के आदमी उसे जेलखाने ज्यादा ध्यान मत देना। ध्यान देने से; जिस पर भी हम ध्यान दें की तरफ ले जाते हैं। तुम गलती में हो, तुम जरा फिर से गौर से वही बढ़ने लगता है। ध्यान भोजन है। देखना! जब किसी आदमी को जंजीर बांधकर पुलिसवाले ले इसीलिए तो हम बहुत रस लेते हैं। अगर कोई तुम्हारे प्रति जाते हैं तो तुम उसकी अकड़ देखना-वह किस शान से चलता ध्यान न दे तो तुम कुम्हालने लगते हो। मनोवैज्ञानिक कहते हैं, | है। बाजार में वह प्रतिष्ठित है, वह खास आदमी है! बाकी बच्चे को अगर मां का ध्यान न मिले तो बच्चा, भोजन सब तरह किसी के हाथ में तो जंजीरें नहीं और बाकी की तरफ तो से मिले, चिकित्सा मिले, सुविधा-सुख मिले, तो भी कुम्हला चार-पांच पुलिसवाले आसपास नहीं चल रहे हैं, उसी के पास जाता है। ध्यान मिलना चाहिए। ध्यान पाने के लिए बच्चा चल रहे हैं! जैसे राष्ट्रपति के आगे-पीछे पुलिसवाले, ऐसा तड़फता है, रोता है, चीखता है। तुमने देखा, बच्चे को कह दो, अपराधी के आगे पीछे भी पुलिसवाले। जैसे राजनेता को भीड़ 'घर में मेहमान आ रहे हैं, शोरगुल मत करना'! वैसे वह शांति | देखती है, वैसे अपराधी को भी देखती है। से बैठा था, खेल रहा था अपने खिलौनों से, मेहमान के आते ही मैंने सुना है, एक राजनेता मरा तो उसकी प्रेतात्मा अपनी अर्थी वह शोरगुल मचाएगा। क्योंकि इतने लोग घर में मौजूद हैं, के साथ गयी। एक दूसरी प्रेतात्मा, एक पुराने भूतपूर्व राजनेता, इनका ध्यान आकर्षित करने का मौका वह नहीं चूक सकता। वे भी वहां मौजूद थे मरघट पर। तो उस नये राजनेता की प्रेतात्मा और वह एक ही रास्ता जानता है ध्यान आकर्षित करने का कि ने उनसे कहा कि अगर मुझे पता होता कि मरने पर इतनी भीड़ कुछ उपद्रव खड़ा कर दे। | इकट्ठी होगी, मैं कभी का मर गया होता। इतनी भीड़ इकट्ठी हुई, ध्यान भोजन है। इसीलिए तो लोग इतने आतुर होते हैं कि जिंदगी में कभी नहीं हुई थी! अगर मुझे पहले पता होता तो मैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001818
Book TitleJina Sutra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, K000, & K999
File Size25 MB
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