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________________ ४७० गो० जोवकाण्डे प्रमाणमक्कु = १ ३२ मी सामान्यपुरुषस्त्रीराशिद्वदिदं हीनमप्प सवेदराशि नपुंसक ४। ६५ = १३३ वेदिगळ परिमाणमक्कु। १३= मपगतवेदानिवृत्तिकरणसूक्ष्मसांपरायोपशांतकषायक्षीणकषाय सयोगिकेवलि अयोगिकेवलि संख्याविहीनसंसारिराशियदुसवेदराशियक्कुं। गब्भणपुंइत्थिसण्णी समुच्छणसण्णिपुण्णगा इदरा । कुरुजा असण्णिगब्भज णउंइत्थीवाणजोइसिया ॥२८०। थोवा तिसु संखगुणा तत्तो आवलि असंखभागगुणा । पल्लासंखेज्जगुणा तत्तो सव्वत्थ संखगुणा ॥२८१॥ युगलं । गर्भज। नपुंसक। पुंस्त्रीसंज्ञिनः संमूर्च्छन संज्ञिपूर्णकाः इतराः । कुरुजाः असंज्ञिगर्भजः नपुंसकपुंस्त्रियः वानज्योतिषिकाः। स्तोकास्त्रिषु संख्यगुणाः तत आवल्यसंख्यभागगुणाः। १० पल्यासंख्येयगुणाः ततः सर्वत्र संख्यगुणाः॥ संज्ञिपंचेंद्रियगर्भजनपुंसकवेदिगळं संज्ञिपंचेंद्रियगर्भजवेदिगळं संजिपंचेंद्रियगर्भजस्त्रीवेदिगळं संमूच्छिमसंज्ञिपंचेंद्रियपर्याप्तकरुं संमूच्छिमसंज्ञिपंचेंद्रियापर्याप्तकरु मी स्थानद्वयदोळु नपुंसकवेदिगळेयप्पर । भोगभूमिजरुमवलं गर्भजसंज्ञिपंचेंद्रियपर्याप्नपुंस्त्रीवेदिगळेयप्परु । असंजिपंचेंद्रियगर्भजनपुंसकवेदिगळ्मसंजिपंचेंद्रियगर्भजपुवेदिगळुमसंजिपंचेंद्रियगर्भजस्त्रीवेदिगळं १५ व्यंतरदेवर्कळं ज्योतिष्करमे दितेकादशजीवराशिगळुक्तकमदिदं मेगे मेग रचिसल्पडुववु। अंतु मनुष्यतिर्यस्त्रीराशिभ्यामधिको देवीराशिः स सामान्यस्त्रीराशिर्भवति = १ । ३२ एतत्पुरुष ४। ६५%2३३ । स्त्रोराशिद्वयविहीनसवेदराशिनपुंसकवेदराशिर्भवति १३ = सवेदराशिस्तु अवेदानिवृत्तिकरणाद्ययोगकेवल्यन्तानां संख्यया हीनसंसारराशिः १३-॥२७९।। संज्ञिपञ्चेन्द्रियगर्भजनपुंसकवेदिनः, संज्ञिपञ्चेन्द्रियगर्भजवेदिनः, संज्ञिपञ्चेन्द्रियगर्भजस्त्रीवेदिनः, २० सम्मूछिमसंज्ञिपञ्चेन्द्रियपर्याप्ताः, सम्मूर्छिमसंज्ञिपञ्चेन्द्रियापर्याप्ताः, अस्मिन् स्थानद्वये नपुंसकवेदिन एव । कुरुजा भोगभूमिजाः ते च गर्भजसंज्ञिपञ्चेन्द्रियपर्याप्ताः स्त्रीवेदिन एव । असंज्ञिपञ्चेन्द्रियगर्भजनपुंसकवेदिनः, स्त्रियोंकी राशि मिलानेपर सब स्त्रीवेदी जीवोंका परिमाण होता है। सवेद जीवोंकी राशिमें उक्त पुरुषवेदियों और स्त्रीवेदियोंकी राशि घटानेपर नपुंसकवेदी जीवोंकी राशि होती है । तथा सब संसारी जीवोंकी राशिमें अनिवृत्तिकरणके अवेद भागसे लेकर अयोगिकेवली २५ पर्यन्त जीवोंकी संख्या घटानेपर सवेद जीवोंका परिमाण होता है ।।२७९॥ संज्ञी पंचेन्द्रिय गर्भज नपुंसकवेदी, संज्ञी पंचेन्द्रिय गर्भज पुरुषवेदी, संज्ञी पंचेन्द्रिय गर्भज स्त्रीवेदी, सम्मच्छेन संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त नपुंसकवेदी, सम्मूर्छन संज्ञी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त नपुंसकवेदी, भोगभूमिया गर्भज संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त पुरुषवेदी तथा स्त्रीवेदी, असंज्ञी पंचेन्द्रिय गर्भज नपुंसकवेदी, असंज्ञी पंचेन्द्रिय गर्भज पुरुषवेदी, असंज्ञी पंचेन्द्रिय ३. गर्भज स्त्रीवेदी, व्यन्तरदेव, ज्योतिषीदेव ये ग्यारह जीव राशियाँ उक्त क्रमसे ऊपर-ऊपर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001816
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages564
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size13 MB
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