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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका ६३५ वग्गणरासिपमाणं सिद्धाणंतिमपमाणमेत्तंपि । दुगसहियपरममेदपमाणवहाराणसंवग्गो ॥३९२॥ वर्गणाराशिप्रमाणं सिद्धानंतैकभागप्रमाणमात्रमपि। द्विकसहितपरमभेदप्रमाणावहाराणां संवर्गः॥ __ वर्गणाराशिप्रमाणं इन्ना कार्मण वर्गणाराशिप्रमाणं ताने तु दोडे सिद्धानंतक भागप्रमाण- ५ मात्रमपि सिद्धराश्यनंतैकभागप्रमाणमप्पुदंतादोडं द्विकसहितपरमभेदप्रमाणावहाराणां संवर्गः द्विरूपयुक्तपरमावधिज्ञानसर्वविकल्पंगळे नितु ध्रुवहारंगळ संवर्गसंजनितलब्धप्रमितमक्कुमंतादोडा परमावधिज्ञानविकल्पंगळ्तावनित दोडे पेन्दपं : परमावहिस्स भेदा सगओगाहणवियप्पहदतेऊ । इदि धुवहारं वग्गणगुणगारं वग्गणं जाणे ॥३९३॥ ____परमावधेर्भेदाः स्वावगाहनविकल्पहततैजसाः। इति ध्र वहारं वर्गणागुणकारं वर्गणां जानीहि ॥ परमावधेर्भेदाः परमावधिज्ञानविकल्पंगळं स्वावगाहनविकल्पहततैजसाः मुन्नं जीवसमासाधिकारदोळ्पेळल्पट्ट स्वकीयावगाहनविकल्पंगाळदं गुणिसल्पट्ट तेजस्कायिकजीवंगळ संख्यातराशियु तदवगाहनविकल्पंगळोळु सर्वजघन्यावगाहनमिदु ६।८।२२ तदुत्कृष्टा• १५ प१९।७।८।२२।१९ a a कार्मणवर्गणाराशिप्रमाणं सिद्धराश्यनन्तैकभागमात्रमपि द्विरूपाधिकपरमावधिसर्वभेदमात्रध्र वहारसंवर्गमात्रं स्यात व ॥३९२।। ते भेदाः कति ? इति चेदाह परमावधिज्ञानस्य भेदा तेजस्कायिकावगाहनविकल्पैगणिततेजस्कायिकजीवराशि मात्रा भवन्ति । ६ ।। ते अवगाहनविकल्पाः प्राग्मत्स्यरचनायां तज्जघन्यमिदं ६।८ । २२ a .. । प१९।८।७।८। २२ १९ । -- aaa उतनी बार ध्र वहारोंको परस्परमें गुणा करनेपर जो प्रमाण होता है,वही कार्मण वर्गणाका २० गुणकार होता है ।।३९११॥ अब क्रमानुसार वर्गणाका प्रमाण कहते हैं कार्मण वर्गणा राशिका प्रमाण सिद्ध राशिके अनन्तवें भाग है,तथापि परमावधिके समस्त भेदोंमें दो मिलानेपर जितना प्रमाण हो उतनी बार ध्रुवहारोंको परस्परमें गुणा करनेपर जो प्रमाण हो,उतना है ॥३९२॥ वे परमावधिके भेद कितने हैं, वह कहते हैं तैजस्कायिककी अवगाहनाके विकल्पोंसे तेजस्कायिक जीवराशिको गुणा करनेपर जो प्रमाण हो, उतने परमावधिके भेद हैं । तथा अग्निकायिककी जघन्य अवगाहनाके प्रमाण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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