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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका ४२१ ३१०० । ८ ऋ१६ । ८ । ५। ८ ८ मितु मेले मेले ऋणराशिगळर्वार्द्धक्रमदिंद नडेववु । धन ६३००।८। ऋ३२ । ८ ५८० राशिगळधस्तनाधस्तनराशिगळोळु गुणहानिगुणितचरमगुणहानिद्रव्यमं १००। ८ । कळेदु द्विरूपभाजितमात्रंगळागि नडेववदु कारणमागियुपरितनोपरितनगुणहानिद्रव्यं पढमस्स होणदळमेत्तमे दितु पेळल्पटुंदितिरुतिई पंक्तिद्वयद्रव्यंगळाळु मादल धनपंक्तियो १००।८ ३००1८ ७००।८ १५००।८ ३१००।८ ६३००।८ एवयुपर्यपि ऋणराशयोऽधर्धिक्रमेण धनराशयो ३१००-८ । ऋ १६ । ८४५ । ८ । ८ ३ । २ । १ ६३०० । ८ । ऋ ३२ । ८ ५। ८ । ८ ३ । २ । १ गुणहानिगुणितचरमगुणहानिधन १०० । ८ । न्यूनाधस्तनगुणहानिधनार्धक्रमेण गच्छन्तीत्युपरितनोपरितनगुणहानिद्रव्यं पढमस्स हीणदलमेत्तमित्युक्तमेव भवति । तत्र पङ्क्तिद्वये प्रथमधनपङ्क्तो- १०० । ८ ३०० । ८ ७०० । ८ १५०० । ८ ३१०० । ८ ६३०० । ८ ५१२ । ३ ५१२।२ ५१२ । १ इन सबका जोड़ एक कम गच्छ का एक बार संकलन मात्र प्रथम निषेक प्रमाण होता है। यहाँ गच्छका प्रमाण आठ है। गणितके नियमानुसार एक कम गच्छको दो और २५ सम्पूर्ण गच्छको एकसे भाग देकर उससे प्रथम निषेक पाँच सौ बारहको गुणा करनेपर १ कम ५१२ x = इतना जोड़ होता है। इसमें अभाव द्रव्यका प्रमाण लाना है,क्योंकि प्रथम निषेक ५१२ सम्पूर्ण है। प्रथम पंक्तिमें कोई निषेक घटा नहीं। दूसरी पंक्तिमें एक प्रथम निषेक कम है। उसमें कोई चय नहीं मिलाया। तीसरी पंक्तिमें पहला और दूसरा दो निषेक कम हैं। उसके दूसरे निषेक ३० ४८० में एक चय ३२ मिलानेसे ५१२ होते हैं। तीसरी पंक्तिमें पहला, दूसरा और तीसरा निषेक कम है । यहाँ दूसरे निषेक ४८० में एक चय ३२, और तीसरे निषेक ४४८ में दो चय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001816
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages564
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size13 MB
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