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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
४१५ सहितमागि मेलणमेलण समयनिषेकंगळं संकळिसिदोर्ड तत्समयदोळु द्वयर्धगुणहानि किंचिदून समयप्रबद्धंगळु सत्वमक्कुमिदक्क संदृष्टियिदु :
भवति । तत्संदृष्टिरियम्
रहे,सब निषेकोंको जोड़नेसे कुछ कम डेढ़ गुणहानि गुणित समयप्रबद्ध प्रमाण सत्तामें शेष रहता है। उसे इस प्रकार जानना-जिस समयप्रबद्धका एक भी निषेक नहीं गला, उसके सब निषेक नीचे एक पंक्तिमें लिखिए । उसके ऊपर जिस समयप्रबद्धका एक निषेक गल गया, उसके पहले निषेकको छोड़कर शेष सब निषेक एक पंक्तिमें लिखिये। उसके ऊपर जिस समयप्रबद्धके दो निषेक गल गये हों, उसके दो निषेकोंके विना शेष सब निषेक एक पंक्तिमें लिखिये । इसी तरह ऊपर-ऊपर एक-एक निषेक घटते हुए शेष सब निषेकोंको एक-एक पंक्तिमें लिखते जाइये । सबसे ऊपर जिस समयप्रबद्धका केवल एक अन्तिम ही निषेक शेष रहा हो, १० उसे लिखना । ऐसा करनेसे त्रिकोण रचना होती है । जैसे सबसे नीचे अड़तालीस निषेक एक पंक्तिमें लिखे । उसके ऊपर पाँचसौ बारह के विना शेष ४७ निषेक लिखे। उसके ऊपर पाँचसौ बारह और चारसौ अस्सीके विना शेष छियालीस निषेक लिखे। इसी तरह ऊपर-ऊपर एक-एक निषेक घटते हुए लिखे । अन्तमें सबसे ऊपर केवल नौका अंक लिखा । इस तरह यह तिकोनी रचना होती है। इसका जोड़ समस्त सत्त्व द्रव्यका प्रमाण होता है जो कुछ कम १५ डेढ़ गुणहानि गुणित समयप्रबद्ध प्रमाण होता है । पहले जो गुणहानि आयामका प्रमाण कहा है उसमें उसका आधा मिलानेसे डेढ़ गुणहानि होती है। उसमें कुछ कम संख्यात गुणी पल्यकी वर्गशलाकासे अधिक गुणहानिका अठारहवाँ भाग घटानेपर जो प्रमाण होता है उसे कुछ कम डेढ़ गुणहानि कहते हैं । उससे समयप्रबद्ध के परमाणुओंको गुणा करनेसे जो प्रमाण हो,उतना ही त्रिकोण रचनाके परमाणुओंको जोड़नेसे प्रमाण होता है। जैसे अंक संदृष्टिके २० आधारपर रचित त्रिकोण रचनाकी सब पंक्तियोंको जोड़नेसे इकहत्तर हजार तीनसौ चार होता है। और गुणहानि आयाम आठमें उसका आधा चार मिलानेसे डेढ़ गुणहानिका प्रमाण बारह होता है। उससे समयप्रबद्ध के परमाणु तिरेसठसौको गुणा करनेसे छिहत्तर हजार छहसौ होता है। त्रिकोण रचनाका जोड़ इससे कम है। इसलिये कुछ कम डेढ़ गुणहानि गुणित समयप्रबद्धका सत्त्व कहा है। यहाँ त्रिकोण रचना और उसके जोड़को २५ उदाहरण के रूपमें अंकित करते हैं;यह केवल अन्तिम गणहानिको लेकर है ।
१. म मेलणऽनुदयनिषेकंगलं संदणिसिदोडे ।
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