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________________ ५०४ गो० जीवकाण्डे भागहारमै दितु सुमुक्त्यर्थमागि कृपेयिनाचार्यरुगळिदं आवळि असंख्यभज्जा एंदितु पेळल्पटुदु । इंतु भगवदहत्परमेश्वर चारुचरणारविंदद्वंद्ववंदनानंदित पुण्यपुंजायमान श्रीमद्रायराजगुरुमंडलाचार्य्यमहावादवादीश्वररायवादिपितामहसकलविद्वज्जनचक्रवतिश्रीमदभयसूरिसिद्धांत चक्र तिश्रीपादपंकजरजोरंजितललाटपट्टे श्रीमत्केशवण्णविरचित गोम्मटसारकर्णाटवृत्तिजीवतत्त्व५ प्रदीपिकयोळु जीवकांडविंशतिप्ररूपणंगळोळेकादशं-कषायमार्गणा प्ररूपणामहाधिकारं निरूपित मास्तु । जीवसंख्यानयने कालप्रमाणानयने च आवल्यसंख्येयभागमात्रो भागहारः इति तु व्यक्तार्थमाचार्यैः आवलि असंखभज्जेत्युक्तं ] ॥२९८॥ इत्याचार्यश्रीनेमिचन्द्रविरचितायां गोम्मटसारापरनामपञ्चसंग्रहवृत्तौ जीवतत्त्वप्रदीपिकाख्यायां जीवकाण्डे विशतिप्ररूपणासु कषायमार्गणाप्ररूपणा नाम एकादशोऽधिकारः ॥११॥ १० का काल सो फलराशिको इच्छाराशिसे गुणा करके प्रमाण राशिका भाग देनेपर जो लब्ध आये,उतने लोभ कषायवाले मनुष्य जानना। इसी तरह प्रमाण राशि तथा फलराशि पूर्वोक्त रखकर और माया, क्रोध तथा मानके कालको इच्छाराशि बनाकर लब्धराशि प्रमाण मायादि कषायवाले मनुष्योंकी संख्या होती है । इसी तरह तिर्यंचगतिमें कषायाविष्ट जीवोंकी संख्या १५ जानना। अन्तर केवल इतना है कि यहाँ फलराशि तियेच जीवोंकी संख्या प्रमाण रखना चाहिए । शेष विधि पूर्ववत् है ।।२९८॥ इस प्रकार आचार्य श्री नेमिचन्द्र विरचित गोम्मटसार अपर नाम पंचसंग्रहकी भगवान् अर्हन्त देव परमेश्वरके सुन्दर चरणकमलोंकी वन्दनासे प्राप्त पुण्यके पुंजस्वरूप राजगुरु मण्डलाचार्य महावादी श्री अमयनन्दी सिद्धान्त चक्रवर्तीके चरणकमलोंकी धूलिसे शोमित ललाटवाले श्री केशववर्णीके द्वारा रचित गोम्मटसार कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्व प्रदीपिकाकी अनुसारिणी संस्कृतटीका तथा उसको अनुसारिणी पं. टोडरमलरचित सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका नामक भाषाटीकाकी अनुसारिणी हिन्दी भाषा टीकामें जीवकाण्डकी बीस प्ररूपणाओं में से कषायमार्गणा प्ररूपणा नामक एकादश महा अधिकार सम्पूर्ण हुआ ॥११॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001816
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages564
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size13 MB
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