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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका ५४९ ज । २।३।४। ००० । २-३॥ २-२२-२ वी गुणकारंगळ केळगे एकरूपादिरूपोत्तरहाराः १६ २ एकरूपादिरूपोत्तरमप्प हारंगळु विलोमक्रमदि रूपाधिकेष्टवारसंकलनांकपथ्यंयवसानमागि भति प्रभवपय्यंत । तदादिभूतगुणकारविरूपावसानमागियप्पुवु :ज। २। ३।४ । ००००२-३ । २-२ २ २ इल्लि समापवर्तनमुटप्पुरिंदमवत्तितमिदु १६ २ २ २-२२-३ । ०००० ० ४ ० ३।। २।। १ ज । । चरम चूणिचूर्णिगे संकलितमिल्ल द्वितीयादिस्थानाभावदिदं । सूच्यंगुलासंख्यात- ५ १६ भागमात्रवारानन्तभक्तजघन्यप्रमितमक्कुं ज १। इतनंतभागवृद्धियुक्तस्थानंगळु सूच्यंगुला भवन्ति- ज - १६ २ । २ । ३ । ४ । ००० । २-३ । २-२ । २-१ । २ एषामधः रूपादिरूपोत्तरा aaa हाराः विलोमक्रमेण रूपाधिकेष्टवारसंकलनाङ्कावसाना भवन्ति प्रभवपर्यन्तंज ० ० ३ ४ । ००० २-३ २-२ २-१२ अत्र समानापवर्तनमस्तीति अप २-२ २-३ ००० ० ४ ३३२१ a a a a वर्तिते एवं-ज २ चरमणिचर्णेः संकलितं नास्ति द्वितीयादिस्थानाभावात् । सूच्यङ्गलासंख्यात १६ ... भागमात्रवारानन्तभक्तजघन्यप्रमितं स्यात् ज १ एवमनन्तभागवृद्धियुक्तस्थानानि सूच्यङ्गुलासंख्यातभाग उनका अपवर्तन करनेपर शेष सूच्यं गुलके असंख्यातवें भागका गुणकार और एकका भागहार रहता है । इस कोठेमें उपान्त्य चूर्णि-चूणि है,उसका प्रमाण जघन्यको सूच्यंगुलके असंख्यातवें भाग मात्र बार भाग देनेपर जो प्रमाण आवे,उतना जानना। इसको पूर्वोक्त गुणकारसे गुणा करनेपर और एकसे भाग देनेपर जो प्रमाण आता है, वह उस कोठा सम्बन्धी प्रमाण है। १५ अन्तिम चूणि चूणिमें संकलन नहीं है, क्योंकि उसके दूसरे आदि स्थान न होनेसे वह एक ही है। सो जघन्यको सूच्यंगुलके असंख्यात भाग मात्र बार अनन्तसे भाग देनेपर अन्तिम चूर्णि-चूर्णिका प्रमाण होता है। उसमें एकसे गुणा करनेपर भी उतना ही उस कोठेमें वृद्धिका प्रमाण जानना । इस प्रकार सूच्यंगुलके असंख्यात भाग मात्र अनन्त भाग वृद्धि युक्त स्थान १. ब द्वितयादिस्थानानि सूच्यङ्गलासंख्यातभागमात्राणि नीत्वा । २० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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