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________________ - जिन सूत्र भाग: 1 - Si लेकिन जैन मुनियों की अहिंसा भी नहीं, क्योंकि वह बिलकुल ऐसा समझो कि एक झरना है, उसके मार्ग पर पत्थर रखे हैं। मुर्दा है। वह मर गयी। नकार में कहीं कोई जी सकता है? सिर्फ तो हम कहते हैं, पत्थर हटा लो, तो झरना फूट जाये। नकार-नकार में कोई जी सकता है? नकार में कोई घर बना | लेकिन पत्थर का हटा लेना ही झरना नहीं है। क्योंकि कई सकता है? कुछ विधायक चाहिए। | जगह और जगह भी पत्थर पड़े हैं, वहां हटा लेना, तो झरना नहीं विधायक का अर्थ है: कुछ ऊर्जा तुम्हारे भीतर जगनी चाहिए। फूटेगा; तुम बैठे रहना कि पत्थर तो हटा लिये, बस झरना हो सिकुड़ने से ही थोड़े ही काम चलेगा! किसी को मारो मत, | गया। पत्थर का हटाना झरने के लिए जरूरी हो सकता है, बिलकुल ठीक; लेकिन क्यों न मारो किसी को? क्योंकि तुम्हें लेकिन पत्थर के हटने में ही झरना नहीं है। झरना तो कुछ प्रेम है, इसलिए। इसलिए नहीं कि मारोगे तो नर्क जाना पड़ेगा। विधायक बात है। हो तो पत्थर के हटने पर प्रगट हो जायेगा; न यह कोई प्रेम हुआ? यह तो अपना ही लोभ हुआ। लोगों को | हो तो तुम पत्थर हटाए बैठे रहना जैसे जैन मुनि बैठे हुए हैं। यह मत मारो, क्योंकि तुम्हारा प्रेम तुम्हें बताएगा कि दूसरे को मारना, नहीं करते, वह नहीं करते-सब नहीं करने पर है। चोरी नहीं दूसरे को दुख देना...तो तुम कैसे आशा बांधते हो कि तुम्हारे करते, लेकिन अचोर नहीं हैं। लोभ नहीं करते, लेकिन अलोभी जीवन में प्रेम का फैलाव हो सकेगा? नहीं हैं। हिंसा नहीं करते, लेकिन अहिंसक नहीं हैं। क्योंकि प्रेम फैलता है, बढ़ता है। महावीर कहते हैं, 'आकाश जैसा! विधायक चूक रहा है। सुमेरू पर्वत से भी ऊंचा, आकाश से भी विशाल!' जिंदगी जिंगारे-आईना है, आईना है इश्क। तो यह कुछ विधायक घड़ी हो तो ही बढ़ सकती है। कुछ हो तो संग है मामूरए-कौनेन और शोला है इश्क। बढ़ सकता है। इल्म बरबत है, अमल मिजराब है, नग्मा है इश्क। अहिंसा का तो अर्थ है : हिंसा का न होना। यह तो ऐसे ही जर्रा-जरी कारवां है, इश्क खिजे-कारवां। हुआ जैसे कि चिकित्सा-शास्त्र में अगर पूछा जाये कि स्वास्थ्य प्रेम स्वच्छ दर्पण है। और प्रेम के सिवाय जीवन में जो कुछ है, क्या है, तो वे कहते हैं बीमारी का न होना। लेकिन मुर्दा भी वह दर्पण पर मैल है, धूल है। सांसारिक वस्तुएं तो पत्थर हैं। बीमार नहीं होता, लेकिन उसको तुम स्वस्थ न कह सकोगे। वह प्रेम प्रकाश है। ज्ञान वाद्य है। आचरण मिजराब है। प्रेम संगीत स्वास्थ्य की परिभाषा पूरी करता है, क्योंकि बीमार नहीं है। जिंदा है। जीवन का कण-कण यात्री है। प्रेम यात्री-दल का ही बीमार होता है, मुर्दा कैसे बीमार होगा? बीमार होने के लिए पथ-प्रदर्शक है। जिंदा होना जरूरी है। तो यह स्वास्थ्य की परिभाषा पर्याप्त नहीं महावीर ने जिसे अहिंसा कहा है, वह सूफियों का इश्क है। मार न होना। यह तो नकारात्मक हुई। हां, स्वस्थ इस बात को अब दोहरा देने की जरूरत पड़ी है। क्योंकि जैसी आदमी बीमार नहीं होता, यह बात जरूर सच है। लेकिन | मुश्किल महावीर को मालूम पड़ी थी प्रेम के साथ, वैसी ही स्वास्थ्य कुछ और भी है। बीमारी न होने से ज्यादा कुछ है, कुछ मुश्किल मुझे मालूम पड़ती है अहिंसा के साथ। महावीर प्रेम विधायक है। जब तुम स्वस्थ रहे हो, क्या तुमने अनुभव नहीं शब्द का उपयोग न कर सके, क्योंकि गलत धारणा लोगों के मन किया, क्या तुम इतना ही जानते हो कि न टी.बी., न कैंसर, न में प्रेम की थी। आज मुझे अहिंसा शब्द का उपयोग करने में और रोग? क्या जब तुम स्वस्थ होते हो, तब तुमको इनकी याद | अड़चन होती है, क्योंकि बड़ी गलत धारणा लोगों के मन में है। आती है कि देखो, कितना मजा आ रहा है, न टी. बी. है, न हमारे सभी शब्द हमारे कारण खराब हो जाते हैं, गंदे हो जाते कैंसर है? ऐसा होता है? जब तुम स्वस्थ होते हो, न तो टी. हैं; क्योंकि हमारे शब्दों में भी हमारी प्रतिध्वनि होती है। जब बी. की याद आती है, न कैंसर की, न नकार की। | कामी प्रेम की बात करता है तो उसका प्रेम भी काम से भर जाता स्वास्थ्य का अपना ही रस है। स्वास्थ्य का अपना ही है। जब निषेधात्मक वृत्तियों का व्यक्ति अहिंसा की बात करता है अहोभाव है। स्वास्थ्य की अपनी ही प्रफुल्लता है। स्वास्थ्य का तो उसकी अहिंसा निषेधात्मक हो जाती है। अहिंसा यानी प्रेम, झरना फूटता है। यह कोई बीमारी की बात नहीं है। परम प्रेम। 292 Jain Eucation International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001818
Book TitleJina Sutra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, K000, & K999
File Size25 MB
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