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________________ mithuniti प्रेम से मुझे प्रेम है। अंतिम दशा है। है। इसलिए क्रांति को फिर-फिर करते रहना पड़ता है और धर्म कृष्णमूर्ति कुछ कहते हैं, वचन क्रांतिकारी हैं—परंपरा बनने को पुनः पुनः जन्म देना पड़ता है। लेकिन कोई भी व्यक्ति धर्म को लगे। कृष्णमूर्तिवादी आदमी पैदा हो गया है। कृष्णमूर्ति कहते जन्म देते वक्त यह न सोचे कि उसका धर्म अपवाद होगा। हैं, कोई गुरु नहीं। उनका माननेवाला भी कहता है, कोई गुरु असंभव है। अपवाद कोई भी नहीं हो सकता। जो पैदा हो रहा नहीं। लेकिन मेरे पास उनके माननेवाले आ जाते हैं। वे कहते है, वह मरेगा। फिर नये धर्मों की जरूरत रहेगी। हैं, कोई गुरु नहीं। मैंने कहा, तुमने यह सीखा कहां? वे कहते अब यहां भी थोड़ा सोचने जैसा है। जब धर्म क्रांतिकारी होता हैं, उनके चरणों में बैठकर सीखा है। तो वे तुम्हारे गुरु हो गए। है तब अलग तरह के लोगों को आकर्षित करता तुम यह स्वयं के बोध से दोहरा रहे हो कि कोई गुरु नहीं? यह है—क्रांतिकारियों को, बगावतियों को, विद्रोहियों को। फिर भी तुमने सीख लिया है। और जहां सीखना हो गया, वहां गुरु | धीरे-धीरे जैसे-जैसे धर्म स्थापित होने लगता है, ऐस्टेब्लिश होने आ गया। कृष्णमूर्तिवादी भी अपने पक्ष की तर्कणा करता है, लगता है, फिर वह क्रांतिकारियों को आकर्षित करना तो दूर, विचारणा करता है, सिद्ध करने के लिए प्रमाण देता है, अगर वे पैदा हो जायें तो उन्हें निकाल बाहर करता है, क्योंकि वे वाद-विवाद करता है। बचना मुश्किल है। खतरा करने लगते हैं। क्रांति ऐसे ही है जैसे जन्म-और जब जन्म हो गया तो मौत | अब यह एक बड़ा विरोधाभास है। अगर जैन-धर्म में फिर भी होगी। अब तुम लाख उपाय करो बचने के; अगर बचना था महावीर पैदा हो जायें तो जैनी उन्हें निकाल बाहर कर देंगे, तो जन्मना ही नहीं था। वहीं भूल हो गई। अब कुछ किया नहीं बर्दाश्त न करेंगे। अगर जीसस फिर पैदा हो जायें ईसाई घर में तो जा सकता। मरना तो पड़ेगा ही। अब की बार फिर सूली लगेगी-अब की बार ईसाई लगाएंगे। आगे खयाल रखना, जन्मना मत। इसलिए जिसको मौत से | पिछली बार यहूदियों ने लगाई थी, क्योंकि उन्होंने यहूदी-घर में बचना हो उसे जन्म से बचना चाहिए। पैदा होने की गलती की थी। किसी और ने नहीं लगाई, यहूदियों कहते हैं. डायोजनीज को किसी ने पछा कि दनिया में सबसे ने लगाई थी। बेहतर बात कौन-सी है। उसने कहा, बेहतर बात तो है पैदा न और यहूदी बड़े क्रांतिकारी थे अपने प्रथम चरण में। मूसा बड़े होना। उस आदमी ने कहा, खैर अब यह तो हो ही नहीं सकता, क्रांतिकारी हैं। यहूदियों की मुक्ति, इजिप्त से उनका छुटकारा, हम हो ही गए पैदा-नंबर दो क्या? उसने कहा, नंबर नए जीवन और जगत की खोज, नए समाज की पूरी की पूरी दो-जितनी जल्दी मर सको मर जाना। पैदा न होते, कोई झंझट अंतरचिंतना और उसकी नींव मूसा ने भरी। न होती; मर गए, फिर झंझट मिट गई। लेकिन उसी घर में, उसी कल में, उसी परंपरा में आता है क्रांति जन्म है। मगर जब क्रांति हो गई तो मौत भी होगी। जीसस, और जीसस वही करना चाहता है जो मूसा ने किया था; क्रांति परंपरा बनेगी। यही तो तुम देख रहे हो। ये जो सारे धर्म लेकिन मूसा के माननेवाले बरदाश्त न करेंगे, क्योंकि यह फिर तुम्हें पृथ्वी पर दिखाई पड़ते हैं, क्या तुम सोचते हो, ये पहले ही उखाड़ डालेगा। क्षण से परंपरा थे? पहले क्षण में तो ये क्रांति की तरह उठे थे। कहीं भी तुम पैदा हो जाओ, अगर तुमने नये धर्म की चिंतना फिर सम्हल गए, संगठित हो गए, व्यवस्थित हो गए; | की और धर्म सदा ही नया है, क्रांति उसकी शुरुआत है तो अराजकता खो गई, ज्योति खो गई। फिर सब बात बंद हो जाती तुम निकाल बाहर किये जाओगे। हां, तुम्हारे आसपास एक नया है। फिर धीरे-धीरे सब समाप्त हो जाता है। धर्म निर्मित हो जायेगा। जल्दी ही तुम्हारे बच्चे वहां भी क्रांति न जैन-धर्म अब एक परंपरा है। बुद्ध-धर्म एक परंपरा है। चलने देंगे। वहां भी जब कोई क्रांतिकारी पैदा होगा, उसे निकाल सिक्ख-धर्म अब एक परंपरा है। नानक के साथ क्रांति थी, बड़ी बाहर किया जायेगा। यह क्रांतिकारी का भाग्य है कि सूली पर बगावत थी। फिर खो गई बात। फिर धीरे-धीरे राख जम गई। लटके। और यह सभी धर्मों की नियति है कि क्रांति की तरह पैदा सभी चीजों पर राख जम जायेगी, क्योंकि यह जीवन का नियम हों, परंपरा की तरह सड़ जाएं। 305 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary org
SR No.001818
Book TitleJina Sutra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, K000, & K999
File Size25 MB
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