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छ मिटे-से नक्से-पा भी हैं जनं की राह में है, तो अब ठीक की खोज कैसे करोगे? मान ही लिया हो कि हमसे पहले कोई गुजरा है यहां होते हुए। सत्य कहां है, तो आविष्कार का उपाय कहां रहा? तुमने जल्दी
शास्त्र का सम्यक उपयोग भी है, असम्यक उपयोग स्वीकार कर लिया, खोजे बिना स्वीकार कर लिया, तो तुम खोज भी। शास्त्र को जो अंधे की तरह स्वीकार कर ले, शास्त्र उसके से वंचित रह जाओगे। लिए बोझ हो जाता है। शास्त्र को जो समझे, शास्त्र को जो ये महापुरुषों के चरण-चिह्न तुम्हें बांध लेने को नहीं हैं, तुम्हें निष्पक्ष होकर विचार करे, शास्त्र को जो जागरूक होकर ध्यान मुक्त करने को हैं। और ये चरण-चिह्न बड़े मिटे-मिटे से हैं। करे, तो शास्त्र से बड़ी सुगंध उठती है, बड़ी मुक्तिदायी सुगंध काफी समय बीत गया, इन राहों पर और लोग भी गुजर चुके हैं। उठती है।
इन चरण-चिह्नों को अंधे की तरह मत मानकर चलना, अन्यथा शास्त्र को पकड़ना मत–सोचना। शास्त्र को अंधे की तरह | भटकोगे। जागना, खोजना। इन चरण-चिह्नों में अपने चरणों स्वीकार मत करना। अंधे की तरह स्वीकार करने में शास्त्र का की गति को खोजना है, अपनी चरणों की शक्ति को खोजना है। अपमान है। आंख खोलकर, शास्त्र में उतरना, शास्त्र को स्वयं कुछ मिटे-से नक्से-पा भी हैं जुनूं की राह में में उतरने देना-तो शास्त्र का सम्मान है।
हमसे पहले कोई गुजरा है यहां होते हुए। कोई भी सदगुरु तुम्हें अंधा नहीं बनाना चाहता है। क्योंकि और सौभाग्यशाली हैं हम कि हमसे पहले लोग यहां गुजरे हैं। वस्तुतः तो, तुम्हारी आंख में ही तुम्हारा गुरु छिपा है। तो सभी वे जो कह गये हैं, उनके जीवन का अनुभव जो बिखेर गये हैं, सदगुरु तुम्हारी आंख खोलना चाहते हैं। उतनी ही देर तुम्हारे उससे तुम बहुत कुछ पा सकते हो। लेकिन पाने के लिए बड़ी साथ होना चाहते हैं कि तुम्हारी आंख खुल जाये, कि तुम्हें अपने समझदारी चाहिए। भीतर का गुरु मिल जाये।
समझो। जीवन से बहुत कुछ पाया जा सकता है। लेकिन तुम महावीर के ये वचन जैन पढ़ते हैं, अंधे की तरह। और अ-जैन | तो जीवन से भी नहीं पाते हो। शास्त्र तो जीवन की छाया मात्र हैं, तो पढ़ेंगे क्यों! गीता हिंदू पढ़ते हैं, अंधे की तरह। गैर-हिंदू तो प्रतिफलन हैं। शास्त्र जीवन से निकलते हैं, जीवन शास्त्र से नहीं फिक्र क्यों करेंगे! कुरान मुसलमान पढ़ते हैं, दोहराते हैं तोते की निकलता। तुम्हें जीवन मिला है, उससे तुम कुछ नहीं पाते, तो तरह। गैर-मुसलमान तो फिक्र ही क्यों करेगा!
बहुत कठिन है कि तुम शास्त्र से कुछ पा सकोगे। क्योंकि मूल से मेरे जाने, तुम शास्त्र को तभी समझ सकोगे जब तुम न हिंदू नहीं मिलता कुछ, छाया से क्या मिलेगा? हो, न मुसलमान हो, न जैन हो। क्योंकि अगर पक्षपात पहले से जो जानते हैं, जो जागकर जीते हैं, जो हिम्मत और साहस से ही तय है, अगर तुमने जन्म से ही तय कर रखा है कि क्या ठीक जीते हैं, जिनके जीवन का आधार सुरक्षा, सुविधा नहीं है, साहस
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