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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका पूव्वोक्तदगरय भक्तजगत्प्रतरमात्रऋणक्षेत्रं सिद्धमादुदारुणक्षेत्रमं रज्जुप्रतरमात्रक्षेत्रदोळ = समच्छेदं माडिकलिदोडे शेषमिदु = ११९० इदनपत्तिसले दु भाज्यदि भागहारमं भागिसिदोडे
४९।१२३९ साधिककाम ५१ भक्तजगत्प्रतरमात्रं विवक्षितक्षेत्रद तलस्पर्शमक्कु = १ इदनूध्वंस्पर्शग्रहणात्य
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मागि जीवोत्सेधजनितसंख्यातसूच्यंगुलंगाळदं गुणिसिदोडे शुभलेश्यगळ्गे स्वस्थानस्वस्थानस्पर्शमक्क = २२ इदं कटाक्षिसि तेजोलेश्येग स्वस्थानस्वस्थानापेक्षयिदं लोकासंख्यातभागं स्पर्शमदु ५ पेळल्पदुदु । विहारवत् स्वस्थानदोळं वेदनाकषायवैक्रियिकसमुद्घातदोळं तेजोलेश्यरो अष्टचतुदर्दशभागंगळ किंचिदूनंगळागि ८ = प्रत्येकं नाल्कडयोळुमक्कुमी किंचिदूनाष्टचतुर्दशभागं
ऋणक्षेत्रं सिद्धम् । इदं रज्जुप्रतरे = समच्छेदेनापनीय = ११९० अपवर्तनाथं भाज्येन भागहारं भक्त्वा
४९ । १२३९
साधिककाम ५१ भक्तजगत्प्रतरं विवक्षितक्षेत्रस्य तलस्पर्शो भवति =१ । इदमूर्ध्वस्पर्शग्रहणार्थ जीवोत्सेधजनित
संख्यातसूच्यगुलगुणितं शुभलेश्यानां स्वस्थानस्वस्थानस्पर्शो भवति = २२ । इदं दृष्ट्वा तेजोलेश्यायाःस्वस्थान- १.
स्वस्थानापेक्षया लोकासंख्येयभागः स्पर्शः इत्युक्तम् । विहारवत्स्वस्थाने वेदनाकषायवैक्रियिकसमुद्घाते च तेजोलेश्याया अष्टचतुर्दशभागः किंचिदूनः स्यात् । ८- कुतः ? सनत्कुमारमाहेन्द्रजानां तेजोलेश्योत्कृष्टांशानां
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सूच्यंगुलसे गुणित जगतश्रेणि मात्र क्षेत्रफल हुआ। इसे पूर्वोक्त धनराशिरूप क्षेत्रफलमें-से घटाना चाहिए । सो किचिंतहीन साधिक बारह सौ उनतालीससे भाजित जगत्प्रतर प्रमाण सवेजलचर रहित समुद्रोंका ऋणरूप क्षेत्रफल हुआ। इसको एक राजू लम्बा चौड़ा तथा १५ जगत्प्रतरका उनचासवाँ भाग मात्र रज्जू प्रतरक्षेत्र में से समच्छेद करके घटाइए । तब जगत्प्रतरमें ग्यारह सौ नब्बेका गुणकार और उनचास गुणा बारह सौ उनतालीसका
ज.प्र.X११९०
१९३९ । अपवर्तन करनेके लिए भाज्यसे भागहारमें भाग देनेपर साधिक इक्यावनसे भाजित जगत्प्रतर प्रमाण विवक्षित क्षेत्रका प्रतररूप तलस्पर्श होता है। इसको ऊँचाईका स्पर्श ग्रहण करनेके लिए जीवोंकी ऊँचाईके प्रमाण संख्यात सूच्यंगुलसे २० गुणा करनेपर कुछ अधिक इक्यावनसे भाजित संख्यात सूच्यंगुल गुणित जगत्प्रतर मात्र शुभलेश्याओंका स्वस्थान-स्वस्थान सम्बन्धी स्पर्श होता है। इसको देखकर तेजोलेश्याका स्वस्थान-स्वस्थानकी अपेक्षा स्पर्श लोकका असंख्यातवाँ भाग मात्र कहा है।
भागहार हुआ।
१२३९ ।
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