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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका । ॥ इल्लि सप्तधनुरुत्सेधमुं ७ तद्दशमभागमुखविस्तारमुं ७ अप्प देवावगाहनंगळो :४। ६५ = १५५५५ "वासो तिगुणो परिही वासचउत्थाहदो दु खेत्तफळं, ७ । ३।७।७ खेत्तफळं वेहगुणं १०।१०।४ ७।३।७।७ खादफळं होइ सव्वत्थ।" १०।१०।४ एंदी देवावगाहनमं घनात्मकंगळप्प धनुगळे मंगुळगळं माडल्वेडि तो भत्तारर घनात्मकविवं गुणिसि मत्तमायंगुलंगळं प्रमाणांगुलंगळं माडल्वेडि पंचशतदिदं घनात्मकदिदं भागिसि स्थापिसि-५ ७।३।७।७।९६ ॥ ९६ ॥ ९६ अपत्तिसिदोडे देवावगाहनं प्रमाणघनांगुलसंख्यातेकभाग१०।१०। ४ । ५००। ५००। ५०० . मक्कुमदरिदं स्वस्थानस्वस्थानराशियं गुणियिसि = १।४।६। मत्तमी येकावगाहनद एकादि ४। ६५ । =७५७ ~~mmmmmmmmmmmmmmmm कषायसमुद्घाते च दत्त्वा शेषकभागो वैक्रियिकसमुद्घाते देयः ४ । ६५ = १।५ । ५ । ५। ५ तत्र स्वस्थानस्वस्थानराशिः सप्तधनुरुत्सेध ७ तद्दशांशमुखविस्तारविस्तार ७ ४। ६५ = १५ । ५ । ५ । ५ देवावगाहनेन वासोत्तिगुणेत्याद्यानीतधनूरूपखातफलेन ७ । ३ । ७ । ७ घनाङ्गुलोकतु षण्णवतिघनगुणितेन पुनः १० १० ।१०।४ प्रमाणाङ्गुलीकतु पञ्चशतघनभक्तेन ७ । ३ । ७ । ७ । ९६ । ९६ । ९६ । अपवर्तिते जातघनाङ्गुल १०। १०। ४ । ५००। ५००। ५०० प्रकार जीवोंका प्रमाण कहा। स्वस्थानस्वस्थान अपेक्षा क्षेत्रका प्रमाण लानेके लिए कहते हैं-तेजोलेश्या मुख्य रूपसे भवनत्रिक आदि देवोंमें होती है। उनमें एक देवकी अवगाहनाका प्रमाण सात धनुष ऊँचा और सात धनुषके दसवें भाग चौड़ा है। इसका क्षेत्रफल लानेके लिए सात धनुषके दसवें भाग चौड़ाईको तिगुना करनेपर परिधि होती है, क्योंकि चौड़ाईसे तिगुनी परिधि कही है। इस परिधिको चौड़ाईके चतुर्थ भागसे गुणा करनेपर क्षेत्रफल होता है। इसकी ऊँचाई सात धनुषसे गुणा करनेपर घनरूप क्षेत्रफल होता है। घनरूप राशिके गुणकार भागहार घनरूप ही होते हैं। सो यहाँ घनांगुल करनेके लिए एक धनुषके छियानबे अंगुल होते हैं,अतः घनरूप क्षेत्रफलको छियानबेके घनसे गुणा करना । यहाँ कथन प्रमाणांमुष्ठसे है और देवोंके शरीरका प्रमाण उत्सेधांगुलसे होता है, अतः पाँच सौके घनसे भाग १. मगलुमनंगुलं'। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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