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गो० जीवकाण्डे संचयमनायिसि द्रव्यतः प्रमाणं पेळल्पटुदु।
खेत्तादो असुहतिया अणंतलोगा कमेण परिहीणा।
कालादोतीदादो अणंतगुणिदा कमा हीणा ॥५३८।। क्षेत्रतोऽशुभत्रयाः अनंतलोकाः क्रमेण परिहीनाः। कालादतीतादनंतगुणाः क्रमाद्धीनाः॥ क्षेत्रप्रमाणदिदं अशुभत्रया जीवाः अशुभलेश्यात्रयद जीवंगळु अणंतळोगा अनंतलोक
प्रमितंगळागुतं क्रमविदं परिहीनंगळप्पुवु किचिदूनक्रमंगळप्पुवु क्षेत्र कृ = ख नी ख - क ख = इल्लियु त्रैराशिकं माडल्पडुगुं प्र=फ श १। इ १३ लब्ध शला । ख । प्रमा श१। फइ ख ।
लब्ध=व । कालादतीतात् कालप्रमाणदिदं अशुभलेश्यात्रय जीवंगळु अतीतकालमं नोडलु अनंत
गुणिताः अनंतगुणितंगळागुत्तलुं क्रमाद्धीनाः क्रमहीनंगळप्पुवु । का। कृ। अख । नी अ ख - का १० अ ख = इल्लियु त्रैराशिकं माडल्पडुगुं । प्रअ।फ अ १। इ १३ - लब्ध शलाका । ख । मत्तं
प्रश१। फाइ। श ख । लब्ध अ ख ।
कपोतयोरपि ज्ञातव्यम् । कृ १३-। नी १३- । क १३- । इति कालसंचयमाश्रित्य द्रव्यतः प्रमाणमुक्तम् ॥५३७॥
३- ३- ३क्षेत्रप्रमाणेन अशुभत्रिलेश्याजीवाः अनन्तलोका आप क्रमेण परिहीनाः किंचिदूनक्रमा भवन्ति । कृकख । नीख-। कख= । अत्र त्रैराशिकं प्रफ श १ । इ१३- लब्धशलाकाः ख । पुनः प्र । श१।।
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फ। इश ख । लब्धंख। कालप्रमाणेनाशुभत्रिलेश्या जीवा अतीतकालादनन्तगुणिता अपि क्रमहीना भवन्ति । का कृ अख । नी अख-। क अख =| अत्रापि त्रैराशिक-प्रअफ श । १ इ १३- लब्धशलाकाः
ख । पुनः प्रश १ । फ अ । इ श ख । लब्धं अ ख ॥५३८॥
जीवोंके प्रमाणमें देनेपर जो लब्ध आवे,उतना है। इसी तरह नील और कापोतलेश्यावालोंका
प्रमाण लाना चाहिए। इस तरह कालकी अपेक्षा अशुभलेश्यावाले जीवोंका प्रमाण २० कहा ॥५३७॥
क्षेत्रप्रमाणकी अपेक्षा तीन अशुभलेश्यावाले जीव अनन्तलोक प्रमाण हैं किन्तु क्रमसे कुछ-कुछ हीन हैं। यहाँ प्रमाणराशि लोक, फलराशि एक शलाका, इच्छा राशि अपने-अपने जीवोंका प्रमाण । ऐसा करनेपर लब्धराशि मात्र अनन्त शलाका हुई। तथा प्रमाण एक
शलाका, फल एक लोक, इच्छा अनन्त शलाका। ऐसा करनेपर लब्धराशि अनन्त लोकमात्र २५ कृष्णादि लेश्यावाले जीवोंका प्रमाण होता है। तथा काल प्रमाणसे तीन अशुभ लेश्यावाले
जीव अतीतकालके समयोंसे अनन्तगुणे हैं । किन्तु क्रमसे हीन हैं। यहां भी त्रैराशिक करना। प्रमाणराशि अतीतकाल, फलराशि एक शलाका, इच्छराशि अपने-अपने जीवोंका प्रमाण । ऐसा करनेपर लब्धराशिमात्र अनन्त शलाका हुई। फिर प्रमाण एक शलाका, फल एक अतीत
काल, इच्छा अनन्त शलाका। ऐसा करनेपर लब्धराशि अनन्त अतीतकाल प्रमाण कृष्णादि ३० लेश्यावाले जीव होते हैं ॥५३८।।
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