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________________ गो० जीवकाण्डे ६८६ ६५७ ६६४ क्षेत्र और कालको लेकर उन्नीस काण्डक ६४२ यथाख्यातका स्वरूप ध्रुव और अध्रव वृद्धि का प्रमाण ६४५ देशविरतका स्वरूप ६८७ देशावधिका उत्कृष्ट द्रव्यादि ६४६ देशविरतके ग्यारह भेद ६८७ परमावधिका उत्कृष्ट द्रव्य ६४८ असंयतका स्वरूप ६८८ सर्वावधिका विषय ६४९ इन्द्रियोंके विषय ६८८ उत्कृष्ट अवधिज्ञानका क्षेत्र ६५२ संयममार्गणामें जीवसंख्या ६८८ परमावधिका उत्कृष्ट क्षेत्र काल ६५३ १४. दर्शनमार्गणा नरकगतिमें अवधिका विषयक्षेत्र ६९१-६९५ अन्य गतियोंमें ६५८ दर्शनका स्वरूप ६९१ भवनत्रिकमें चक्षुदर्शनका स्वरूप ६९२ स्वर्गवासी देवोंमें ६६० अचक्षुदर्शनका स्वरूप ६९२ कल्पवासी देवोंमें अवधिज्ञानका विषय द्रव्य अवधिदर्शनका स्वरूप लानेका क्रम केवलदर्शनका स्वरूप ६९२ कल्पवासी देवोंके अवधिज्ञानके विषय-कालका दर्शनमार्गणामें जीवसंख्या ६९३ प्रमाण ६६३ १५. लेश्यामार्गणा मनःपर्यय ज्ञानका स्वरूप ६९६-७८५ मनःपर्ययके भेद ६६५ लेश्याका स्वरूप ६९६ विपुलमतिके भेद ६६६ लेश्यामार्गणाके अधिकार ६९७ मनःपर्ययकी उत्पत्ति द्रव्यमनसे ६६७ लेश्याके छह भेद ६९८ द्रव्यमनका स्वरूप द्रव्य लेश्याका स्वरूप ६९८ मनःपर्यय ज्ञानके स्वामो ६६८ नरकादि गतियों में द्रव्य लेश्या ६९९ ऋजुमति और विपुलमतिमें अन्तर ६६८ परिणामाधिकार ७०० ऋजुमतिके जाननेका प्रकार ६६९ लेश्याओंके स्थान ७०१ विपुलमतिके जाननेका प्रकार ६७० उन स्थानोंमें परिणमन ७०२ ऋजुमतिके विषयभूत जघन्य और उत्कृष्ट द्रश्य ६७१ संक्रमणके दो भेद ७०४ विपुलमतिके विषयभूत जघन्य द्रव्य ६७२ संक्रमणमें छह हानि-वृद्धियाँ ७०५ लिपुलमतिका उत्कृष्ट द्रव्य क्षेत्र ६७३ लेश्याओंका कार्य ७०७ ऋजुमति-विपुलमतिका काल कृष्णलेश्याका लक्षण ७०७ केवलज्ञानका स्वरूप ६७६ नीललेश्याके लक्षण ७०८ ज्ञानमार्गणामें जीव संख्या ६७७ कपोत लेश्याके लक्षण तेजोलेश्याके लक्षण ७०९ १३. संयममार्गणा ६८१-६९० पद्मलेश्याके लक्षण संयमका स्वरूप ६८१ शुक्ललेश्याके लक्षण ७१० संयमभावका कारण ६८१ __लेश्याओंके छब्बीस अंश सामायिक संयमका स्वरूप ६८३ अपकर्ष कालमें आयुबन्ध ७१२ छेदोपस्थापनाका स्वरूप ६८४ लेश्याओंके उत्कृष्ट आदि अंशोंमें मरनेवालोंका परिहार विशुद्धि किसके ६८४ जन्म ७१८ सूक्ष्मसाम्परायका स्वरूप ६८६ नारकियों आदिमें लेश्या Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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