________________
कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
८५७ गळुमरूपिगळुमेंब पसरतुळ्ळवप्पुवु । आ रूप्यरूपिगळं पेन्दध:
णिद्धिदरोलीमज्झे विसरिसजादिस्स समगुणं एक्कं ।
रूवित्ति होदि सण्णा सेसाणं ता अरूवित्ति ॥६१३॥ स्निग्धेतरावलिमध्ये विसदृशजात्याः समगुण एकः । रूपोति संज्ञा भवति शेषानंताः अरूपिण इति ॥
स्निग्धरूक्षगुणावळिगळ मध्यदोळु विसदृशजातियप्पुदरसमानगुणमनुलदो दे रूपियादितु 'संज्ञेयनुळ्ळुदक्कुमदल्लदुळिदेल्ला विकल्पंगळुमदक्करूपिगळे दितु संज्ञेगळप्पुवु। अदेतेंदोडे :
दोगुणणिद्धाणुस्स य दोगुणलुक्खाणुगं हवे रूवो ।
इगितिगुणादि अरूवी रुक्खस्स वि तं व इदि जाणे ॥६१४॥ द्वितीयो गुणो यस्य अथवा द्वौ गुणौ यस्य यस्मिन् वा स द्विगुणः स्निग्धाणोश्च द्विगुण- १० रूक्षाणुर्भवेद्रूपी । एकत्रिगुणादयोऽरूपिणः रूक्षस्यापि तद्वदिति जानीहि ॥
द्वितीयगुणमनुळ्ळ अथवा यरडुगुणमनुळ्ळ स्निग्धगुणाणुविंगे विसदृशजातियप्प द्विगुणरूक्षाणु रूपियदु पसेरनुळ्ळुदक्कुमुळिदेकत्रिगुणादिसर्वरक्षाणुगळ अरूपिगळेदु सरक्कुमी प्रकारदिदं द्विगुणरूक्षाणुविगे द्विगुणस्निग्धाणुरूपियक्कुमदल्लदुळिदेकत्रिगुणादिसर्वस्निग्धाणु विकल्पंगळनंतगळऽरूपिगळेदु एले शिष्य ! नीनरि।
रूपीत्यरूपीतिनामानो भवन्ति ॥६१२॥ तानेव लक्षयति
स्निग्धरूक्षगुणावल्योर्मध्ये विसदशजातेः समानगुणः एकः रूपीति संज्ञो भवति । शेषाः सर्वे अरूपीति संज्ञा भवन्ति ॥६१३॥ तदेवोदाहरति
द्वितीयो गुणो द्वौ गुणौ वा यस्य यस्मिन् वा द्विगुणः तस्य द्विगुणस्य स्निग्धाणोः द्विगुणरूक्षाणुः रूपीतिनामा भवेत् । शेषैकत्रिगुणादयः सर्वे रूक्षाणवः अरूपीतिनामानो भवन्ति । एवं द्विगुणरूक्षाणोद्विगुण- २० स्निग्धाणुः रूपी शेषकत्रिगुणादिसर्वस्निग्धाणवः अरूपीति नामानः इति जानीहि ॥६१४॥
पुद्गलोंका बन्ध नहीं होता - यह कथन सामान्य है। विशेष विधि कहेंगे। स्निग्ध गुण युक्त पुद्गलोंके साथ रूक्षगुण युक्त पुद्गल बंधते हैं। और उन पुद्गलोंका नाम रूपी और अरूपी है ॥६१२॥
उन्हींका लक्षण कहते हैं
स्निग्धगुण और रूक्षगुणोंकी पंक्तियोंके मध्यमें विजातिके समान गुणवाले एक परमाणुको रूपी नामसे कहते हैं । शेष सबकी अरूपी संज्ञा है ॥६१३।।
उसीका उदाहरण देते हैं
जिसका दूसरा गुण है या जिसमें दो गुण हैं, उसे द्विगुण कहते हैं। उस दो गण स्निग्धवाले परमाणुका दो गुण रूक्षवाला परमाणु रूपी कहलाता है। शेष एक, तीन आदि ३० रूक्ष गुणवाले सब परमाणु अरूपी नामवाले होते हैं। इसी प्रकार दो गुण रूक्षवाले परमाणुका दो गुण स्निग्धवाला परमाणु रूपी है। शेष एक, तीन आदि गुणवाले सब स्निग्ध परमाणु अरूपी जानना ।।६१४॥
१. म संज्ञिथक्कु । २. म पेसरक्कु ।
१०८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org