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________________ मानुषी प्रमत्तसंयत बीस प्ररूपणा ९८६ , अप्रमत्तसंयत अपूर्वकरण अनिवृत्ति प्रथम भा० अनिवृत्ति द्वितीय अनिवृत्ति तृतीय __ अनिवृत्ति चतुर्थ __ अनिवृत्ति पंचम , सूक्ष्मसाम्पराय उपशान्तकषाय क्षीणकषाय सयोगकेवली " अयोगकेवली मनुष्य लब्ध्यपर्याप्तक देवगति देवसामान्य पर्याप्तक देवसामान्य अपर्याप्तक देवसामान्य मिथ्यादृष्टि मिथ्यादृष्टि पर्याप्त मिथ्यादृष्टि अपर्याप्त सासादन सासादन पर्याप्त सासादन अपर्याप्त सम्यग्मिथ्यादृष्टि असंयत असंयत पर्याप्त असंयत अपर्याप्त भवन त्रिक देव भवनतिक पर्याप्त देव भवनत्रिक अपर्याप्त देव मिथ्यादृष्टि पर्याप्त मिथ्यादृष्टि अपर्याप्त मिथ्यादृष्टि सासादन सासादन पर्याप्त सासादन अपर्याप्त सम्यग्मिथ्यादृष्टि असंयत विषय-सूची बीस प्रणा ९७८ सौधर्मेशान देव . देव पर्याप्त देव अपर्याप्त मिथ्यादृष्टि , पर्याप्त , अपर्याप्त सासादन सासादन पर्याप्त सासादन अपर्याप्त सम्यग्मिथ्यादृष्टि असंयत असंयत पर्याप्त असंयत अपर्याप्त सानत्कुमार माहेन्द्रदेव , , पर्याप्त ___" , अपर्याप्त सामान्य एकेन्द्रिय " , पर्याप्त " , अपर्याप्त बादर एकेन्द्रिय बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त " , अपर्याप्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय " , पर्याप्त __, , अपर्याप्त दोइन्द्रिय दोइन्द्रिय पर्याप्त दोइन्द्रिय अपर्याप्त त्रीन्द्रिय त्रीन्द्रिय पर्याप्त त्रीन्द्रिय अपर्याप्त चतुरिन्द्रिय चतुरिन्द्रिय पर्याप्त चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त पंचेन्द्रिय पंचेन्द्रिय पर्याप्त ९८६ पंचेन्द्रिय अपर्याप्त पंचेन्द्रिय मिथ्यावृष्टि For Private & Personal Use Only ५ 1 Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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